New Delhi : जम्मू-कश्मीर में पड़ितों को टारगेट बनाने की बढ़ती घटनाओं से सरकार चिंतित हो गई।
इसे देखते हुए आज गृहमंत्री अमित शाह (Amit Shah) और प्रधानमंत्री के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल (Ajit Doval) के बीच मुलाकात हुई।
शुक्रवार को भी कश्मीर मुद्दे पर केंद्र सरकार की हाई लेवल मीटिंग होना है। दो हफ्ते के अंतराल में इस तरह की ये दूसरी मीटिंग होगी।
इस मीटिंग में जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा के अलावा केंद्र सरकार और केंद्र शासित प्रदेश के वरिष्ठ अधिकारी हिस्सा लेंगे। जम्मू-कश्मीर में हाल में गैर-मुस्लिमों की टारगेट किलिंग के मामले बढ़े हैं।
आतंकियों ने चुन-चुनकर गैर-मुस्लिमों को निशाना बनाया है।
इसने कश्मीरी पंडितों और गैर-मुस्लिमों में दहशत पैदा हो गई। कश्मीरी पंडितों के सामूहिक पलायन की तैयारी की खबरें आने लगी।
डोभाल और शाह मीटिंग
जब कश्मीर में हालात बेकाबू हो रहे हैं, ऐसे में अजित डोभाल और शाह की मीटिंग काफी महत्वपूर्ण हो जाती है। दोनों मिलकर कश्मीर में शांति बहाली का रोडमैप तैयार कर सकते हैं।
सरकार की सबसे बड़ी चुनौती कश्मीरी पंडितों का भरोसा जीतने की है। कश्मीरी पंडितों की चुन-चुनकर हुई सिलसिलेवार हत्याओं के मामलों ने उनका भरोसा डगमगा दिया है।
उन्हें लगने लगा है कि सरकार ने उन्हें मरने के लिए अकेला छोड़ दिया। अमरनाथ यात्रा भी शुरू होने वाली है। यह यात्रा इसी महीने के अंत से शुरू होगी और 11 अगस्त को इसके समाप्त होने की उम्मीद है।
ये सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती है। इसे देखते हुए गृहमंत्री अमित शाह तीन जून को कश्मीर की स्थिति की समीक्षा करेंगे।
हमलों से सहमी है घाटी
बढ़ती घटनाओं से कश्मीर में सुरक्षा का मसला गरमा गया है। विपक्ष भी इस मुद्दे पर सरकार पर लगातार हमले कर रहा है। मंगलवार को आतंकियों ने कुलगाम में जम्मू क्षेत्र के सांबा जिले की रहने वाली एक महिला शिक्षक सहित तीन लोगों को मार दिया था। 18 मई को आतंकवादियों ने उत्तरी कश्मीर के बारामूला में एक शराब की दुकान में प्रवेश कर एक ग्रेनेड फेंका।
इसमें जम्मू क्षेत्र के एक व्यक्ति की मौत हुई थी और 3 घायल हो गए थे।
24 मई को श्रीनगर में एक पुलिसकर्मी सैफुल्लाह कादरी की उनके आवास के बाहर गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। 22 मई को बडगाम में एक टीवी कलाकार अमरीन भट्ट को गोली मार दी गई थी।
इसके पहले 12 मई को आतंकवादियों ने मध्य कश्मीर के बडगाम जिले के चदूरा इलाके में कश्मीरी पंडित राहुल भट्ट की हत्या हुई।
इसके बाद से ही कश्मीरी पंडित घाटी में उनका ट्रांसफर सुरक्षित स्थान पर करने को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं। इन्हें प्रधानमंत्री पैकेज के तहत नौकरी मिली हैं।
बुधवार को खबरें मिली कि कश्मीरी पंडित कर्मचारियों के एक समूह ने घाटी में गैर मुस्लिम कर्मचारियों की टारगेट किलिंग के खिलाफ सामूहिक पलायन की तैयारी शुरू कर दी।
समूह ने बताया था कि वे ट्रक-मालिकों से मिल रहे हैं, जहां वे उनके समान को ले जाने के भाड़े पर बातचीत करेंगे।
विपक्ष ने सरकार पर उंगली उठाई
नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने कहा है कि कश्मीर में सेना और पुलिस के जरिए शांति बहाल नहीं की जा सकती।
उन्होंने गंभीर स्थिति से निपटने का रास्ता खोजने के लिए सभी राजनीतिक दलों के साथ आने की पुरजोर वकालत की है। कहा है कि लोग अपने परिवारों की सुरक्षा चाहते हैं।
अब्दुल्ला ने सरकार से आगामी अमरनाथ यात्रा के दौरान बहुत सतर्क रहने को कहा है। उनके मुताबिक, अगर यात्रा के दौरान एक भी अप्रिय घटना होती है, तो इसके देशव्यापी परिणाम होंगे।
टारगेट किलिंग के मुद्दे पर विपक्ष सरकार पर हमलावर है। बुधवार को दिल्ली के CM अरविंद केजरीवाल ने घाटी में कश्मीरी पंडितों के लिए पर्याप्त सुरक्षा की मांग की थी।
केजरीवाल ने संवाददाता सम्मेलन में कहा था कि आतंकवादी ताकतें जम्मू-कश्मीर में सांप्रदायिक सौहार्द नहीं चाहती हैं। इसीलिए कश्मीरी पंडित समुदाय के लोगों को निशाना बनाया जा रहा है।
उनकी हत्या की जा रही है। इससे 90 के दशक में हुई घटनाओं की याद ताजा हो जाती है। कांग्रेस ने भी इसे मुद्दे को लेकर सरकार को घेरा है।