
Do you love your family?: एक पत्नी द्वारा अपने पति की आकस्मिक मृत्यु के बाद लिखी गई अत्यंत भावुक और शिक्षाप्रद जानकारी !
एक पत्नी द्वारा अपने पति की आकस्मिक मृत्यु के बाद लिखी गई अत्यंत भावुक और शिक्षाप्रद चिट्ठी है, जिसका हिंदी अनुवाद नीचे प्रस्तुत है:
एक पत्नी की चिट्ठी – पति की दुर्घटना में मृत्यु के बाद
(यह एक सच्ची घटना पर आधारित है)
“पति की मृत्यु के बाद मैंने जो कुछ सीखा”
हम हमेशा मानते हैं कि हम हमेशा जिएंगे।
बुरी घटनाएँ हमेशा दूसरों के साथ होती हैं।
लेकिन जब वही हादसा हमारे सिर पर आ गिरता है, तब समझ आता है कि ज़िंदगी कितनी अनिश्चित है।
मेरे पति एक आईटी प्रोफेशनल थे — पूरे तकनीकी। और मैं एक चार्टर्ड अकाउंटेंट।
आप सोच सकते हैं कि ये एक बेहतरीन जोड़ी है।
मेरे पति टेक्निकल थे, तो उनकी ज़िंदगी की हर चीज़ उनके लैपटॉप में थी —
उनकी “टू-डू लिस्ट”, ई-बिल्स, बैंक स्टेटमेंट्स, यहाँ तक कि उन्होंने “IMPWDS” नाम का एक फ़ोल्डर बना रखा था, जिसमें उनके सारे लॉगिन आईडी और पासवर्ड्स थे।
यहाँ तक कि लैपटॉप पर भी पासवर्ड था।
सभी पासवर्ड्स अल्फ़ान्यूमेरिक और स्पेशल कैरेक्टर्स वाले थे — यानी तोड़ना नामुमकिन।
ऑफिस की पॉलिसी थी कि हर 30 दिन में पासवर्ड बदलना होता था।
मैं हर बार उनसे पूछती — “इस बार क्या पासवर्ड है?” — याद रखने का झंझट ही नहीं लेती थी।
आप सोच सकते हैं कि मैं एक चार्टर्ड अकाउंटेंट हूं, तो सब कुछ व्यवस्थित और डॉक्यूमेंटेड होगा।
पर यकीन मानिए, हम ऑफिस के पेपर्स में जितने अनुशासित होते हैं, घर के मामलों में उतने ही लापरवाह।
घर के कामों में हम हमेशा कल पर टाल देते हैं।
एक दिन मेरे पति का ऑफिस से लौटते वक्त सड़क दुर्घटना में निधन हो गया। उनकी उम्र मात्र 33 वर्ष थी।
उनका लैपटॉप क्रैश हो गया, सारी जानकारी मिट गई।
मोबाइल फोन चकनाचूर हो गया।
लेकिन यह तो सिर्फ शुरुआत थी…

9 साल की शादी, कोई संतान नहीं, बस हम दोनों थे। और अब मैं अकेली थी।
मेरी प्रोफेशनल जानकारी काम आई, लेकिन पूरी नहीं।
उनके बैंक खातों में कोई नामांकन नहीं था।
बीमा में उनकी माँ नामांकित थीं, जिनका दो साल पहले ही निधन हो चुका था।
ईमेल पासवर्ड मुझे नहीं पता था।
कौन-कौन से बिल स्टैंडिंग इंस्ट्रक्शन्स से कटते थे, कोई जानकारी नहीं।
ऑफिस से संबंधित काम और भी कठिन था —
हाल ही में उनका विभाग बदला गया था, किसके अधीन काम कर रहे थे, यह तक पता नहीं था।
कब उन्होंने आखिरी बार मोबाइल भत्ता क्लेम किया था — यह भी खोजने लायक काम बन गया।
हमने जिस घर को मिलकर EMI पर खरीदा था, वह अब सिर पर बोझ बन चुका था।
लोन पर बीमा न लेकर हमने सोचा कि उस पैसे से प्री-पेमेंट कर लेंगे —
कभी सोचा ही नहीं कि अगर एक की आय बंद हो जाए तो क्या होगा!
अब हर जगह एक ही सवाल —
मृत्यु प्रमाणपत्र, एफआईआर, पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट —
हर सरकारी दफ्तर में ढेरों फ़ॉर्म, इन्डेम्निटी बॉन्ड, नोटरी, गवाह, सहमति-पत्र…
मालूम पड़ा कि बाइक, कार, जमीन, घर — ये सब अलग-अलग “संपत्तियाँ” हैं।
पति के नाम की बाइक को ट्रांसफर कराना हो तो कानूनी प्रक्रिया पूरी करनी होगी।
उत्तराधिकार प्रमाण पत्र (Succession Certificate) लेना एक अलग संघर्ष है।

