चल गया ‘डोनाल्ड’ का ‘शांति ट्रंप कार्ड’…

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चल गया ‘डोनाल्ड’ का ‘शांति ट्रंप कार्ड’…

 

अमेरिका में ट्रंप की जीत यह संदेश दे रही है कि युद्धों ने सबकी शांति छीन ली है। चाहे यूक्रेन-रूस युद्ध हो या फिर मिडिल ईस्ट में इजरायल और गाजा, ईरान और लेबनान युद्ध, ऐसी अशांति से राहत पाने के लिए अमेरिकी मुस्लिमों पर ‘डोनाल्ड’ का ‘शांति ट्रंप कार्ड’ कमला हैरिस और डेमोक्रेटिक पर भारी पड़ गया है। इससे भारत की निराशा स्वाभाविक है। अमेरिकी राष्ट्रवाद, श्वेत महिलाओं द्वार कमला विरोध और मुस्लिम वोटों का जादू वर्तमान में ट्रंप के राजतिलक में महत्वपूर्ण रहे हैं, पर इससे एक बार फिर उदारवादी खेमे निराशा में डूब गए हैं। वहीं अरब देशों के प्रति ट्रंप की उदारवादी नीति दुनिया को सकते में डाल सकती है।भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शायद सही ही कहा है कि अमेरिका दुनिया के मामलों में अब पहले जैसी दिलचस्पी नहीं दिखा रहा है और यह बदलाव आगे भी जारी रहेगा। उन्होंने कहा कि यह रुख बराक ओबामा के समय से ही दिखने लगा था और ट्रंप ने इसे और भी स्पष्ट कर दिया है। तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रतिक्रिया में ट्रंप की जीत की सभी वजहें छिपी हैं। मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति चुनावों में जीत के लिए डोनाल्ड ट्रंप को बधाई दी। पीएम मोदी ने कहा, ‘मेरे मित्र डोनाल्ड ट्रंप को ऐतिहासिक चुनावी जीत पर हार्दिक बधाई। आपके पिछले कार्यकाल की सफलताओं की तरह ही, मैं भारत-अमेरिका की व्यापक वैश्विक और रणनीतिक साझेदारी को और मज़बूत करने के लिए हमारे सहयोग को आगे बढ़ाने के लिए उत्सुक हूं. आइए मिलकर अपने लोगों के कल्याण, वैश्विक शांति, स्थिरता और समृद्धि के लिए काम करें।’

तो अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव के लिए हुए मतदान में डोनाल्ड ट्रंप ने जीत हासिल की है। अब डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका के राष्ट्रपति बनेंगे। इस बीच भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर कैनबरा में एक कार्यक्रम में चिंता जताते नजर आए, उनके साथ ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के विदेश मंत्री भी थे। जयशंकर ने कहा कि अमेरिका में यह बदलाव बराक ओबामा के समय से ही दिखने लगा था। जयशंकर ने यह भी कहा कि अमेरिका को समझने के लिए सिर्फ उसके मौजूदा राष्ट्रपति की विचारधारा को नहीं देखना चाहिए, बल्कि अमेरिका के राष्ट्रीय हितों को भी समझना चाहिए। जयशंकर ने कहा, ‘अगर हम वास्तव में उनका विश्लेषण कर रहे हैं, तो हमें एक ऐसी दुनिया के लिए तैयार रहना होगा जहां वास्तव में उस तरह का प्रभुत्व और उदारता जो शुरुआती दिनों में अमेरिका के पास थी, जारी न रहे।’

अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप ने कमला हैरिस को हराकर बंपर वोटों जीत हासिल की है। उनकी इस जीत के पीछे कई कारण गिनाए जा रहे हैं। जिनमें व्हाइट अमेरिकी वोटों का ध्रुवीकरण, मुसलमानों का डेमोक्रेटिक पार्टी से मोहभंग, अप्रवासियों पर बाइडन प्रशासन की नीति जैसे मुद्दे काफी अहम हैं। टक्कर का अपेक्षित मुकाबला कहीं नहीं दिखा।डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिकी प्रेसीडेंट चुनाव में उपराष्ट्रपति कमला हैरिस को अपेक्षाकृत आसानी से हराया। इस चुनाव की तरह कभी राष्ट्रवाद का मुद्दा इतना मजबूत नहीं रहा था। डोनाल्ड ट्रंप ने खुद को सबसे बड़े राष्ट्रवादी नेता के रूप में स्थापित किया। उन्होंने वोटर तक संदेश देने में सफलता पायी कि वे अमेरिकी हितों की रक्षा करने वाले सबसे बड़े नेता है। वे पूरे विश्व में अमेरिका की साख फिर से स्थापित कर सकते हैं। उन पर रैली में हुआ हमला संजीवनी साबित हो गया। ट्रंप ने इस चुनाव में अमेरिका में अवैध तरीके से आने वाले लोगों को बहुत बड़ा मुद्दा बनाया। उन्होंने चुनाव जीतने पर अवैध रूप से रह रहे लाखों गैर अमेरिकी को बाहर निकालने का वादा किया है। उन्होंने अमेरिकी नागरिकता लेने के कानून को भी सख्त करने का वादा किया है कि ताकि अमेरिकी लोगों का हक नहीं काटा जा सके। इस मुद्दे पर उन्हें अपार समर्थन मिला है और इसका असर उनके पहले कार्यकाल से ज्यादा आक्रामक तौर पर इंटरवल के बाद इस दूसरे कार्यकाल में देखने को मिलने वाला है। इस चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप की बड़ी जीत के पीछे बड़ा कारण उनके पक्ष में ह्वाइट महिलाओं का पक्ष में बना रहना भी माना जा रहा है। कमला हैरिस और डेमोक्रेट्स ने इस चुनाव में गर्भपात कानून के बहाने महिला मुद्दे के बहाने ट्रंप को घेरने की पूरी कोशिश की थी। लेकिन ट्रंप ने खासकर ह्वाइट महिलाओं को यह समझाने में सफलता पायी कि उनके लिए गर्भपात अकेला मुद्दा नहीं है। अमेरिकी राष्ट्रपति के इस चुनाव में महंगाई और खराब आर्थिक हालात बहुत बड़ा मुद्दा बन गया। तो डेमोक्रेट्स ने मौजूदा राष्ट्रपति बाइडेन की जगह उपराष्ट्रपति कमला हैरिस को राष्ट्रपति उम्मीदवार बनाने में बहुत देर कर दी थी, जिसका असर सामने है।

खैर भारतीय मूल की कमला हैरिस का हारना भारतीयों के मन को हैरत में डाल रहा है। तो अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में ट्रंप कार्ड एक बार फिर दुनिया में डोनाल्ड नीति का असर दिखाने वाला है। यह काफी उथल-पुथल वाला साबित हो सकता है। पर फिलहाल वैश्विक शांति दुनिया में ट्रंप कार्ड बन डोनाल्ड का राजतिलक कर चुका है…।