Dress Code in Siddhi Vinayak Temple : मुंबई के 223 साल पुराने सिद्धि विनायक मंदिर में छोटे कपड़ों और कटी-फटी जींस में प्रवेश बंद!

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Dress Code in Siddhi Vinayak Temple : मुंबई के 223 साल पुराने सिद्धि विनायक मंदिर में छोटे कपड़ों और कटी-फटी जींस में प्रवेश बंद!

श्रद्धालुओं की आपत्ति के बाद मंदिर प्रशासन का फैसला!

Mumbai : यहां के श्री सिद्धिविनायक मंदिर में अब भक्त कोई भी कपड़े पहनकर दर्शन के लिए प्रवेश नहीं पा सकेंगे। मंदिर प्रशासन ने भक्तों के लिए ड्रेस कोड लागू कर दिया। अब दर्शन करने आने वालों को छोटे कपड़ों में प्रवेश नहीं दिया जाएगा। मंदिर प्रशासन की बैठक में भक्तों के ड्रेस कोड को लेकर फैसला लिया गया। मंदिर में शॅार्ट कपड़ों पर पाबंदी लगाई गई है। अब मिनी स्कर्ट, कटी-फटी जींस और अल्ट्रा मॉर्डन कपड़े पहनकर आने वाले श्रद्धालुओं का प्रवेश वर्जित रहेगा।

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मंदिर प्रशासन ने लोगों से अपील करते हुए कहा है कि जैसे वो अपने घर में उत्सव या त्योहार के समय कपड़े पहनते हैं, वैसी ही श्रद्धा से मंदिर में आएं। इससे पहले प्लास्टिक पर पाबंदी लगाई थी। सिद्धिविनायक मंदिर में प्रसाद के लिए पहले प्लास्टिक के पैकेज का इस्तेमाल होता था। अब पूरी तरह से प्लास्टिक की जगह पर कागज के पैकेट इस्तेमाल में लाए जा रहे हैं। सिद्धिविनायक मंदिर ने भले ही अब ड्रेस कोड को लागू किया है। देश के कई मंदिरों में पहले से परिधान निर्धारित हैं। इनमें दक्षिण के काफी मंदिर शामिल हैं।

इसके पीछे ट्रस्ट की क्या दलील

श्री सिद्धिविनायक गणपति मंदिर ट्रस्ट (एसएसजीटीटी) ने एक बयान में कहा है कि ड्रेस कोड का निर्णय अन्य भक्तों को असुविधा पहुंचाने वाले अनुचित कपड़ों के बारे में कई शिकायतों के बाद लिया गया। आदेश के मुताबिक कटी या फटी पेंट, मिनी स्कर्ट या ऐसे कपड़े जिनमें शरीर के अंगों का ज्यादातर हिस्सा दिखाई देता है, वे पहनकर नहीं आया जा सकेगा। ऐसे कपड़े पहनकर आने वाले भक्तों को मंदिर में प्रवेश नहीं मिलेगा।

सिद्धिविनायक मंदिर 223 साल पुराना

मुंबई का सिद्धिविनायक मंदिर 223 साल पुराना है। इसका निर्माण 1801 में हुआ था। सिद्धिविनायक के भक्त पूरी दुनिया में फैले हुए हैं। यहां पर हिंदू ही नहीं बल्कि हर धर्म के लोग दर्शन के लिए पहुंचते हैं। ट्रस्ट ने कहा कि मंदिर में देशभर से प्रतिदिन हजारों भक्त आते हैं और कई आगंतुकों ने परिधानों के बारे में चिंता व्यक्त की थी, जो उन्हें पूजा स्थल में अपमानजनक लगते हैं।