8 वर्षीय बच्चे से अप्राकृतिक कृत्य करने वाले आरोपी को दोहरा आजीवन कारावास

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नीमच से रमेश राठौर जोगमाया की रिपोर्ट

Neemach: विशेष न्यायाधीश (पाॅक्सो एक्ट), नीमच द्वारा 8 वर्षीय बालक से अप्राकृतिक कृत्य करने वाले आरोपी तेज बहादुर सिंह पिता जयसिंह चैहान, उम्र-37 वर्ष को धारा 377 भारतीय दण्ड संहिता, 1860 एवं धारा 3/4 लैंगिक अपराधों से बालको का सरंक्षण अधिनियम, 2012 के अंतर्गत दोषी पाते हुए दोहरे आजीवन कारावास एवं कुल 10 हजार रुपए जुर्माने से दण्डित किया।

विशेष लोक अभियोजक जगदीश चौहान ने घटना की जानकारी देते हुए बताया कि पीड़ित बालक 8 वर्ष का होकर जिला प्रतापगढ़ (राजस्थान) में निवास करता हैं। 02.सितम्बर.2020 को पीड़ित बालक उसके परिवार के सदस्यों के साथ नीमच आया हुआ था। पीड़ित के परिजनों को जो न्यायालयीन कार्य था वह स्थानीय अवकाश होने से नहीं हो पाया, जिस कारण वह पीड़ित को आरोपी के घर पर छोड़कर वापस चले गये थे।

अगले दिन पीड़ित के परिजन न्यायालयीन कार्य समाप्त कर वापस पीडित को प्रतापगढ़ ले गए जहां जाकर पीड़ित बालक की तबियत खराब होने पर देखा की उसकी गुदा में खून आ रहा था। पीड़ित से इस संबंध में पूछताछ करने पर उसने बताया 02.सितम्बर.2020 को देर रात्रि को आरोपी द्वारा डरा-धमका कर उसके साथ अप्राकृतिक कृत्य किया गया।

मामले में पीड़ित के परिजनों ने थाना प्रतापगढ़ (राजस्थान)में आरोपी के विरूद्ध जीरो पर एफआईआर दर्ज की गई।
इस बात पर आरोपी के विरूद्ध असल अपराध 353/2020, धारा 377 भारतीय दण्ड संहिता, 1860 एवं धारा 3/4 लैंगिक अपराधों से बालकों का सरंक्षण अधिनियम, 2012 के अंतर्गत थाना नीमच सिटी में पंजीबद्ध किया गया।

पुलिस नीमच सिटी द्वारा अपराध की विवेचना करते हुए आरोपी को गिरफ्तार कर व पीड़ित बालक का मेडिकल कराते हुए उसकी उम्र के संबंध में आवश्यक दस्तावेज एकत्रित करते हुए आवश्यक अनुसंधान पूर्ण करते हुए अभियोग पत्र विशेष न्यायालय (पाॅक्सो एक्ट) नीमच में पेश किया। मामले की गंभीरता को देखते हुए इसे जघन्य एवं सनसनीखेज प्रकरण ठहराया गया।

अभियोजन द्वारा न्यायालय के समक्ष पीड़ित बालक सहित महत्वपूर्ण गवाहों के बयान कराकर आरोपी द्वारा 8 वर्षीय पीड़ित बालक के साथ अप्राकृतिक कृत्य किये जाने के अपराध को प्रमाणित कराकर उसके कठोर दण्ड से दण्डित किए जाने का निवेदन किया गया।

मामले में विशेष न्यायाधीश ने आरोपी को भारतीय दण्ड संहिता, 1860 की धारा 377 में आजीवन कारावास व 5 हजार रुपए जुर्माना एवं लैंगिक अपराधों से बालकों का सरंक्षण अधिनियम, 2012 की धारा 3/4 में आजीवन कारावास व 5 हजार रुपए जुर्माना, साथ ही आरोपी को दोहरे आजीवन कारावास व कुल 10 हजार रुपए जुर्माने से दण्डित करते हुए जुर्माने की कुल रकम 10 हजार रुपए को पीड़ित बालक को प्रतिकर के रूप में प्रदान किये जाने का आदेश भी दिया गया। मामले की पैरवी विशेष लोक अभियोजक जगदीश चौहान द्वारा की गई व सहयोग चंद्रकांत नाफडे, एडीपीओ द्वारा किया गया।