District Core Team: BJP संगठन की तर्ज पर अब जिलों में बनेगी सरकार की कोर टीम

प्रभारी मंत्री की अध्यक्षता में जिले के चौतरफा विकास के लिए टीम में शामिल होंगे अफसर

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भोपाल: प्रदेश में भाजपा के कोर टीम की तर्ज पर अब जिलों के समग्र विकास के लिए डेवलपमेंट कोर टीम बनेगी। इस टीम के मुखिया प्रभारी मंत्री होंगे जो जिले के चौतरफा विकास के लिए चर्चा कर प्रस्ताव तैयार कराकर उस पर अमल कराएंगे। यह प्रस्ताव अल्पकालिक नहीं बल्कि दीर्घकालिक हो सकते हैं लेकिन इसका फायदा जनमानस को मिलना चाहिए।

प्रभारी मंत्रियों के माध्यम से जिलों में विकास यात्रा के लिए गांवों और शहर के वार्डों में टीम लीडरशिप डेवलप करने के निर्देश पर सफल एक्शन के बाद अब मुख्यमंत्री ने जिलों में कोर टीम बनाने के लिए कहा है। कोर टीम में प्रभारी मंत्री और अधिकारियों के अलावा अन्य गैर शासकीय सदस्य भी शामिल होंगे, यह तो अभी साफ नहीं हुआ है लेकिन सरकार ने यह स्पष्ट कर दिया है कि मानव संसाधन विकास के हर सेक्टर में विकास के लिए कोर टीम काम करेगी। जिला स्तर पर काम करने वाली कोर टीम जनपदों, नगरीय निकाय स्तर के विकास कार्यों के साथ भौगोलिक स्थितियों को ध्यान में रखकर भी प्रस्ताव तैयार करेगी। इसमें स्कूलों, अस्पतालों की सुविधा के साथ सड़क, रोजगार पर फोकस किया जाएगा। जिन क्षेत्रों में औद्योगिक विकास की स्थिति बन सकती है, उसे भी फोकस किया जाएगा।

सूत्रों का कहना है कि जिस तरह संगठन के विस्तार और मजबूती के लिए बीजेपी की जिला स्तर पर बनी कोर टीम काम करती है, वैसा ही काम प्रभारी मंत्री की अध्यक्षता वाली कोर टीम से करने की अपेक्षा सरकार ने की है।

सीएम ने यह दिए थे निर्देश

सीएम चौहान ने पिछले सप्ताह कलेक्टर-कमिश्नर कांफ्रेंस में कहा था कि जिलों के एक्चुअल डेवलपमेंट के लिए काम होना चाहिए। प्रभारी मंत्रियों के साथ कलेक्टरों और पुलिस अधीक्षकों की बैठक में सीएम ने कहा था कि जिला स्तर पर एक कोर टीम बने। यह टीम चेक करे कि जिला स्तर पर विकास के क्या-क्या काम हो सकते हैं? जरूरी नहीं कि यह काम जल्द पूरा होने वाला ही हो। अगर लम्बे अंतराल वाला कोई काम हो सकता है तो इसका भी प्रस्ताव तैयार करके विकास के लिए मंजूरी देकर उसे पूरा कराएं।

कलेक्टर-एसपी की दोस्ती बने मिसाल

सीएम चौहान ने इस बैठक में यह भी कहा था कि कलेक्टर और एसपी के बीच दोस्ती का रिश्ता होना चाहिए। वे न सिर्फ खुद दोस्त रहें बल्कि पारिवारिक मित्रता भी रहे और इसका संदेश भी जाना चाहिए ताकि निचला अधिकारी-कर्मचारी अमला भी इसी फार्मेट में काम करे। दोस्ताना संबंधों में प्रशासनिक कामों में किसी तरह की रुकावट नहीं आती है और समस्याओं का समाधान तेजी से होता है। गेट टू गेदर के कार्यक्रम होने चाहिए।

काम ऐसे हों कि हितग्राही खुद करे सरकार की प्रशंसा

प्रभारी मंत्रियों को यह निर्देश भी मिले हैं कि वे जिलों में प्रवास के दौरान योजनाओं का लाभ लेने वाले हितग्राहियों से सीधा संवाद करें। गांवों में पहुंचें और बात करें। उन्हें प्रोत्साहित करें कि जब सरकार ने सुविधा दी है तो उसका प्रचार प्रसार हितग्राही खुद करे। सरकार को सफलता की कहानी बताने की बजाय हितग्राही सरकार के माध्यम से मिली सफलता की कहानी लोगों के बताए। इसका विकास कार्य पूरा कराने पर सार्थक मैसेज जाएगा।