ED Raid : इंदौर नगर निगम के फर्जी बिल घोटाला मामले में 18 ठिकानों पर ED की छापेमारी!

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ED Raid : इंदौर नगर निगम के फर्जी बिल घोटाला मामले में 18 ठिकानों पर ED की छापेमारी!

जानिए, किस-किस ठेकेदार के यहां ED की टीम पहुंची!

Indore : नगर निगम में हुए करोड़ों के फर्जी बिल और ड्रेनेज घोटाले में ईडी की छापामार कार्रवाई की। ईडी ने ठेकेदारों के 18 से ज्यादा ठिकानों छापे मारे। इस कार्रवाई में फर्जी बिल और ड्रेनेज घोटाले से जुड़े दस्तावेज भी जब्त किए गए। इस घोटाले में ऑडिट और लेखा विभाग के कर्मचारियों की मिलीभगत होने की भी बात सामने आई।

इंदौर में नगर निगम में हुए करोड़ों के फर्जी बिल और ड्रेनेज घोटाले में सोमवार को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) एक्शन में नजर आया। ईडी ने बड़े पैमाने पर छापेमारी की कार्रवाई को अंजाम दिया है। अधिकारियों ने सोमवार सुबह मामले के दोषियों के अलग अलग ठिकानों पर छापा मारा। इसमें ऑडिट, अकाउंट्स विभाग के कर्मियों के साथ नगर निगम ठेकेदारों के 18 से ज्यादा ठिकानों पर ईडी की कार्रवाई जारी है।

इनके यहां छापेमारी की गई

ईडी की टीम ने सुखदेव नगर में हरीश श्रीवास्तव, माणिकबाग में प्रो एहतेशाम खान, अशोका कॉलोनी के सकीना अपार्टमेंट में जाहिद खान, मदीना नगर में मोहम्मद साजिद, मोहम्मद सिद्दीकी व मोहम्मद जाकिर, आशीष नगर में राहुल वडेरा, रेणु वडेरा, महालक्ष्मी नगर अनिल गर्ग, अंबिकापुरी में राजकुमार पन्नालाल साल्वी, सुखलिया में उदयसिंह भदोरिया व अन्य लोगों पर ईडी की कार्रवाई की सूचना है। ईडी की तरफ से इस छापामार करवाई को लेकर कोई भी आधिकारिक जानकारी नहीं दी गई।

दस्तावेज जब्त किए जाने की जानकारी

जानकारी के मुताबिक फर्जी बिल घोटाले, ड्रेनेज घोटाले से जुड़े कई अहम और महत्वपूर्ण दस्तावेज, बैंक खातों, ट्रांजेक्शन की जानकारी इन आरोपियों घर से जब्त किए गए हैं। सुबह ही ईडी की टीमों ने इन आरोपियों के ठिकानों पर दस्तक दी। अधिकारियों ने पूरे घर की जमकर तलाशी ली। इसके बाद मामले से जुड़ी फाइलें व दस्तावेज लेकर रवाना हो गए। पिछले कई दिनों से प्रशासन के द्वारा घोटाले को लेकर लगातार कार्रवाई की जा रही है। पुरानी जांच में अहम तथ्य सामने आने के बाद अब ईडी ने इस कार्रवाई को अंजाम दिया है।

ठेकेदारों ने बिना काम किए फर्जी बिल लगाए

इस ड्रेनेज बिल घोटाले की राशि 120 करोड़ रु से ज्यादा बताई जा रही है। इस मामले 8 से ज्यादा ठेकेदारों ने बगैर काम किए फर्जी बिल लगाकर नगर निगम को नुकसान पहुंचाया है। इससे बड़ी बात यह है कि घोटाले में ऑडिट और लेखा विभाग के कर्मियों की मिलीभगत भी शामिल है। मामले की पुलिस भी अपने स्तर पर जांच कर रही है।