भोपाल:
प्रदेश के स्कूली बच्चों के लाखों बच्चों के गणवेश के लिए राशि इन्हें तैयार करने वाले स्वसहायता समूहों को नहीं मिल पा रही है। दरअसल स्वसहायता समूहों के बैंक खातों की जानकारियां त्रुटिपूर्ण होंने के कारण यह राशि उन्हें नहीं मिल पा रही है। अब सभी बैंक खातों को सुधारने और राशि उन तक पहुंचाने के लिए अफसरों को निर्देशित किया गया है।
एसएचजी जीविका पोर्टल के माध्यम से प्रदेश की 1 लाख 474 शालाओं के 58 लााख 56 हजार 668 बच्चों को गणवेश प्रदाय करने के लिए स्वसहायता समूहों को आदेश जारी किए गए थे। प्रत्येक विद्यार्थी के मान से छह सौ रुपए का प्रावधान किया गया था। कुल 351 करोड़ 40 लाख 800 रुपए की राशि में से 75 फीसदी राशि संबंधित स्वसहायता समूह के खाते में प्रदाय की गई है।
लेकिन राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के 136, राज्य शहरी आजीविका मिशन के 30 तथा महिला बाल विकास निगम के 51 शालाओं से संबंधित स्वसहायता समूह के खातों में त्रुटि होंने से संबंधित विभाग प्रमुख के द्वारा खातों में सुधार न होंने के कारण आज तक उन खातों में राशि प्रदाय नहीं की जा सकी है। राज्य शहरी आजीविका मिशन के 64 खातों में संबंधित जिला प्रमुख के द्वारा सुधार उपरांत राशि प्रदान करने की कार्यवाही शुरु की गई है और शेष बैंक खातों को सुधारने के लिए भी अधिकारियों को निर्देशित किया गया है।
स्वसहायता समूह द्वारा लक्ष्य के विरुद्ध 93 फीसदी गणवेश तैयार किए जा चुके है। शाला प्रबंधन समिति के पास 80 प्रतिशत गणवेश प्राप्त हो चुके है। अब इन गणवेशों की गुणवत्ता का सत्यापन समिति द्वारा रेंडमली किया जाना है। यदि स्वसहायता समूहों द्वारा विद्यालय को दी गई गणवेश की गुणवत्ता संतोषजनक नहीं होगी तो विद्यालय समूह को गणवेश वापस करेगा तथा समूह के द्वारा वे गणवेश रिप्लेस किए जाएंगे।
साथ ही जिन विभागों के बैंक खाते में त्रुटियों को अभी सुधारा जाना है उनमें तत्काल एसएचजी जीविका पोर्टल में सुधार की कार्यवाही पूरी की जाना है ताकि संबंधित स्वसहायता समूह को राशि प्रदाय की जा सके। गणवेश प्रदाय हेतु शेष 25 प्रतिशत राशि के भुगतान कलेक्अर के माध्यम से कराए जाने है लेकिन गणवेश की गुणवत्ता की जांच और राशि का उपयोगिता प्रमाणपत्र जारी होंने के बाद यह राशि आबंटित की जाएगी।
गणवेश की संख्या के अनुसार एसआरएलएम, एसयूएलएम और डब्ल्यूसीडी क जिला प्रमुखों द्वारा सत्यापन किया जाना है। इसके बाद जिला परियोजना समन्वयक के द्वारा एसएचजी जीविका पोर्टल के माध्यम से कलेक्टर के अनुमोदन के बाद समूह के खाते में सीधे भुगतान किया जाएगा।