फिल्म समीक्षा: ‘एक लम्बर’ है ‘दृश्यम 2’  : गड़ा मुर्दा उखाड़ लिया 

‘एक लम्बर’ है ‘दृश्यम 2’  : गड़ा मुर्दा उखाड़ लिया 

अगर आपने दृश्यम दृश्यम देखी होगी तो आप जानते ही होंगे कि 2 अक्टूबर को गांधी व शास्त्री जयंती मनाई जाती है। यह ड्राई डे भी होता है। और इसके अलावा 2 अक्टूबर को ही विजय सालगांवकर पणजी गया था सत्संग में।  इसमें परिवार के साथ पाव-भाजी खाई थी और ‘पिच्चर’  भी देखी थी।
दृश्यम 2 में कहानी आगे बढ़ती है और गड़ा मुर्दा उखाड़ लिया जाता है। फिल्म का बहुप्रचारित  ट्रेलर बताता है कि विजय सालगांवकर यानी अजय देवगन ने पुलिस बयान  में  कैमरे के सामने अपराध स्वीकार कर लिया है लेकिन अंत आते-आते फिल्म की कहानी एक और मोड़ लेती है और गैर इरादतन हत्यारे के लिए  दर्शक ताली बजाते हैं।  हीरो की एक अपील करती है कि मेरा परिवार मेरे लिए सबकुछ है और मैं उसकी रक्षा के लिए किसी भी हद तक जा सकता हूँ।
दृश्यम 2  सभी कलाकार इसमें हैं : अजय देवगन,तब्बू, श्रिया सरन, इशिता  दत्ता, मृणाल जाधव, रजत कपूर, कमलेश सामंत (गायतोंडे), आदि।  इसमें अक्षय खन्ना और सौरभ शुक्ला की नई भर्ती हुई है।  लोकेशन भी लगभग वही हैं।  प्रमोशन हुआ है तो अजय देवगन का।  वह केबल ऑपरेटर होने के साथ ही सिनेमाघर का मालिक भी हो गया है और फिल्म बनाने की योजना भी बना रहा है। सात साल पहले की फिल्म में अजय देवगन की दोनों बेटियां  हैं और वे उस पुराने दुःस्वप्न से मुक्त नहीं हुई है।
Drishyam 2
अक्षय खन्ना ने फिल्म में खल्वाट लोगों की इज़्ज़त रख ली।  विग नहीं पहना।  इससे असल में गंजे  आईजी का लुक आ गया।  थोड़ी ओवरएक्टिंग की उन्होंने।  श्रिया सरन ने अजय देवगन की घबराई, परेशान, अल्पशिक्षित पत्नी की भूमिका की है और उनके  चेहरे पर उपेक्षा से दुखी, त्रासदी भोग रही के चहरे वाले भाव बहुत प्रभावी रहे हैं।
कसी हुई कहानी, चुस्त निर्देशन, शानदार अभिनय इस फिल्म के रोमांच को बढ़ा देता है। पुलिस के साथ ही दर्शकों की रुचि भी गड़ा मुर्दा उखाड़ने में होती है। दर्शक कुर्सी से चिपका रहता है।
अगर आपने पुरानी दृश्यम देखी हो तो यह आपको अच्छी लगेगी। साफ़- सुथरी लेकिन रोमांच से भरी पारिवारिक फिल्म  है दृश्यम 2 ।  एक ‘लम्बर’ ।
( नोट : मैं किसी भी फिल्म का पीआरओ नहीं हूँ।  न ही यह कोई पेड रिव्यू है।  मुझे जैसी लगी, लिखा है। – प्रकाश हिन्दुस्तानी )
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डॉ. प्रकाश हिन्दुस्तानी

डॉ. प्रकाश हिन्दुस्तानी जाने-माने पत्रकार और ब्लॉगर हैं। वे हिन्दी में सोशल मीडिया के पहले और महत्वपूर्ण विश्लेषक हैं। जब लोग सोशल मीडिया से परिचित भी नहीं थे, तब से वे इस क्षेत्र में कार्य कर रहे हैं। पत्रकार के रूप में वे 30 से अधिक वर्ष तक नईदुनिया, धर्मयुग, नवभारत टाइम्स, दैनिक भास्कर आदि पत्र-पत्रिकाओं में कार्य कर चुके हैं। इसके अलावा वे हिन्दी के पहले वेब पोर्टल के संस्थापक संपादक भी हैं। टीवी चैनल पर भी उन्हें कार्य का अनुभव हैं। कह सकते है कि वे एक ऐसे पत्रकार है, जिन्हें प्रिंट, टेलीविजन और वेब मीडिया में कार्य करने का अनुभव हैं। हिन्दी को इंटरनेट पर स्थापित करने में उनकी प्रमुख भूमिका रही हैं। वे जाने-माने ब्लॉगर भी हैं और एबीपी न्यूज चैनल द्वारा उन्हें देश के टॉप-10 ब्लॉगर्स में शामिल कर सम्मानित किया जा चुका हैं। इसके अलावा वे एक ब्लॉगर के रूप में देश के अलावा भूटान और श्रीलंका में भी सम्मानित हो चुके हैं। अमेरिका के रटगर्स विश्वविद्यालय में उन्होंने हिन्दी इंटरनेट पत्रकारिता पर अपना शोध पत्र भी पढ़ा था। हिन्दी इंटरनेट पत्रकारिता पर पीएच-डी करने वाले वे पहले शोधार्थी हैं। अपनी निजी वेबसाइट्स शुरू करने वाले भी वे भारत के पहले पत्रकार हैं, जिनकी वेबसाइट 1999 में शुरू हो चुकी थी। पहले यह वेबसाइट अंग्रेजी में थी और अब हिन्दी में है।

डॉ. प्रकाश हिन्दुस्तानी ने नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने पर एक किताब भी लिखी, जो केवल चार दिन में लिखी गई और दो दिन में मुद्रित हुई। इस किताब का विमोचन श्री नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के एक दिन पहले 25 मई 2014 को इंदौर प्रेस क्लब में हुआ था। इसके अलावा उन्होंने सोशल मीडिया पर ही डॉ. अमित नागपाल के साथ मिलकर अंग्रेजी में एक किताब पर्सनल ब्रांडिंग, स्टोरी टेलिंग एंड बियांड भी लिखी है, जो केवल छह माह में ही अमेजॉन द्वारा बेस्ट सेलर घोषित की जा चुकी है। अब इस किताब का दूसरा संस्करण भी आ चुका है।