Dispute Between HDFC Bank & Lilavati Trust : HDFC बैंक और लीलावती ट्रस्ट के विवाद ने MD शशिधर जगदीशन को संदिग्ध बनाया!  

कौन हैं शशिधर जगदीशन जिन पर संगीन आरोप लगे, जानिए क्या है ये व‍िवाद

420

Dispute Between HDFC Bank & Lilavati Trust : HDFC बैंक और लीलावती ट्रस्ट के विवाद ने MD शशिधर जगदीशन को संदिग्ध बनाया!

 

New Delhi : एचडीएफसी बैंक और लीलावती ट्रस्ट के बीच विवाद सुर्खियों में हैं। इसकी वजह है शशिधर जगदीशन जो एचडीएफसी बैंक के एमडी और सीईओ हैं। लीलावती ट्रस्ट ने शशिधर जगदीशन पर वित्तीय गड़बड़ियों में शामिल होने का आरोप लगाया है। जबकि, बैंक ने इन आरोपों को गलत बताया। उसका कहना है कि ट्रस्ट के आरोप निराधार और दुर्भावनापूर्ण हैं। ट्रस्ट चाहता है कि जगदीशन को उनके पद से हटा दिया जाए। बैंक का मानना है कि यह सब बैंक से बकाया लोन की वसूली रोकने के लिए किया जा रहा है। जिन शशिधर जमदीशन पर आरोप लगे हैं, उन्होंने एफडीएफसी बैंक में जबरदस्त कामयाबी हासिल की।

IMG 20250610 WA0014

एचडीएफसी बैंक के एमडी और सीईओ शशिधर जगदीशन को 2020 में इस पद पर नियुक्त किया गया था। वे आदित्य पुरी की जगह आए थे। शशिधर जगदीशन ने मुंबई यूनिवर्सिटी से फिजिक्स में ग्रेजुएशन किया है। ब्रिटेन के शेफील्ड यूनिवर्सिटी से इकोनॉमिक्स ऑफ मनी, बैंकिंग एंड फाइनेंस में मास्टर डिग्री हासिल की है। वे योग्य चार्टर्ड अकाउंटेंट भी हैं। उन्होंने 1996 में बतौर फाइनेंस मैनेजर एचडीएफसी बैंक से अपना करियर शुरू किया था। 1999 में वे फाइनेंस के बिजनेस हेड बने और 2008 में उन्हें चीफ फाइनेंशियल ऑफिसर (सीएफओ) के तौर पर जिम्मेदारी सौंपी गई। 2020 में उन्हें बैंक का एमडी और सीईओ बनाया गया।

उन पर क्या आरोप लगाए गए

लीलावती कीर्तिलाल मेहता मेडिकल ट्रस्ट यानी एलकेएमएमटी ने शशिधर जगदीशन और बैंक के कुछ पूर्व अधिकारियों सहित 8 लोगों पर वित्तीय धोखाधड़ी और ट्रस्ट के धन के दुरुपयोग के गंभीर आरोप लगाए हैं। शिकायत में आरोप लगाया गया है कि जगदीशन ने ट्रस्ट के एक मौजूदा सदस्य के पिता को परेशान करने के लिए 2.05 करोड़ रुपये लिए। यह लेन-देन कथित तौर पर एक हाथ से लिखी डायरी में दर्ज है, जो मौजूदा ट्रस्ट सदस्यों को मिली है। लीलावती ट्रस्ट ने जगदीशन को तुरंत निलंबित करने और उन पर मुकदमा चलाने की मांग की।

क्या जवाब दिया बैंक ने 

इन आरोपों को एचडीएफसी बैंक ने निराधार और दुर्भावनापूर्ण बताया। बैंक के प्रवक्ता ने कहा कि जगदीशन को ‘बेईमान लोग’ निशाना बना रहे हैं, जो कानूनी प्रक्रिया का गलत इस्तेमाल कर रहे हैं। उनका मकसद बैंक को बकाया वसूली करने से रोकना है। बैंक का कहना है कि यह उन कर्जदारों पर बकाया है जो पेमेंट करने में आनाकानी कर रहे हैं और मेहता परिवार पर बैंक का पुराना लोन है जो 2001 से डिफॉल्ट में है। बैंक ने स्पष्ट रूप से इन आरोपों का खंडन किया है। साथ ही मामले में सभी कानूनी उपाय अपनाने की बात कही।

क्या है ये पूरा विवाद

एचडीएफसी बैंक और लीलावती कीर्तिलाल मेहता मेडिकल ट्रस्ट के बीच का विवाद कई सालों से चल रहा है। लेकिन, यह तब सुर्खियों में आया जब ट्रस्ट ने एचडीएफसी बैंक के एमडी और सीईओ शशिधर जगदीशन और 8 अन्य लोगों (कुछ पूर्व बैंक कर्मचारियों सहित) पर वित्तीय धोखाधड़ी और ट्रस्ट के धन के दुरुपयोग के आरोप में एफआईआर दर्ज कराई।

एचडीएफसी बैंक का कहना है कि यह पूरा विवाद मेहता परिवार की स्वामित्व वाली कंपनी ‘स्प्लेंडर जेम्स लिमिटेड’ को दिए गए एक पुराने डिफॉल्टेड लोन से जुड़ा है। बैंक के अनुसार, यह कंपनी 2001 से डिफॉल्टर है। कर्ज वसूली न्यायाधिकरण (डीआरटी) ने 2004 में ही वसूली प्रमाणपत्र जारी कर दिया था। बैंक का दावा है कि 31 मई, 2025 तक इस कंपनी पर लगभग 65.22 करोड़ रुपये का बकाया है, जिसमें ब्याज भी शामिल है। एचडीएफसी बैंक का आरोप है कि मेहता परिवार बकाया चुकाने से बचने के लिए लगातार कानूनी प्रक्रियाओं का दुरुपयोग कर रहा है। अब वह बैंक के अधिकारियों को निशाना बना रहा है।

यह आरोप लगाए लीलावती ट्रस्ट ने

लीलावती ट्रस्ट का आरोप है कि शशिधर जगदीशन और अन्य आरोपियों ने ट्रस्ट के फंड में हेराफेरी की है। उस फंड का दुरुपयोग किया है। एक प्रमुख आरोप यह है कि जगदीशन ने 2.05 करोड़ रुपये नकद प्राप्त किए, जिसका उद्देश्य ट्रस्ट के एक मौजूदा सदस्य के पिता को परेशान करना था। ट्रस्ट का दावा है कि यह लेन-देन एक हाथ से लिखी डायरी में दर्ज है, जो उन्हें मिली है।

ट्रस्ट ने यह आरोप भी लगाया कि 1.5 करोड़ रुपये की राशि को सीआरएस फंड के रूप में अस्पताल के कर्मचारियों को दिया गया, जो वास्तव में सबूतों को नष्ट करने और न्याय में बाधा डालने की एक रिश्वत थी। ट्रस्ट ने जगदीशन को तत्काल निलंबित करने और उनके खिलाफ आपराधिक मुकदमा चलाने की मांग की है। उन्होंने भारतीय रिजर्व बैंक, सेबी और वित्त मंत्रालय से भी इस मामले में हस्तक्षेप करने की अपील की है।

ट्रस्ट ने कई और गंभीर आरोप लगाए हैं, जिनमें 14.42 रुपये करोड़ की हेराफेरी, कानूनी शुल्क के बहाने 85 करोड़ रुपये का दुरुपयोग और ट्रस्ट के फंड में 1,200-1,500 करोड़ रुपये की कथित हेराफेरी शामिल है।