

ED Raid on Liquor Traders : फर्जी आबकारी चालान कांड में ED की छापेमारी इंदौर से भोपाल और जबलपुर तक!
Indore : प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की टीम ने सोमवार तड़के इंदौर के साथ भोपाल, जबलपुर और मंदसौर में शराब कारोबारियों और आबकारी अधिकारियों के यहां छापेमारी की। अचानक हुई इस कार्रवाई से हड़कंप मच गया। चार शहरों के 18 ठिकानों पर एक साथ यह छापेमारी की गई। इन सभी पर ट्रेजरी चालान में जालसाजी और हेरफेर कर सरकार को करोड़ों का चूना लगाने के आरोप हैं।
प्रदेश में ₹70 करोड़ से ज्यादा के आबकारी फर्जी बैंक चालान घोटाले में ईडी ने सोमवार को सुबह अलग-अलग शहरों के 18 ठिकानों पर एक साथ कार्रवाई की। ये कार्रवाई इंदौर, जबलपुर, भोपाल और मंदसौर में अभी भी जारी है। इस मामले की शिकायत प्रधानमंत्री कार्यालय को मिली थी, उसके बाद कार्रवाई में तेजी आई। मामला 2018 में सामने आया था। आरोप है कि आबकारी अधिकारियों और शराब कारोबारियों ने करोड़ों का फर्जीवाड़ा किया था। मामला 2018 में सामने आया, जिसमें आरोप है कि आबकारी विभाग के कुछ अधिकारियों की मिलीभगत से करोड़ों का फर्जीवाड़ा किया गया। अनुमान है कि घोटाले की रकम 100 करोड़ रुपए तक पहुंच सकती है। इस कार्रवाई में मध्य प्रदेश के किसी स्थानीय ईडी अधिकारी को शामिल नहीं किया गया, बल्कि दिल्ली और लखनऊ से आई टीमों ने कार्रवाई को अंजाम दिया।
पीएमओ तक पहुंची थी शिकायत
शराब घोटाले की जांच में 11 ऑडिटरों ने 1700 करोड़ रुपए के शराब चालानों की समीक्षा की, लेकिन अपेक्षित कार्रवाई नहीं हुई। इसके बाद आरटीआई कार्यकर्ता राजेंद्र गुप्ता ने फर्जी बैंक चालान घोटाले में ईडी अधिकारियों की भूमिका पर सवाल उठाते हुए प्रधानमंत्री कार्यालय से शिकायत की थी। इस पर कार्रवाई करते हुए पीएमओ ने जांच अधिकारियों को बदला और नए वरिष्ठ अफसरों को जांच सौंपी गई।
सारा फर्जीवाड़ा 2015 से 2018 के बीच हुआ
इंदौर जिला आबकारी विभाग में वर्ष 2015 से 2018 के बीच सरकारी गोदामों से शराब निकालने के लिए बनाए गए 194 बैंक चालानों में भारी गड़बड़ी पाई गई थी। छोटे-छोटे चालानों को बड़ा दिखाकर शराब उठाई गई और फिर सरकारी दुकानों के जरिये बेची गई। इस घोटाले को उजागर करने के बाद ईडी ने 2024 में जांच शुरू की थी। इस मामले में 12 अगस्त 2017 को रावजी बाजार पुलिस ने शराब ठेकेदारों समेत 14 लोगों पर धोखाधड़ी के आरोप में केस दर्ज किया था। ईडी ने आबकारी विभाग से आंतरिक जांच रिपोर्ट में ठेकेदारों से वसूली गई राशि और बैंक खातों का विवरण भी मांगा है।
आबकारी के कई अफसरों पर गाज गिरी
घोटाले में तत्कालीन जिला आबकारी अधिकारी संजीव दुबे सहित 6 अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया था। निलंबित अधिकारियों में डीएस सिसोदिया (लसूड़िया गोदाम प्रभारी), सुखनंदन पाठक (महू वेयरहाउस प्रभारी), सब इंस्पेक्टर कौशल्या सबवानी, हेड क्लर्क धनराज सिंह परमार और अनमोल गुप्ता शामिल हैं। साथ ही उपायुक्त विनोद रघुवंशी समेत 20 अन्य अधिकारियों का तबादला भी हुआ था।
