Diwali went global : यूनेस्को की सूची में शामिल, भारत के लिए ऐतिहासिक दिन, दुनिया ने माना भारत की रोशनी का पर्व

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Diwali went global : यूनेस्को की सूची में शामिल, भारत के लिए ऐतिहासिक दिन, दुनिया ने माना भारत की रोशनी का पर्व

New Delhi: भारत की सांस्कृतिक पहचान और सभ्यतागत विरासत के लिए बुधवार का दिन ऐतिहासिक साबित हुआ। यूनेस्को ने दीपावली को मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की प्रतिनिधि सूची में शामिल कर लिया। यह निर्णय इंटरगवर्नमेंटल कमिटी की बैठक में औपचारिक रूप से घोषित किया गया, जिससे दीपावली अब विश्व की उन जीवंत परंपराओं में दर्ज हो गयी है जिन्हें मानव सभ्यता की साझा धरोहर माना जाता है।

यह उपलब्धि न केवल भारत के लिए गर्व का क्षण है बल्कि इसकी सांस्कृतिक शक्ति और जीवंत परंपराओं की वैश्विक स्वीकृति भी है। जैसे ही यह घोषणा हुई, देशभर में उल्लास की भावना फैल गई और इसे भारतीय संस्कृति की अस्मिता को मिला अंतरराष्ट्रीय सम्मान माना गया।

🪔दीपावली को मान्यता क्यों मिली

▫️यूनेस्को ने अपने दस्तावेज में दीपावली को एक जीवंत सांस्कृतिक विरासत बताया है जो भारतीय समाज के आध्यात्मिक, सामाजिक और सांस्कृतिक जीवन के केंद्र में स्थित है।

दीये जलाने, घरों की सजावट, रांगोली, पूजा, पारिवारिक मेलमिलाप, सामूहिक उत्सव, दान, मिठाइयों का आदान-प्रदान और सामाजिक सद्भाव — इन सभी को दीपावली की मूल आत्मा बताया गया है। समिति ने माना कि दीपावली पीढ़ियों के बीच ज्ञान और परंपरा को हस्तांतरित करने का एक अद्वितीय माध्यम है और यह अच्छाई की बुराई पर विजय तथा अंधकार पर प्रकाश के सार्वभौमिक संदेश को प्रसारित करती है।

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🪔नामांकन की प्रक्रिया और भारत का पक्ष

▫️दीपावली का नामांकन प्रस्ताव भारत सरकार और संगीत नाटक अकादमी ने संयुक्त रूप से तैयार किया था।

इस प्रस्ताव में दीपावली की ऐतिहासिक जड़ों, सांस्कृतिक निरंतरता, लोक परंपराओं, हस्तशिल्पों, समुदाय-आधारित उत्सव संरचना और संरक्षण योजनाओं का विस्तृत उल्लेख शामिल था।

यूनेस्को ने माना कि भारत ने दीपावली के संरक्षण और इसके सांस्कृतिक महत्व को बनाए रखने के लिए आवश्यक रूपरेखाएँ तैयार की हैं, जो इसके चयन का महत्वपूर्ण आधार बनीं।

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🪔भारत की प्रतिक्रिया: उत्साह और गर्व

▫️प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि दीपावली को मिली यह मान्यता भारत की सभ्यता, संस्कृति और आध्यात्मिक विरासत का सम्मान है। उन्होंने इसे हर भारतीय के लिए गर्व का क्षण बताया।

केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय ने कहा कि दीपावली का यूनेस्को सूची में शामिल होना भारत की जीवंत परंपराओं की वैश्विक स्वीकार्यता का प्रमाण है और यह भारतीय कला, शिल्प व सांस्कृतिक अर्थव्यवस्था को नई गति देगा।

कलाकारों, कारीगरों, पुरातत्वविदों और भारतीय प्रवासी समुदायों ने भी इस फैसले का स्वागत किया और इसे भारत की सांस्कृतिक शक्ति की भव्य पहचान बताया।

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🪔वैश्विक महत्व: दुनिया में बढ़ेगा दीपावली का प्रभाव

▫️यूनेस्को की मान्यता के बाद अब दीपावली विश्व स्तर पर एक आधिकारिक सांस्कृतिक त्योहार के रूप में स्थापित हो गई है।

प्रवासी भारतीय समुदाय के लिए यह फैसला गर्व और आत्मविश्वास का विषय बन गया है। कई देशों में दीपावली महोत्सव पहले से लोकप्रिय हैं, लेकिन अब उन्हें अंतरराष्ट्रीय सांस्कृतिक कार्यक्रमों के रूप में नई पहचान मिलेगी। इससे विश्वभर में सांस्कृतिक पर्यटन, भारतीय कला और हस्तशिल्प की मांग और अध्ययन में बढ़ोतरी होने की संभावना है।

🪔कारीगरों और परंपरागत कलाओं के लिए बड़ा अवसर

▫️दीपावली से जुड़े कारीगर- दीये बनाने वाले कुम्हार, रांगोली कलाकार, पारंपरिक सजावट उत्पाद तैयार करने वाले शिल्पकार, मिठाइयों और परंपरागत वस्त्रों से जुड़े व्यवसाय अब अंतरराष्ट्रीय बाजार में नई पहुंच हासिल कर सकेंगे। यूनेस्को के संरक्षण ढांचे के तहत इन परंपराओं को बढ़ावा देने और कलाकार समुदाय को सहायता प्रदान करने की प्रक्रिया और अधिक मजबूत होगी।

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🪔आने वाला समय: परंपरा का संरक्षण और सांस्कृतिक नेतृत्व

▫️इस मान्यता के साथ यह जिम्मेदारी भी जुड़ गई है कि भारत दीपावली की मूल भावना प्रकाश, पवित्रता और मानवीय जुड़ाव को आने वाली पीढ़ियों तक संरक्षित रखे।

विशेषज्ञ मानते हैं कि पर्यावरण अनुकूल दीपावली, पारंपरिक दीयों का उपयोग, लोक कलाओं का प्रोत्साहन और सामुदायिक सद्भाव के संदेश को व्यापक स्तर पर फैलाने की दिशा में यह एक निर्णायक अवसर है। राज्य सरकारें और सांस्कृतिक संस्थान अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दीपावली आधारित कार्यक्रमों और प्रदर्शनियों का आयोजन कर सकेंगी।

🪔अपनी बात

▫️यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत सूची में दीपावली का शामिल होना भारत की सांस्कृतिक पहचान की ऐतिहासिक विजय है। यह वह क्षण है जिसने भारतीय परंपरा की रोशनी को विश्व के सांस्कृतिक आकाश में स्थायी स्थान दिला दिया है। यह उपलब्धि सिर्फ भारत की नहीं, बल्कि पूरी मानवता के साझा सांस्कृतिक मूल्यों की जीत है। आज भारत ने दुनिया को फिर बताया है कि प्रकाश का यह पर्व केवल एक उत्सव नहीं, बल्कि जीवन का दर्शन है।

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