पद्मविभूषण संतूर वादक पंडित शिवकुमार शर्मा (Pandit Shivkumar Sharma) का निधन शास्त्रीय संगीत की बड़ी क्षति

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पद्मविभूषण संतूर वादक पंडित शिवकुमार शर्मा का निधन शास्त्रीय संगीत की बड़ी क्षति

पद्मविभूषण संतूर वादक पंडित शिवकुमार शर्मा (Pandit Shivkumar Sharma) का निधन शास्त्रीय संगीत की बड़ी क्षति;

सुरों के साधक एवं लोकवाद्य यंत्र संतूर वादक पंडित शिवकुमार शर्मा नहीं रहे । वे 84 वर्ष के थे और किडनी रोग से पीड़ित थे । मंगलवार सुबह मुंबई में हृदयाघात से उनका निधन होगया ।

इसके साथ ही जम्मू कश्मीर के लोकवाद्य संतूर को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने वाले एकमात्र संगीतज्ञ पंडित शिवकुमार शर्मा की कमी हमेशा रहेगी ।
पद्मविभूषण अलंकृत पंडित शर्मा का जन्म जम्मू में जनवरी 1938 में हुआ । आपके पिता पंडित उमादत्त शर्मा जाने माने संगीतकार गायक थे ।

पद्मविभूषण संतूर वादक पंडित शिवकुमार शर्मा का निधन शास्त्रीय संगीत की बड़ी क्षति

5 साल की उम्र से ही पिता द्वारा संगीत की शिक्षा दीक्षा दी ।
आरम्भ से ही सुर साधना और तबला संगत सीखा ।
मात्र तेरह वर्ष की आयु में सन 1955 को मुंबई में प्रथम सार्वजनिक संगीत प्रदर्शन किया और वाह वाह बटोरी ।

मधुर और हृदय को झंकृत करने वाला वाद्य संतूर इतनी निपुणता से बजाते थे पंडित शिवकुमार शर्मा की सुनने वाले सुर और संगीत की दुनिया में खोजाते ।

मुंबई में बांसुरी वादक लेजेंड हरिप्रसाद चौरसिया के साथ जुगलबंदी विश्व भर के संगीत में विशिष्ट स्थान रखती है ।
युगल जोड़ी ने ” काल ऑफ वेली ” एक अल्बम जारी किया जो आज भी हृदय को छू लेता है ।

फिल्मों में भी संगीत दिया और शास्त्रीय संगीत को स्थापित करने में भूमिका निर्वहन की । यूं तो कोई 8 फिल्मों में संगीत दिया पर सिलसिला , चांदनी और लम्हे फिल्मों के संगीत की गूंज अबतक बनी हुई है । बांसुरी वादक पंडित हरिप्रसाद चौरसिया के साथ बनी ” शिव – हरि ” की जोड़ी ने प्रतिष्ठा प्राप्त की ।
पंडित शिवकुमार शर्मा के निधन से यह जोड़ी टूट गई ।

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पंडित जी से चर्चा को स्मरण करते हुए भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित की है ।

उज्जैन के अंतरराष्ट्रीय कालिदास समारोह में पद्मविभूषण पंडित शिवकुमार शर्मा ने दो मर्तबा संतूर स्वर लहरियों का कालजयी प्रदर्शन किया ।

कालिदास अकादमी उज्जैन के कार्यक्रम प्रभारी श्री अनिल बारोद कहते हैं पंडित जी का सानिध्य ही संगीत की खुशबू घोल देता है ।
स्वर और सुरों के साथ वे बेहद पवित्र थे । उनकी कमी महसूस होती रहेगी
संतूर वाद्य बहुत मेलोडियस और मन को छूलेने वाला है । देश ही नहीं विदेशों में भी उनके शिष्य और असंख्य चाहनेवाले हैं ।

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लेखक को भी नई दिल्ली के हेरिटेज रिसोर्ट में प्रत्यक्ष संतूर वादन सुनने का सौभाग्य मिला । चपलता से और स्वर लहरियों के उतार चढ़ाव ने तबले की संगत में समा बांध दिया ।

सुर साधक ही नहीं सुदर्शन और बेहद शिष्ट व्यक्तित्व रहा पंडित जी का ।
अवर्णनीय संगीत की दुनिया में हम जैसे असंख्य संगीत प्रेमी साक्षी रहे ।

नाद ब्रह्म के उपासक और संगीत साधक पंडित शिवकुमार शर्मा का निधन शास्त्रीय संगीत विधा की अपूरणीय क्षति है ।
विनम्र श्रद्धांजलि ।