सम्पूर्ण रेल खण्ड की बजाय दो बड़े सेक्शन का ही दोहरीकरण उचित : अनिल झालानी

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सम्पूर्ण रेल खण्ड की बजाय दो बड़े सेक्शन का ही दोहरीकरण उचित : अनिल झालानी

रतलाम। “फंड की कमी से अटकी रेल लाइन के दोहरीकरण की योजना”,”विलम्ब के चलते डेढ़ गुनी हुई रेलवे दोहरीकरण योजना की लागत” इस तरह के शीर्षक अक्सर अखबारों की सुर्खियां बनते रहते हैं।

दोहरीकरण की आवश्यकता वाले रेलखंड में पूरे का दोहरीकरण करने की बजाय बीच के दोनों छोर के तरफ के दो बड़े सेक्शन (स्टेशन) की दूरी के सबसे लंबे भाग का दोहरीकरण किया जाना चाहिए। यह काम अभी लगने वाले समय से जल्द हो जाएगा वही पैसा भी कम लगेगा यह सुझाव भारत गौरव अभियान के संयोजक अनिल झालानी ने दिया। उन्होंने बताया कि इससे पूरे ट्रेक के दोहरीकरण जैसा ही उपयोग किया जा सकेगा क्योंकि दोनों तरफ से ट्रेनों को बीच वाले सेक्शन पर विपरीत दिशा में क्रासिंग करके चला सकेंगे।

 

झालानी कहते हैं कि दोहरीकरण में आने वाली समस्याओं के निराकरण के लिए जुलाई 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व तत्कालीन रेल मंत्री सुरेश प्रभु को पत्र लिखा था।ऐसा करने से लागत कम लगेगी, वहीं संचालन और संधारण का खर्च भी बचेगा।

 

पीएम नरेन्द्र मोदी को यह सुझाव भेजने के चार माह बाद उन्हें जब यह समाचार प्राप्त हुआ कि आर्थिक मामलों की मंत्री मण्डल समिति ने कोरापुट-सिंगापुर रेल सेक्शन के दोहरीकरण की योजना को 2361.74 करोड़ की स्वीकृती दी, तब झालानी ने 21 नवंबर 2015 को पुन: पीएम नरेन्द्र मोदी को पत्र लिख कर इस योजना में दो हजार करोड़ रुपए बचाने का सुझाव दिया था। झालानी ने अपने पत्र में कहा कि यदि उनके सुझाव पर अमल किया जाता है, तो फिलहाल देश के दो हजार करोड़ रुपए बच सकते हैं और योजना का 60-70 प्रतिशत लाभ भी जल्दी मिलने लगेगा।

 

इस पत्र की प्रतिलिपि तत्कालीन वित्त मंत्री स्वर्गीय अरुण जेटली और रेलवे बोर्ड के चैयरमेन को भी प्रेषित की थी। इसी प्रकार का स्मरण पत्र 15 जून 2016 को प्रधानमंत्री और रेलमंत्री को प्रेषित किया था। 28 जून 2021 को रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष को पूर्व में प्रेषित समस्त पत्रों की प्रतिलिपियां प्रेषित कर रेल लाइनों के दोहरीकरण के लिए आवश्यक धनराशि के प्रबन्ध में आने वाली समस्या के निराकरण के लिए उनके द्वारा भेजे गए सुझाव पर अमल करने का आग्रह किया था। उन्हें आज भी उम्मीद हैं कि भारत सरकार और रेल प्रशासन उनके इस उपयोगी सुझाव को अमल में लाकर ट्रेनों के परिचालन में आने वाली कठिनाइयों को दूर करेगा और कम लागत में अधिक से अधिक लाभ लेने वाले सुझावों को लागू किया जाएगा।