Dog Terror: बढ़ने लगा कुत्तों का आतंक : अप्रैल माह में जेपी और हमीदिया हॉस्पिटल में डॉग बाइट के 2500 से ज्यादा मामले आए

 तापमान बढ़ने पर हिंसक होते हैं जानवर

192

Dog Terror: बढ़ने लगा कुत्तों का आतंक : अप्रैल माह में जेपी और हमीदिया हॉस्पिटल में डॉग बाइट के 2500 से ज्यादा मामले आए

 

भोपाल। मौसम में बदलाव होते ही शहर में डॉग बाइट के मामले भी बढ़ने लगे हैं। अप्रैल में जेपी और हमीदिया अस्पताल में ही डॉगबाइट के 2500 से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं। इनमें से 1150 मामले हमीदिया में और जेपी अस्पताल में 1350 मामले पहुंचे। बड़ी बात यह है कि इनमें 60 फीसदी बच्चे हैं। अचानक डॉगबाइट के मामले बढ़ने के पीछे मौसम में बदलाव है।

विशेषज्ञों का कहना है कि ज्यादा ठंड और गर्मी में कुत्ते बेचैन हो जाते हैं। ठंड में ब्रीडिंग का समय रहता है। वे अपने बच्चों को बचाने के लिए राह चलते लोगों को काटने दौड़ पड़ते हैं। वहीं, गर्मी में कुत्ते अपने शरीर का टेम्प्रेचर मेंटेन नहीं कर पाते हैं। इसलिए वे सांस के जरिए अपने शरीर का टेम्प्रेचर सामान्य रखते हैं। यदि खाने-पीने में कोई कमी है तो उनकी बेचैनी और भी बढ़ जाती है। इससे वे आक्रामक व्यवहार करने लगते हैं।

 

*जेपी-हमीदिया हॉस्पिटल में पहुंच रहे पीड़ित*

इन दिनों जेपी और हमीदिया हॉस्पिटल में हर रोज 100 से ज्यादा डॉग बाइट के मामले आ रहे हैं। सोमवार को हमीदिया अस्पताल में 54 तो जेपी अस्पताल में 65 मामले पहुंचे। यहां एक सप्ताह में 800 से अधिक लोग वैक्सीनेशन के डोज लगवाने पहुंच चुके हैं।

 

*_0 यहां ज्यादा मामले_*

बाणगंगा, कोलार, कोहेफिजा, नेहरू नगर, बाणगंगा, अवधपुरी, अयोध्या बायपास, बावड़ियाकलां, बैरागढ़, अशोका गार्डन समेत कई इलाकों में कुत्तों के काटने के मामले सबसे ज्यादा है।

 

*0 दो बार बाइट पर भी एक बार ही लें इंजेक्शन*

गांधी मेडिकल कॉलेज के कम्युनिटी मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर डॉक्टर जीवन सिंह मीणा बताते हैं कि एंटी रेबीज वैक्सीन का असर एक साल तक रहता है। किसी भी जानवर के काटने के बाद 0, 3, 7 और 21 वे दिन इंट्रा डर्मल वैक्सीन लेनी चाहिए। इससे शहरी में रैबीज के प्रति एंटी बॉडीज बन जाती हैं, जिसे टाइटर कहते हैं। यह टाइटर एक साल तक रैबीज से सुरक्षा करता है। अगर 6 महीने के बाद कोई जानवर काटता है तो रैबीज के दो डोज ले सकते हैं।

 

0 *गर्मियों में होती है परेशानी*

गर्मियों में शरीर का तापमान बढ़ने से जानवर आक्रामक हो जाते हैं। उनका डरना, कांपना, बहुत ज्यादा भोंकना, भूख न लगना और आक्रामकता कुछ ऐसे संकेत हैं, जो बताते हैं कि जानवर परेशान हैं। कई बार वे दूसरे इलाकों में पहुंच जाते हैं, जहां खानेपीने की दिक्कत होती है। ऐसे में वह और आक्रामक हो जाते हैं।