ED Action : 110 करोड़ के लोन घोटाले व मनी लांड्रिंग केस में बड़े उद्योगपति की 26.53 करोड़ की प्रापर्टी कुर्क

जानिए इस मामले का इंदौर-रतलाम कनेक्शन!

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ED Action : 110 करोड़ के लोन घोटाले व मनी लांड्रिंग केस में बड़े उद्योगपति की 26.53 करोड़ की प्रापर्टी कुर्क!

Ratlam/jaora : प्रवर्तन निदेशालय (ED) की टीम ने बड़ी कार्रवाई करते हुए नारायण निर्यात इंडिया कंपनी और उससे जुड़े संस्थानों की 26.53 करोड़ रुपए की प्रॉपर्टी की जब्त की है। इससे पहले CBI ने भोपाल में नारायण निर्यात इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के डायरेक्टर कैलाशचंद्र गर्ग और उनके सहयोगियों के खिलाफ केस दर्ज किया। जिसके बाद CBI अधिकारियों ने इनका कोर्ट में चालान पेश किया था। इस प्रापर्टी जब्त करने का असर रतलाम जिले पर भी हुआ है, क्योंकि कुछ प्रापर्टी रतलाम के जावरा में भी हैं। पूरा मामला करीब 5 माह पूर्व इंदौर में हुई एक छापेमारी से जुड़ा हुआ है।

करीब 5 माह पूर्व जनवरी माह में ED की एक टीम ने इंदौर में प्रॉपर्टी डीलर रितेश उर्फ चंपू अजमेरा और उद्योगपति कैलाश गर्ग के ठिकानों पर भी सर्चिंग की थी। मामला सैटेलाइट हिल कॉलोनी समेत अन्य जमीन पर गर्ग द्वारा लिए कथित 110.5 करोड़ रुपए के लोन से संबंधित बताया गया था। इसमें से बैंक सिर्फ 4 करोड़ रुपए वसूल कर पाया था और 3 बैंकों के 106.58 करोड़ डूब गए। इसी मामले में यूको बैंक की शिकायत पर CBI ने 5 नवंबर 2020 में बैंक लोन घोटाले को लेकर मेसर्स नारायण निर्यात इंडिया प्राइवेट लिमिटेड कंपनी मंदसौर, सुरेश गर्ग, कैलाश गर्ग और 2 अन्य अज्ञात अधिकारियों के खिलाफ 120 बी और 420 में एफआईआर दर्ज की थी। कैलाश गर्ग जावरा वाली फर्म में भी डायरेक्टर हैं। शायद इसीलिए बैंक लोन घोटाले संबंधी जांच-पड़ताल के लिए ED की टीम यहां आई थी। इसके बाद ED की टीम रतलाम जिले में सुबह करीब 6 बजे जावरा में आई थी। यहां एक उद्योग में छापेमारी की थी। तब से अब तक इस मामले में अंदर की जांच चल ही थी अब बड़ा निर्णय हुआ है।

*इनकी प्रापर्टी जब्त*
ईडी ने शुक्रवार को इस मामले में बयान जारी किया है। बयान में कहा कि नारायण निर्यात इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के डायरेक्टर कैलाशचंद्र गर्ग और अन्य लोगों ने यूको बैंक से ग्रुप की विभिन्न कंपनियों के अलग-अलग प्रोजेक्ट के लिए 110.50 करोड़ रुपए का लोन लिया था। इस दौरान कंपनी इन लोगों ने लोन की राशि कंपनी पर खर्च ना करते हुए खुद की सुविधाओं पर खर्च किया। CBI ने जांच के बाद दावा किया कि लोन मंजूर कराने के लिए कंपनी द्वारा फर्जी दस्तावेज पेश किए गए। ED अफसरों के अनुसार कंपनी की मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में प्रॉपर्टी है. सभी 34 प्रापर्टी को जब्त किया गया है। जिसमें मध्य प्रदेश के इंदौर, जावरा, नीमच और महाराष्ट्र के अकोला में कंपनी की अलग-अलग प्रॉपर्टी शामिल हैं। यह प्रॉपर्टी कंपनी के संचालक कैलाशचंद्र गर्ग और उनके सहयोगियों ने यूको बैंक से मिले लोन से बनाई है। मालूम हो कि ED ने दस दिन पहले नारायण निर्यात इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के डायरेक्ट और सहयोगियों के खिलाफ केस दर्ज किया था। मामले की जांच के बाद इडी ने प्रॉपर्टी जब्त करने की कार्रवाई की है।

*ये हुआ था रतलाम में!*
रतलाम में जावरा स्थित सोया प्लांट पर प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने 5 माह पूर्व छापा मारा था। जनवरी माह में सुबह करीब 6 बजे इंदौर से टीम जावरा पहुंची थी। टीम जावरा स्थित अंबिका साॅल्वेक्स के सोया प्लांट इंडस्ट्रीज में सर्चिंग करने आई थी। इस दौरान कंपनी के सभी कर्मचारियों को बाहर कर दिया था, यहां तक की सभी के मोबाइल भी बंद करा दिए गए थे। इंदौर से 3 वाहनों में सवार होकर 8 से 10 सदस्य ईडी के आए थे। फैक्ट्री परिसर में इंदौर, गुजरात पासिंग नंबर की गाड़िया आई थी। कंपनी की मप्र के जावरा (रतलाम), मंदसौर, पथरिया व कालापीपल में और महाराष्ट्र के अकोला में प्रोडक्शन यूनिट संचालित हैं। ये कंपनी सोया प्रोडक्ट बनाती है, जिनमें सोयाबीन रिफाइंड ऑइल, सोयाबीन मील और लेसिथिन लिक्विड प्रोडक्ट शामिल हैं।

उत्पाद खरीद बिक्री के नाम लिया लोन और खरीद लीं अचल संपत्तियां!

कंपनी ने यह लोन सोया डी-ऑइल्ड केक खरीदने और इंटरनेशनल मार्केट में निर्यात के नाम लिया लेकिन इसका उपयोग मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र स्थित ग्रुप की सहयोगी कम्पनियों में अचल संपत्तियां खरीदने में कर लिया। जो मेसर्स मेडारिया मेडिकल टूरिज्म प्राइवेट लिमिटेड, मेसर्स मेपल ओवरसीज ट्रेड प्रायवेट लिमिटेड, मेसर्स वर्धमान साल्वेंट एक्सट्रेक्शन इंडस्ट्रीज लिमिटेड ( श्री अंबिका सॉलवेक्स सोया फेक्ट्री) आदि शामिल हैं जो रतलाम के जावरा, मंदसौर, इंदौर व महाराष्ट्र के अकोला में स्थित हैं। ईडी ने जांच के दौरान 34 कंपनियों को चिंहित कर कुर्क की हैं। बता दें कि कंपनी का पुराना पता इंदौर था जो बाद में बदलकर मंदसौर कर दिया गया।