गड़बड़ी में ये ठेकेदार आरोपी
इस घोटाले में जिन शराब कारोबारियों को आरोपी बनाया गया, उनमें एमजी रोड समूह के अविनाश और विजय श्रीवास्तव, जीपीओ चौराहा समूह के राकेश जायसवाल, तोप खाना समूह के योगेंद्र जायसवाल, बायपास चौराहा (देवगुराड़िया) समूह के राहुल चौकसे, गवली पलासिया समूह के सूर्यप्रकाश अरोरा, गोपाल शिवहरे, लवकुश और प्रदीप जायसवाल के नाम शामिल हैं। चालान घोटाले में अभी तक 22 करोड़ की रिकवरी हो चुकी थी।
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इंदौर में किन ठिकानों पर पहुंची ईडी
इंदौर में बसंत विहार कालोनी, तुलसी नगर समेत अन्य ठिकानों पर ईडी की टीम है। तुलसी नगर में रहने वाले सुरेंद्र चौकसे के घर पर ईडी की टीम पहुंची। फिलहाल, चौकसे के घर ए-296 पर टीम दस्तावेजों की पड़ताल कर रही है। सुरेंद्र चौकसे आबकारी अधिकारी के पद से सेवानिवृत्त हो चुके हैं। सीआरपीएफ के जवान उनके बंगले के बाहर तैनात हैं। खास बात यह कि, इस कार्रवाई से स्थानीय प्रशासन को भनक तक नहीं लगी।

मंदसौर में यहां छापा पड़ा
मंदसौर शहर की जनता कॉलोनी में रहने वाले शराब कारोबारी अनिल त्रिवेदी के ठिकानों पर तड़के 4 बजे ईडी ने छापा मारा। त्रिवेदी की 10 साल साल पहले गैंगवार में हत्या कर दी गई थी। ये पूर्व में आबकारी विभाग में पदस्थ थे। हत्या मंदसौर-प्रतापगढ़ रोड पर हुई थी। सूचना अनुसार, दस साल पहले के करीब 25 करोड़ रुपए के किसी लेनदेन के मामले में ईडी परिवार के सदस्यों से पूछताछ कर रही है। इसका बेटा राजस्थान में निंबाहेड़ा-उदयपुर में रहता है।
फर्जी चालान से ऐसे होती थी जालसाजी
जांच के अनुसार, आरोपी शराब ठेकेदार छोटी रकम के चालान तैयार कर बैंक में जमा करते थे। चालान के निर्धारित प्रारूप में ‘रुपए अंकों में’ और ‘रुपए शब्दों में’ लिखे होते थे। मूल्य अंकों में भरा जाता था, हालांकि ‘रुपए शब्दों में’ के बाद खाली जगह छोड़ दी जाती थी। धनराशि जमा करने के बाद जमाकर्ता बाद में खाली जगह में बढ़ी हुई धनराशि को लाख हजार के रूप में लिख देता था। साथ ही, ऐसी बढ़ी हुई धनराशि के तथाकथित चालान की प्रतियां संबंधित देशी शराब गोदाम में या विदेशी शराब के मामले में जिला आबकारी कार्यालय में जमा कर देता था।
अवैध रूप से एनओसी हासिल की गई
जांच में सामने आया कि हेराफेरी किए गए चालानों के आधार पर शराब खरीद के लिए नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट (एनओसी) भी अवैध रूप से हासिल की गई थी। इसके चलते सरकार को भारी वित्तीय नुकसान उठाना पड़ा। इस मामले में सभी ठिकानों पर ईडी की जांच चल रही है। आगे कई बड़े खुलासे होने की संभावना जताई जा रही है।