फिर शुरू हुआ नाम परिवर्तन का सिलसिला —
गैस कनेक्शन, बिजली मीटर, घर, वाहन, निवेश, नामांकन…
मैं पूरी तरह हिल चुकी थी।
शोक मनाने का भी समय नहीं था, क्योंकि दस्तावेज़ों की लड़ाई ने सब निगल लिया था।
मैंने तब समझा कि मैंने ज़िंदगी को कितना हल्के में लिया था।
मैं सोचती रही — “अगर मैं CA होते हुए इतनी परेशान हूं, तो एक सामान्य गृहिणी का क्या होता?”
एक दोस्त ने तब कहा —
“अब तुम अकेली हो, तुम्हारे नाम पर अगर कोई वसीयत नहीं है तो बाकी रिश्तेदारों का भी दावा होगा…”
अब मुझे एहसास हुआ कि एक वसीयत (Will) बनाना कितना ज़रूरी है।
कुछ महीने पहले यह सब सुनकर मैं हँस देती, पर अब ज़िंदगी ने करवट ले ली थी।
जिंदगी ने मुझे जो सिखाया, वो मैं आपसे बाँटना चाहती हूँ:
क्योंकि हम जो पीछे छोड़ते हैं, उनके लिए कुछ सरल कर सकें — यही हमारा कर्तव्य है।

1. नामांकन (Nomination) जाँचे
• बैंक खाते
• फिक्स्ड डिपॉजिट, एनएससी
• लॉकर
• डिमैट खाता
• जीवन/वाहन/संपत्ति बीमा
• निवेश
• पीएफ और पेंशन प्रपत्र
अक्सर हम पुराने नामांकन बदलते ही नहीं — माता-पिता का नाम अभी भी नामांकित होता है, चाहे उनका देहांत हो गया हो।
2. पासवर्ड
हर चीज़ का पासवर्ड होता है —
ईमेल, बैंक, लैपटॉप…
अगर आपके बाद कोई आपके सिस्टम को एक्सेस न कर पाए तो क्या होगा?
कहीं सुरक्षित नोट कर के रखें।
3. निवेश (Investments)
हर साल टैक्स सेविंग के लिए हम निवेश करते हैं —
क्या आपने उसकी कोई सूची बनाई है?
क्या वह भी उसी लैपटॉप में है, जिसका पासवर्ड किसी को नहीं पता?
4. वसीयत (Will)
एक साधारण वसीयत भी आपके परिवार की तकलीफ़ को बहुत हद तक कम कर सकती है।
इन्डेम्निटी बॉन्ड, नोटरी, NOC, गवाह… इन सबसे मुक्ति।
5. ऋण और देनदारियाँ (Liabilities)
गाड़ी या घर का लोन लेते वक्त यह सोचें —
अगर मैं न रहूँ तो क्या मेरे परिवार के लिए वह क़र्ज़ सम्भव होगा?
अगर नहीं, तो ऋण बीमा ज़रूर लें।
6. सुगम व आसान निष्पादन के लिए (DIGITAL PLATFORM) का उपयोग
सभी तरह के बैंक, इंश्योरेंस, म्यूचुअड फंड व अन्य सभी कार्यो के लिए ऑनलाइन सुविधाएं उपलब्ध है, इनको प्रेक्टिस में लाए तथा समय व ऊर्जा की बचत करे.
मेरी लड़ाई अभी शुरू हुई है।
लेकिन अगर हम सब यह कुछ बातें सीख लें, तो हमारे बाद हमारे अपनों को कम तकलीफ़ होगी।
हम नहीं जानते भविष्य में क्या होगा —
लेकिन जैसे स्काउट का मूल मंत्र है —
“सदैव तत्पर रहें”।
कृपया इसे 3 बार पढ़ें और अधिक से अधिक लोगों तक पहुँचाएँ।
हम टीवी और फिल्मों में समय बिताते हैं,
पर अपने प्रियजनों की सुरक्षा के लिए 15 मिनट क्यों नहीं दे सकते?
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गृहस्थी चलाना सिर्फ खाना बनाना, सफाई करना या बच्चों का ध्यान रखना नहीं है,
बल्कि वित्तीय जानकारी और निर्णयों की समझ भी उतनी ही ज़रूरी है।
कानून और न्याय: सुप्रीम कोर्ट ने माना अवैध निर्माण एवं तोड़फोड़ पर सख्ती जरुरी!





