उज्जैन से सुदर्शन सोनी की रिपोर्ट
उज्जैन। देवी माता के 52 शक्तिपीठों में मुख्य रूप से उज्जैन के माँ हरसिद्धि मंदिर का उल्लेख आता है क्योंकि उज्जैन ही ऐसी नगरी है जहां पर बाबा महाकाल एवं देवी हरसिद्धि विराजमान है।
चैत्र नवरात्रि की गणगौर तीज के विशेष संयोग में रात्रि लगभग 1:30 बजे के आसपास प्रसिद्ध शक्तिपीठ माँ हरसिद्धि मंदिर में स्थित माता की मूर्ति ने अपना चोला (सिंदूर का आवरण) छोड़ दिया है। पुजारियों ने इसे दैवीय घटना बताते हुए कहा कि माता अब पुनः अपने मूल स्वरूप में आ गई है। माता ने अपना वृध्द स्वरूप छोड़ कर पुनः नवयौवन प्राप्त किया है। माता के मूल स्वरूप के दर्शनों से भक्तों को नई ऊर्जा प्राप्त होगी।
वही मंदिर प्रशासक अवधेश जोशी ने बताया कि इससे पहले 1990 में देवी ने अपना चोला छोड़ा था एवं मूल स्वरूप में आई थी। इस दैवीय घटना की जानकारी धीरे धीरे पूरे नगर में फैल गई और दर्शन हेतु श्रद्धालुओं की भीड़ मंदिर में उमड़ पड़ी है। श्री जोशी ने बताया कि माता द्वारा छोड़े गए चोले का विसर्जन शोभायात्रा के रूप में 3 बजे किया जाएगा।