विधायकों की सदस्यता पर निर्वाचन आयोग ने मांगी जानकारी

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आगामी विधानसभा सत्र में सदन में गूंजेगी नीति आयोग की रिपोर्ट और प्रदेश की गरीबी ...

विधायकों की सदस्यता पर निर्वाचन आयोग ने मांगी जानकारी

भोपाल: न्यायालय के आदेश के आधार पर विधानसभा सदस्यता गंवाने की स्थिति में पहुंचे भाजपा और कांग्रेस के तीन विधायकों की सदस्यता के मामले में मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय ने विधानसभा से जानकारी मांगी है। इन विधायकों की सदस्यता को लेकर भारत निर्वाचन आयोग को जानकारी भेजने के पहले विधानसभा के निर्णय की जानकारी चाही गई है। इस बीच सोमवार से शुरू हो रहे सत्र के दौरान इन तीनों ही विधायकों को लेकर कई बंदिशें लगना भी तय हो गई है।

हाईकोर्ट ने कांग्रेस विधायक अजब सिंह कुशवाह और बीजेपी विधायक राहुल लोधी व जजपाल सिंह जज्जी के विरुद्ध न्यायालय में अलग-अलग मामलों में दायर याचिका के मामले में उनके विरुद्ध निर्णय दिया है। अजब सिंह कुशवाह को एक मामले में दो साल की सजा मिली है तो राहुल लोधी विधानसभा उपचुनाव के दौरान दो निर्वाचन फार्म भरने के बाद उसमें अलग-अलग जानकारी देने के मामले में फंसे हैं और कोर्ट ने गलत जानकारी देने पर उनकी सदस्यता खत्म करने को कहा है। इनके विरुद्ध चंदा गौर ने याचिका दायर की थी। वहीं जजपाल सिंह जज्जी के जाति प्रमाण पत्र को लेकर भाजपा के पूर्व विधायक लड्डूराम कोरी ने याचिका दायर की थी जिसके बाद कोर्ट ने उनका जाति प्रमाण पत्र खारिज कर विधायक पद की सदस्यता खत्म करने के आदेश दिए हैं।

जानकारों के अनुसार अभी चूंकि विधानसभा का चुनाव होने में एक साल से अधिक का समय बाकी है। ऐसे में अगर निर्वाचन आयोग तक उनकी सदस्यता खत्म होने की जानकारी पहुंचेगी तो उपचुनाव कराया जा सकता है। इसीलिए मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी अनुपम राजन ने इस मामले में विधानसभा से पूछा है कि इन विधायकों की सदस्यता को लेकर विधानसभा क्या निर्णय ले रही है ताकि आयोग को इसकी जानकारी दी जा सके। दूसरी ओर यह साफ हो गया है कि ये तीनों ही विधायक विधानसभा सत्र के दौरान सवाल नहीं पूछ सकेंगे। ये विधानसभा की कार्यवाही में शामिल होंगे या नहीं, अभी इसको लेकर निर्णय होना बाकी है। बताया जाता है कि विधानसभा सचिवालय जल्द ही इन विधायकों के मामले में निर्णय ले सकता है।

विधायकों से मांगी है कोर्ट से स्टे की जानकारी

न्यायालय के फैसले के दायरे में आए तीनों ही विधायकों से विधानसभा सचिवालय ने जानकारी मांगी है कि क्या उन्हें न्यायालय के फैसले के खिलाफ वरिष्ठ न्यायालय से स्थगन मिला है। अगर नहीं मिला होगा तो सदस्यता खत्म करने की कार्यवाही की जाएगी। विधायकों का जवाब आना बाकी है। इनके सदन में प्रवेश और सवाल जवाब करने का मसला भी कोर्ट से स्टे के फैसले के आधार पर ही तय होगा।