Disillusionment With Schools : सरकारी स्कूलों से बच्चों का मोह भंग, चालू सत्र 7 लाख स्टूडेंट्स कम!

स्टूडेंट्स की संख्या घटकर 56 लाख हो गई, 5,500 स्कूलों की पहली कक्षा खाली!

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Disillusionment With Schools : सरकारी स्कूलों से बच्चों का मोह भंग, चालू सत्र 7 लाख स्टूडेंट्स कम!

Bhopal : प्रदेश में शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के लिए कई प्रयास हो रहे हैं। लेकिन, स्टूडेंट्स की संख्या बढ़ नहीं रही। पिछले साल के मुकाबले इस साल करीब 7 लाख स्टूडेंट्स ने कम प्रवेश लिया। प्रदेश में 5500 स्कूल ऐसे हैं, जिसमें पहली कक्षा में एक भी स्टूडेंट ने प्रवेश नहीं लिया। 25 हजार में दो स्टूडेंट का प्रवेश हुआ है। नई शिक्षा नीति के अनुसार इसमें कई बदलाव किए गए हैं।

सरकारी स्कूलों में निशुल्क किताबें, गणवेश और मध्याह्न भोजन जैसी सुविधाएं देने के साथ ही नामांकन बढ़ाने के लिए स्कूल चलें हम और गृह संपर्क अभियान भी चलाया गया। इसके लिए मंत्री व जनप्रतिनिधियों से लेकर अधिकारी तक मैदान में उतरे, लेकिन पालकों का भरोसा नहीं जीत पाए। अक्टूबर तक सरकारी स्कूलों में पहली से 8वीं कक्षा तक में प्रवेश की प्रक्रिया होगी। अभी तक इस सत्र में पहली से 8वीं तक में 56 लाख विद्यार्थियों ने प्रवेश लिया। जबकि, पिछले वर्ष 63 लाख प्रवेश हुए थे। साढ़े पांच हजार स्कूल ऐसे हैं, जिसमें पहली कक्षा में एक भी विद्यार्थी ने प्रवेश नहीं लिया। 25 हजार स्कूलों में केवल दो बच्चों का प्रवेश हुआ है। 11 हजार स्कूल ऐसे हैं, जहां 10-10 बच्चों ने प्रवेश लिया है। यह खुलासा राज्य शिक्षा केंद्र के पोर्टल पर अपलोड नामांकन के आंकड़ों से हुआ है।

प्रदेश में करीब 78 हजार प्राथमिक स्कूल हैं। स्कूल शिक्षा विभाग के पोर्टल पर नामांकन के जारी आंकड़ों के अनुसार साल दर साल सरकारी स्कूलों में बच्चों की संख्या कम हो रही है। हालांकि राज्य शिक्षा केंद्र ने जिला परियोजना समन्वयकों को निर्देश जारी कर बच्चों का नामांकन बढ़ाने के लिए गृह संपर्क अभियान जारी करने और समग्र आइडी से मैपिंग करने के निर्देश दिए हैं।

355 स्कूलों में कोई बच्चा नहीं, शिक्षक मौजूद

राज्य शिक्षा केंद्र की ओर से हाल ही में जारी आंकड़े के अनुसार प्रदेश के 38 जिलों में 355 स्कूल ऐसे हैं जहां शिक्षक तो हैं पर बच्चे नहीं हैं। अब ऐसे स्कूलों के शिक्षकों को दूसरे ऐसे स्कूलों में भेजा जा रहा है, जहां विद्यार्थियों के अनुपात में शिक्षकों की कमी है। इसमें भोपाल के तीन स्कूल शामिल हैं।

इस स्थिति को लेकर विभाग के तर्क

बच्चों का अपने माता-पिता के साथ दूसरी जगह जाना।

समग्र आइडी से मैपिंग नहीं होने के कारण ऐसे हालात का बनना।

जगह बदलने के कारण भी बच्चे ठीक से मैप नहीं हो पाते हैं।

अभियान के जरिए नामांकन बढ़ाने की कोशिश

संचालक, राज्य शिक्षा केंद्र हरजिंदर सिंह ने कहा कि प्राथमिक व माध्यमिक स्कूलों में बच्चों का नामांकन दर बढ़ाने के लिए गृह संपर्क अभियान जारी करने और समग्र आइडी से मैपिंग करने के निर्देश दिए हैं। जहां तक साढ़े पांच हजार स्कूलों में पहली कक्षा में जीरो प्रवेश होने की बात है, तो मैपिंग के बाद अगर शिक्षकों की संख्या ज्यादा पाई गई तो उन्हें दूसरे स्कूलों में भेजा जाएगा।