Dispute in Transfers: मंत्री-अफसरों के बीच उलझे तबादले, कई विभागों में जारी नहीं हो पाई सूचियां, कई जरुरत के तबादले भी नहीं कर पाए

मंत्री-अफसरों की नाराजगी कैबिनेट में सामने आई

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Dispute in Transfers: मंत्री-अफसरों के बीच उलझे तबादले, कई विभागों में जारी नहीं हो पाई सूचियां, कई जरुरत के तबादले भी नहीं कर पाए

भोपाल: मध्यप्रदेश में तबादलों से छूट की अवधि बढ़ने के बाद भी प्रदेश के कई सरकारी विभागों में तबादला सूचियां जारी ही नहीं हो पाई और कई विभाग जरुरत के अनुसार तबादले नहीं कर पाए। कई विभागों में मंत्रियों और अफसरों के बीच समन्वय न होंने से तबादले नहीं हो पाए और कई मंत्रियों की यह शिकायत भी रही कि उन्हें पर्याप्त समय नहीं मिल पाया इसलिए तबादले नहीं हो पाए। कुछ मंत्रियों की मांग पर भी तबादले से छूट की अवधि चौथी बार नही बढ़ी।

राज्य सरकार ने कैबिनेट से तबादला पॉलिसी को मंजूरी देते हुए पहले एक माह के लिए तबादलों से छूट प्रदान की थी इसके बाद मंत्रियों की मांग पर एक बार फिर इस अवधि में इजाफा किया। लेकिन कई मंत्रियों और अफसरों में तालमेल न हो पाने से समय पर सूची जारी नहीं हो पाई तो कहीं देरी से तबादलों पर काम शुरु होंने के कारण विभागों के अधिकारियों को पर्याप्त समय नहीं मिल पाया। इस बीच प्रधानमंत्री के आगमन और भाजपा के प्रशिक्षण वर्ग में मंत्रियों की व्यस्तता के चलते उनके अनुमोदन की प्रक्रिया पूरी नहीं हो पाई। जिसके कारण तबादला सूचियां फाइनल होंने में देरी हुई और कई विभागों में प्रक्रिया पूरी न होंने के कारण तबादला सूचियां तैयार तो हुई लेकिन जारी नहीं हो पाई।

*मंत्री-अफसरों की नाराजगी कैबिनेट में सामने आई-* 

मंगलवार 17 जून को हुई कैबिनेट बैठक में मंत्रियों और अफसरों के बीच समन्वय के अभाव और मंत्रियों के निर्देशों का अफसरों द्वारा पालन नहीं किए जाने पर नाराजगी भी सामने आई। सत्रह जून को तबादलों से छूट का आखिरी दिन था। कई मंत्री चाहते थे कि तबादलों से छूट की अवधि और बढ़ाई जाए लेकिन अवधि तो नहीं बढ़ी। कैबिनेट में ही मंत्रियों की अपने ही विभाग के अफसरों से नाराजगी बाहर आ गई। राजस्व मंत्री करण सिंह वर्मा और उर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ने अपने ही विभागों के अफसरों की मनमानी का मामला उठाते हुए अपनी नाराजगी का इजहार मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव के सामने किया। राजस्व मंत्री करण सिंह वर्मा ने कैबिनेट बैठक में यह तक कह दिया कि उनके विभाग में प्रमुख सचिव ने ही तबादले कर दिए। उन्होंने जो भी नाम दिए उनमें से एक का भी काम नहीं हुआ। जब उन्होंने इस बारे में पीएस से पूंछा तो उन्होंने कहा कि यह सब उपर से हो रहा है। वर्मा ने कहा कि यह तो हमारे साथ अन्याय है। विभाग के अफसर ही हमारी नहीं सुन रहे है।

यही हाल उर्जा विभााग में उर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर का भी रहा। उन्होंने कहा कि उनके नये कार्यकर्ताओं ने काफी संख्या में तबादलों के लिए आवेदन दिए थे जो भी नाम अफसर को दिए उन्होंने उनके तबादले नहीं किए। तोमर ने तो यह तक कहा कि मैदानी कार्यकर्ताओं के काम नहीं होने पर कांग्रेसी नेता उन्हें भड़का रहे है। ऐसे में उनके क्षेत्र में उनकी किरकिरी हो रही है। तबादलों में अफसरों की मनमानी और मंत्रियों की नहीं सुने जाने से और भी कई मंत्री नाराज है लेकिन वे इस बारे में खुलकर नहीं बोल पाए। हालाकि मुख्यमंत्री ने मंत्रियों को आश्वासन दिया है कि उनसे बैठक चर्चा करेंगे और उनकी नाराजगी को दूर किया जाएगा।

 *अपात्रों के तबादले प्रस्ताव थे कैसे करते ट्रांसफर-पोरवाल-* 

इधर राजस्व विभाग में मंत्री की नहीं सुने आने और अफसरों द्वारा तबादले मनमर्जी से किए जाने पर जब विभाग के प्रमुख सचिव विवेक पोरवाल से बात की तो उन्होंने कहा कि कुछ कन्फ्यूजन था। मंत्री जी ने तबादले के जो प्रस्ताव दिए थे उसमें से 144 कर्मचारी अपात्र थे किसी की गंभीर शिकायत है, किसी की जांच चल ही है, किसी पर कोई मामला दर्ज है। सामान्य प्रशासन के नियमों के अनुसार जो अधिकारी-कर्मचारी पात्रता की श्रेणी में नहीं आते केवल उन्हीं तबादलों को रोका गया है। विभाग में 509 पटवारियों के तबादले हुए है। 443 तबादले मंत्री की सहमति से ही किए गए है। तबादलों के लिए पात्र सभी स्तर के तबादले मंत्री की सहमति से ही किए गए है।

*आबकारी विभाग में भी मंत्री की सिफारिश पर नहीं हटे दो अफसर-* 

प्रदेश के उपमुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा ने भी आबकारी विभाग में कुछ दागी अफसरों को फील्ड से हटाने की सिफारिश की थी। लेकिन मंत्री की सिफारिश पर तीन अफसरों में से एक को तो हटा दिया गया लेकिन दो अभी भी मुख्य स्थानों पर काम कर रहे है। इसी तरह कई अन्य विभागोें में भी कुछ मंत्रियों की नाराजगी है कि वे जिन्हें हटाना चाह रहे थे उन्हें नहीं हटाया गया और जिनके नामों की सिफारिश की उनके तबादले नहीं हुए।