
Jaipur की सड़क पर मौत का डंपर: नशे में दौड़ता पहिया बना 14 जिंदगियों का कातिल
दीवाली की छुट्टी से लौटे ड्राइवर ने चार मिनट में उजाड़ दिए कई घर, जयपुर हादसे ने फिर उठाए सवाल- शराब, सड़कों और सिस्टम पर
Jaipur: राजधानी जयपुर की सड़कों पर सोमवार को जो कुछ हुआ, उसने पूरे प्रदेश को सन्न कर दिया। दोपहर के करीब ढाई बजे हरमाड़ा थाना क्षेत्र की लोहा मंडी रोड पर एक डंपर ने सिर्फ चार मिनट में ऐसा कहर बरपाया कि सड़क पर मौत का सन्नाटा छा गया। 28 लोगों को रौंदने के बाद 14 लोगों की जान चली गई और कई घर हमेशा के लिए उजड़ गए।
जांच में सामने आया कि यह डंपर विराटनगर के कल्याण मीणा चला रहा था, वही कल्याण मीणा जो दिवाली की छुट्टियों के बाद सोमवार सुबह ही अपने काम पर लौटा था। सुबह शाहपुरा में दोस्तों के साथ शराब पी, फिर 64 किलोमीटर बाइक चलाकर बैनाड़ पहुंचा और वहां से अपनी कंपनी अलंकार कंस्ट्रक्शन के डंपर की चाबी ली। कुछ ही देर में उसने पहले एक कार को ठोका, लोगों ने रोकने की कोशिश की, तो गुस्से में उसने डंपर रॉन्ग साइड भगाना शुरू कर दिया।

दृश्य इतना भयावह था कि जिसने देखा, वह थर्रा गया। डंपर की रफ्तार 100 किलोमीटर प्रतिघंटा तक पहुंच चुकी थी। रास्ते में उसने पांच कारें, आठ बाइक और एक ट्रेलर तक को कुचल डाला। सड़क पर 350 मीटर तक टूटी बाइकों, फटे कपड़ों और बिखरे शवों का मंजर देखकर लोग चीख पड़े।
हादसे की जड़: शराब और सिस्टम की चूक
पुलिस की प्रारंभिक रिपोर्ट ने साफ़ किया कि चालक पूरी तरह नशे में था। मेडिकल जांच में भी यह साबित हुआ। सवाल यह है कि इतना बड़ा वाहन बिना किसी सुरक्षा जांच या फिटनेस क्लियरेंस के सड़क पर कैसे दौड़ गया। न तो कंपनी ने जांच की, न पुलिस नाके पर कोई रोकथाम हुई।

डंपर चालक कल्याण मीणा पिछले आठ साल से इसी कंपनी का कर्मचारी था। गांव से लौटते वक्त उसने दोस्तों से कहा था कि “आज तो शहर में डंपर उड़ाऊंगा।” कुछ ही घंटों बाद वही डंपर कई परिवारों की जिंदगी उजाड़ गया।
सरकारी कार्रवाई और गुस्सा
हादसे के बाद हरमाड़ा थाना पुलिस ने आरोपी को भीड़ से बचाते हुए हिरासत में लिया। उस पर गैर इरादतन हत्या का मामला दर्ज किया गया है। सरकार ने जांच के लिए सात सदस्यीय समिति गठित कर दी है, जबकि मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने मृतकों के परिवारों को आर्थिक सहायता देने की घोषणा की है। फिर भी, जनता के मन में सवाल गहरे हैं – क्या सड़कें अब सुरक्षित हैं? क्या भारी वाहन चालकों की नियमित मेडिकल जांच अनिवार्य नहीं होनी चाहिए?

जब सड़कें कब्रिस्तान बन जाती हैं
Jaipur का यह हादसा कोई पहला नहीं है। बीते तीन महीनों में ही राजस्थान में 70 से ज़्यादा लोग ट्रक और डंपर हादसों में मारे जा चुके हैं। लेकिन यह घटना इसलिए अलग है, क्योंकि इसमें लापरवाही, नशा और सिस्टम की खामियां- तीनों एक साथ उजागर हुई हैं।
हादसे के गवाह कहते हैं, “वह पल याद आते हैं तो रोंगटे खड़े हो जाते हैं। डंपर सामने से आता दिखा और अगले ही सेकंड सब खत्म हो गया।”

जयपुर की इस त्रासदी ने एक बार फिर यह सिखाया कि सिर्फ सड़कों को चौड़ा करना काफी नहीं, बल्कि सड़क अनुशासन और जवाबदेही को भी उतना ही मजबूत बनाना होगा। वरना अगली बार यह मौत का पहिया किसी और की जिंदगी कुचल सकता है।





