ED Raids : सामान्य प्रशासन विभाग के ‘अंडर सेक्रेट्री’ विनोद कुमार सिंह और माफिया ‘रिशु श्री’ के कई ठिकानों पर छापेमारी!

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ED Raids : सामान्य प्रशासन विभाग के ‘अंडर सेक्रेट्री’ विनोद कुमार सिंह और माफिया ‘रिशु श्री’ के कई ठिकानों पर छापेमारी!

जेल में बंद निलंबित IAS संजीव हंस का सहयोगी और सरकारी ठेकों में मध्यस्थता में माहिर है रिशु श्री!

‘मीडियावाला’ के स्टेट हेड विक्रम सेन से जानिए सरकारी ठेकों में टेंडर मैनेज करने की दास्तान

Patna : यहां स्थित बेउर जेल बंद निलंबित आईएएस संजीव हंस की मुश्किल बढ़ रही है। पिछले महीने ही विशेष निगरानी इकाई ने ईडी की रिपोर्ट पर हंस व उनके सहयोगी एवं तमाम लेन-देन के राजदार रिशू रंजन सिन्हा उर्फ ‘रिशु श्री’ के खिलाफ विशेष निगरानी इकाई (SUV) व अन्य के खिलाफ भी प्राथमिकी दर्ज कर जांच शुरू कर दी थी। इस कड़ी में ईडी ने सरकारी ठेकों में कमीशनखोरी के आरोप में ठेकेदार रिशु श्री और उसके एक सहयोगी और सीए अविनाश कुमार के बिहार के मुजफ्फरनगर, हरियाणा के पानीपत और गुजरात के सूरत में कई ठिकानों पर छापे मारे।

ईडी की पटना में दानापुर के पूर्वी गोला रोड इलाके में सामान्य प्रशासन विभाग के अंडर सेक्रेट्री विनोद कुमार सिंह के गोला रोड स्थित आवास समेत पटना के 6 ठिकाने पर रेड हुई। विनोद कुमार सिंह समान्य प्रशासन विभाग में संविदा पर अंडर सेक्रेट्री के पद कार्यरत हैंं। बताया जा रहा है कि विनोद कुमार सिंह रिशु श्री के इशारे पर सामान्य प्रशासन के माध्यम से छोटे कर्मचारियों का ट्रांसफर पोस्टिंग करवाने का काम किया करता था। सरकारी ठेकों में मध्यस्थता करने के आरोपी रिशु श्री के खिलाफ बिहार सरकार की स्पेशल विजिलेंस यूनिट (एसवीयू) ने भी एफआईआर दर्ज की है। इस एफआईआर में आईएएस संजीव हंस भी आरोपी हैं। रिशु श्री के बिहार सरकार के कई बड़े अधिकारियों से अच्छे संबंध थे।
इस वजह से उसने मनमाने ढंग से सरकारी टेंडरों को मैनेज किया।

सूत्रों के अनुसार, रिशु श्री उर्फ रिशू रंजन सिन्हा सरकारी ठेकों में कमीशन के खेल में शामिल था। जल संसाधन विभाग, भवन निर्माण विभाग, विद्युत विभाग, ग्रामीण कार्य विभाग, लघु जल संसाधन और पथ निर्माण विभाग में ठेकेदारी दिलाता था। इन विभाग से जुड़े भ्रष्ट अधिकारियों को देश-विदेश घुमाता था। इसके लिए वह सूरत और पानीपत में स्थित ट्रेवल एजेंटों से टिकट बुक करवाता रहा। छापेमारी में इन ट्रेवल एजेंटों के ठिकानों से अधिकारियों की यात्रा से जुड़े कई दस्तावेज मिले हैं। ईडी इन दस्तावेजों की जांच कर रही है।

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ईडी को ट्रेवल एजेंटों के ठिकानों से अधिकारियों की यात्रा से जुड़े कई दस्तावेज मिले हैं।
इस छापेमारी के दौरान ईडी को रिशु श्री की एक और कंपनी ‘श्री नेस बिल्ड इंफ्रा प्राइवेट लिमिटेड’ के बारे में पता चला। इसके माध्यम से काले धन को सफेद किया जाता था।

आरोप है कि इस कंपनी के जरिए भ्रष्ट अधिकारियों के काले धन को सफेद किया जाता। ईडी की छापेमारी में इस कंपनी से जुड़े कई अधिकारियों, उनकी पत्नी और परिजनों की जानकारी मिली है। जानकारी के अनुसार, आरोप है कि रिशु श्री टेंडर में शामिल करवाकर हेराफेरी करता हैं। जब बिहार सरकार के कोई विभाग टेंडर जारी करता है तो रिशु श्री के माध्यम से संपर्क करने वाली कंपनी को ठेका मिल जाता था। टेंडर लेने वाली कंपनी रिशु श्री को अनुबंध मूल्य का 8-10% कमीशन देती थी। इसका एक बड़ा हिस्सा संबंधित विभागों के वरिष्ठ अधिकारियों/कर्मचारियों के साथ भी देने की बात सामने आ रही है।

