

ED Raids at 7 Houses of Officers : IAS अधिकारी संजीव हंस के भ्रष्टाचार से जुड़े बिहार के 7 अधिकारियों पर ED के छापे, ₹11.64 करोड़ जब्त!
‘मीडियावाला’ के स्टेट हेड विक्रम सेन की रिपोर्ट
Patna : प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने टेंडर घोटाले के आरोपी आईएएस अधिकारी संजीव हंस से जुड़े हुए बिहार सरकार के सात वरिष्ठ अधिकारियों के परिसरों से धन शोधन और भ्रष्टाचार के आरोपों में छापेमारी की। इस छापेमारी के दौरान ₹11.64 करोड़ नकद जब्त किए गए। नकदी गिनने के लिए चार मशीनें भी बुलाई गई। मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ईडी की छापेमारी का ये सेकंड राउंड था।
ईडी ने इससे पहले 1997 बैच के बिहार कैडर के आईएएस अधिकारी संजीव हंस से जुड़े परिसरों की तलाशी ली थी, जब वे बिहार स्टेट पावर होल्डिंग कंपनी लिमिटेड (बीएसपीएचसीएल) के अध्यक्ष-सह-प्रबंध निदेशक के पद पर थे। एजेंसी ने उन्हें अक्टूबर 2024 में मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार किया था। ईडी अधिकारियों के अनुसार, इस तलाशी का उद्देश्य सरकारी निविदाओं में अनुकूल निर्णय हासिल करने और ठेकेदारों के भुगतान में तेजी लाने से संबंधित रिश्वतखोरी के सबूतों को उजागर करना था, जिसमें पटना स्थित एक ठेकेदार रिशु श्री भी शामिल था।
केंद्रीय एजेंसी ने गुरुवार को बिहार निर्माण विभाग के मुख्य अभियंता तारिणी दास, वित्त विभाग के संयुक्त सचिव मुमुक्षु चौधरी, नगर विकास एवं आवास विभाग के कार्यपालक अभियंता उमेश कुमार सिंह, बिहार शहरी आधारभूत संरचना विकास निगम लिमिटेड के उप परियोजना निदेशक अयाज अहमद, बिहार चिकित्सा सेवा एवं आधारभूत संरचना निगम लिमिटेड के परियोजनाओं के उप महाप्रबंधक सागर जायसवाल, इसी निगम के एक अन्य उप महाप्रबंधक विकास झा और बिहार निर्माण विभाग के कार्यपालक अभियंता साकेत कुमार से जुड़ी संपत्तियों की तलाशी ली।
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नकदी के अलावा एजेंसी ने संपत्ति के कागजात, रिश्वत की राशि के वितरण का ब्यौरा देने वाले रिकॉर्ड और डिजिटल साक्ष्य सहित अन्य आपत्तिजनक सामग्री का एक बड़ा संग्रह जब्त किया। ईडी की जांच उन आरोपों पर केंद्रित है कि आईएएस अधिकारी हंस और उनके नेटवर्क ने बिहार सरकार में अपनी प्रभावशाली पोस्टिंग के दौरान 2018 से 2023 के बीच अवैध संपत्ति जमा करने के लिए अपने अधिकार का दुरुपयोग किया।
पुलिस सूत्रों ने बताया कि हंस ने 2018 से 2023 के बीच भ्रष्ट आचरण के जरिए अपनी वैध आय से कहीं अधिक संपत्ति अर्जित की है। इस अवधि के दौरान, उन्होंने बिहार के ऊर्जा विभाग के प्रधान सचिव के रूप में कार्य किया और केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर पदों पर रहे। इसके बाद, बिहार पुलिस की विशेष सतर्कता इकाई ने हंस के खिलाफ कथित तौर पर उनकी ज्ञात आय से अधिक संपत्ति रखने के लिए एक प्राथमिकी दर्ज की, और कहा कि बलात्कार के आरोपों की जांच के दौरान संदिग्ध लेन-देन का पता चला। इस प्राथमिकी ने धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत ईडी की मनी लॉन्ड्रिंग जांच की नींव रखी।
दिसंबर 2024 में, ईडी ने हंस के सहयोगियों से जुड़ी 23.72 करोड़ रुपए की संपत्ति अस्थायी रूप से जब्त कर ली, जिसमें नागपुर में जमीन और दिल्ली और जयपुर में फ्लैट शामिल हैं ये सभी कथित तौर पर अवैध धन से अर्जित किए गए थे। एजेंसी ने 1.25 करोड़ रुपये के सोने के आभूषण, 65 लाख रुपये की लग्जरी घड़ियां, 11 लाख रुपये की चांदी की सिल्लियां और प्रॉक्सी खातों में रखे 60 करोड़ रुपये के शेयर भी बरामद किए। जांचकर्ताओं ने 6 करोड़ रुपये की कुल संदिग्ध जमा राशि वाले 70 से अधिक बैंक खातों को फ्रीज कर दिया।
ईडी ने संजीव हंस पर बिहार के शक्तिशाली राजनेताओं के साथ संबंध बनाने का आरोप लगाया। जिन्होंने उनकी अवैध गतिविधियों को संभव बनाया। बिहार स्टेट पावर होल्डिंग कंपनी लिमिटेड के अध्यक्ष के रूप में उनकी भूमिका जांच के दायरे में है, आरोप है कि उन्होंने रिश्वत के बदले 3,300 करोड़ रुपये के ठेके दिए। संजीव हंस ऊर्जा विभाग के प्रधान सचिव के साथ-साथ बिहार स्टेट पावर होल्डिंग कंपनी लिमिटेड (BSPHCL) के सीएमडी भी थे। बिहार में स्मार्ट मीटर लगाओ अभियान को लागू करने में इन्होंने काफी तेजी दिखाई थी।
इस स्मार्ट मीटर के खिलाफ अभी भी विरोध प्रदर्शन होते रहते हैं। मीडिया रिपोर्ट की मानें तो संजीव हंस ने अपनी ‘कमाई’ से चंडीगढ़ में 95 करोड़ का रिसॉर्ट खरीदा। बताया गया कि संजीव हंस की सख्ती की वजह से बिहार में प्रीपेड मीटर की इतनी डिमांड बढ़ाई कि मीटर वालों ने मर्सिडीज कार गिफ्ट में दे दी। चंडीगढ़, गोवा और पुणे में संजीव के पास प्रॉपर्टी की ऐसी चेन है, जिसकी जांच में ईडी भी चकरा गई। अब तो संजीव हंस के करीबी भी मालदार निकल रहे हैं। कुल मिलाकर IAS संजीव हंस मुश्किलें कम नहीं हो रही है। पहले खुद के ठिकाने पर छापेमारी हुई।