ED’s Big action in DMF scam: पूर्व कलेक्टरों पर भी जांच की आंच, 575 करोड़ के फंड के दुरुपयोग के साक्ष्य मिले,1 IAS सहित 9 अधिकारी पहले ही हो चुके हैंगिरफ्तार

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ED Raid at CM's OSD
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ED’s Big action in DMF scam: पूर्व कलेक्टरों पर भी जांच की आंच, 575 करोड़ के फंड के दुरुपयोग के साक्ष्य मिले,1 IAS सहित 9 अधिकारी पहले ही हो चुके हैंगिरफ्तार

रायपुर। छत्तीसगढ़ के 575 करोड़ रुपये के जिला खनिज न्यास (DMF) घोटाले की जांच में नया मोड़ आ गया है। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने अब जांच का दायरा बढ़ाते हुए पूर्व जिलाधिकारियों (कलेक्टरों) को भी जांच के घेरे में ले लिया है।

ED को फंड के दुरुपयोग से जुड़े कई अहम दस्तावेज मिले हैं, जिनमें ऐसे निर्णय और भुगतान शामिल हैं जिन्हें जिला स्तर पर मंजूरी दी गई थी। यही दस्तावेज अब इस घोटाले की दिशा तय कर सकते हैं।

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**फर्जी बिल, बिना टेंडर के आवंटन और अधूरे कामों का भुगतान**

ED सूत्रों के अनुसार, DMF फंड के उपयोग में कई गंभीर अनियमितताएं पाई गई हैं। जांच में ऐसे कई प्रकरण सामने आए हैं जिनमें-

-बिना टेंडर के कार्य आवंटित किए गए,

-तय दर से अधिक मूल्य पर सामग्री की आपूर्ति की गई,

-अधूरे कार्यों का पूरा भुगतान किया गया,

-फर्जी बिलों के आधार पर बड़ी रकम का लेन-देन हुआ।

चूंकि डीएमएफ फंड की स्वीकृति और निगरानी जिला कलेक्टरों की जिम्मेदारी होती है, इसलिए ईडी अब उनके निर्णयों और हस्ताक्षरों की भी जांच कर रही है।

**12 से अधिक सप्लायरों की भूमिका संदिग्ध, राजनीतिक गठजोड़ की आशंका**

जांच में सामने आया है कि करीब 12 से अधिक सप्लायरों ने जिला अधिकारियों के साथ मिलीभगत कर फंड का दुरुपयोग किया। इनमें कई ऐसे हैं जिन्होंने या तो अपात्र ठेके हासिल किए या बिना काम किए भुगतान प्राप्त किया।

ईडी ने इन सप्लायरों को समन जारी कर पूछताछ शुरू कर दी है। मोबाइल चैट, बैंक ट्रांजैक्शन और ईमेल रिकॉर्ड्स से उनकी भूमिका का विश्लेषण किया जा रहा है।

सूत्रों का कहना है कि इस घोटाले में केवल अफसर या ठेकेदार ही नहीं, बल्कि राजनीतिक और प्रशासनिक गठजोड़ की भी अहम भूमिका रही हो सकती है। आने वाले दिनों में कुछ बड़े नामों पर कार्रवाई की संभावना से इंकार नहीं किया जा रहा है।

**पहले से गिरफ्तार प्रमुख आरोपी**

इस घोटाले में अब तक कई नामी अधिकारी और कारोबारी गिरफ्तार किए जा चुके हैं। इनमें- निलंबित आईएएस रानू साहू, आदिवासी विभाग की सहायक आयुक्त माया वारियर, कारोबारी सूर्यकांत तिवारी, उपसचिव सौम्या चौरसिया, अधिकारी मनोज द्विवेदी, कोरबा डीएमएफ की तत्कालीन नोडल अधिकारी भरोसा राम ठाकुर, जनपद सीईओ भुनेश्वर सिंह राज, राधेश्याम मिर्झा और वीरेंद्र कुमार राठौर शामिल हैं।

संजय शेंडे, ऋषभ सोनी और राकेश कुमार शुक्ला अभी भी गिरफ्त से बाहर बताए जा रहे हैं।

**ईडी की जांच से खुल सकता बड़ा गठजोड़**

ईडी लगातार नए दस्तावेजों और साक्ष्यों को खंगाल रही है। एजेंसी अब यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि फंड का असली उपयोग कहां और कैसे हुआ, और इसमें किन अधिकारियों या नेताओं की भूमिका रही।

जांच अधिकारी मान रहे हैं कि डीएमएफ घोटाला केवल वित्तीय अनियमितता नहीं, बल्कि प्रशासनिक और राजनीतिक सांठगांठ का भी उदाहरण है।

ईडी की पड़ताल से आने वाले दिनों में छत्तीसगढ़ के प्रशासनिक ढांचे में बड़े खुलासे होने की उम्मीद है।