ईडी की रिपोर्ट में आरोप लगाया गया है पूरी प्रक्रिया को निष्पक्ष और पारदर्शी दिखाने के लिए रिशुश्री अपनी संस्थाओं को टेंडर के लिए पेटी कांट्रेक्टर में नियुक्त करता है और उन्हें समय-समय पर बढ़ा चढ़ाकर बिल देता था। ईडी इस मामले में और भी गिरफ्तारियां कर सकती है। ईडी की इस कार्रवाई से भ्रष्ट अधिकारियों और ठेकेदारों में हड़कंप मच गया है।

IAS अधिकारी संजीव हंस पर क्या आरोप

मनी लॉन्ड्रिंग केस में ईडी की पटना स्थित स्पेशल कोर्ट ने जेल में बंद बिहार के 1997 बैच के आईएएस अधिकारी संजीव हंस की 7 मार्च 2025 को जमानत याचिका खारिज कर दी थी। संजीव हंस से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले की जांच में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने गुरुवार (27 मार्च) को पटना, बिहार में सात स्थानों पर छापेमारी के दौरान 11.64 करोड़ रुपये की नकदी जब्त की थी। रिपोर्ट के अनुसार, ईडी द्वारा जब्त की गई राशि इतनी बड़ी थी कि ईडी अधिकारियों को कैश काउंटिंग मशीनों का उपयोग करके पूरी राशि गिनने में 7 घंटे लग गए थे। ईडी ने पटना में बिहार सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों से जुड़े परिसरों पर छापेमारी के दौरान 11.64 करोड़ रुपये की नकदी जब्त की थी।

एजेंसी ने तारिणी दास (बिहार निर्माण विभाग में मुख्य अभियंता), मुमुक्षु चौधरी (वित्त विभाग में संयुक्त सचिव), उमेश कुमार सिंह (शहरी विकास एवं आवास विभाग में कार्यकारी अभियंता), विकास झा (उसी निगम में उप महाप्रबंधक), अयाज अहमद (बिहार शहरी आधारभूत संरचना विकास निगम लिमिटेड में उप परियोजना निदेशक), सागर जायसवाल (बिहार चिकित्सा सेवा एवं आधारभूत संरचना निगम लिमिटेड में परियोजनाओं के उप महाप्रबंधक) और साकेत कुमार (बिहार निर्माण विभाग में कार्यकारी अभियंता) से जुड़ी संपत्तियों पर छापेमारी की थी।

राज्य के ऊर्जा विभाग के पूर्व प्रधान सचिव संजीव हंस फिलहाल पटना के बेउर सेंट्रल जेल में बंद हैं। पिछले साल उनके खिलाफ सबूत सामने आने के बाद बिहार पुलिस की विशेष सतर्कता इकाई ने उन्हें गिरफ्तार किया था। हंस पर 2018 से 2023 तक बिहार में अपनी पोस्टिंग के दौरान अपनी आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने का आरोप है।

उल्लेखनीय है कि हंस के खिलाफ आरोप पहली बार जनवरी 2023 में सामने आए थे, जब एक वकील ने उन पर राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के विधायक गुलाब यादव के साथ सामूहिक बलात्कार, ब्लैकमेल, जबरदस्ती और जबरन गर्भपात कराने का आरोप लगाया था। इस महिला ने वर्ष 2021 में यह याचिका दायर की थी, जिसके बाद पीठ ने पटना पुलिस से मामले की प्रारंभिक जांच रिपोर्ट मांगी थी। फिर भी रिपोर्ट पेश नहीं की गई, जिसके बाद अदालत ने मामले को खारिज कर दिया। सितंबर 2023 में पटना हाईकोर्ट ने इस मामले को खारिज कर दिया, लेकिन हंस और यादव के वित्तीय लेन-देन जांच के दायरे में आ गए थे।

3 मई 2025 को दर्ज एफआईआर में आईएएस संजीव हंस, ठेकेदार रिशु श्री, उसके कर्मी संतोष कुमार व निजी कंपनी के निदेशक पवन कुमार सहित कई अज्ञात अधिकारियों को आरोपित बनाया गया है। इस एफआईआर के अनुसार, ठेकेदार रिशु श्री के ठिकानों पर ईडी की हुई छापेमारी के दौरान टीम को कई ऐसे दस्तावेज मिले हैं, जिसके आधार पर अलग-अलग विभागों के कई अधिकारियों को टेंडर मैनेज करने के बदले रिश्वत दिए जाने की बात है।

टेंडर मैनेज घोटाले में आईएएस संजीव हंस के साथ नगर विकास एवं आवास विभाग और भवन निर्माण विभाग के तत्कालीन अधिकारियों को भी रिश्वत दी गई थी। यह रिश्वत ठेकेदार रिशु श्री के माध्यम से सभी अधिकारियों को दी गई थी। स्पेशल विजिलेंस यूनिट (एसवीयू) में दर्ज नये केस (05/2025) में ईडी की जांच रिपोर्ट के आधार पर इस बात का खुलासा हुआ हैं।