Election’s Story: प्रजातंत्र की बारिश
प्रशासनिक जीवन में अप्रत्याशित घटनायें होते रहने से रोमांच बना रहता है और भागदौड़ आपाधापी भी .अभी चुनाव के मौसम में वह लोकसभा चुनाव याद आ रहा है जो मूसलाधार बारिश में हुआ था।
नर्मदा ,तवा ,शक्कर ,बारुरेवा ,पलकमती सब बाढ़ पर थीं.जनजीवन अस्त व्यस्त त्रस्त था और चुनाव कराना था .बात वर्ष 1998 की है .दिल्ली में अल्पजीवी सरकारों का दौर था .मध्यावधि क्या साल साल में लोकसभा चुनाव हो रहे थे .
ज़िला स्तर से मतदान दल रवाना होने को थे तभी इंद्र देवता के कोप से नदी नालों ने रौद्र रूप ले लिया .एसडीएम गाड़रवारा के रूप में बाढ़ से घिरे गाँवों को राहत पंहुचाने की जगह मतदान दलों को भेजने का प्रबंध कैसे करें इसकी तैयारी हमारी टीम कर रही थी तभी फ़ोन बजा .दूसरी ओर एडीएम थे जिन्होंने बताया कि सड़क मार्ग से मतदान दल नहीं जा सकते इसलिये ट्रेन से भेज रहे हैं वह ट्रेन आपके यहाँ रुकती नहीं है उसे रोककर मतदान दलों को केंद्रों तक भेजना है। हमने दलों को चढ़ा दिया है। ट्रेन चल पड़ी है अब आप व्यवस्था कर लो .मैंने अपनी घड़ी में देखा मुश्किल से तीस मिनिट मेरे पास थे .शांत चित्त से मैंने सोचा क्या किया जा सकता है .आवश्यक निर्देश देकर मैं रेलवे स्टेशन पंहुचा.पहली चुनौती थी एक हज़ार से ज़्यादा त्रस्त चुनाव कर्मियों को रखने खाने और मतदान केंद्रों तक भेजना .मैंने रेल प्लेटफ़ॉर्म को जल्दी से चार हिस्सों में बाँटकर चार रजिस्टर रखवा दिये जिनके नाम लिखकर हस्ताक्षर करने थे उधर पुलिस गाड़ियाँ लाने में लग गई जिनसे इन्हें धर्मशालाओं और आश्रय स्थलों में ले जाना था .कुछ टीम भोजन में लगी.
मूसलाधार बारिश में ट्रेन प्लेटफार्म की बजाय पाँच सौ मीटर आगे जाकर रुकी .भीगते क्रुद्ध मतदान दल अपना सामान उठाये मतदान सामग्री लिये गालियाँ बकते प्लेटफ़ॉर्म तक आये .मैंने मुस्कान और आत्मीयता से उनका स्वागत किया तो वे अपना कष्ट भूल सामान्य हो गए .गर्म चाय ने उन्हें राहत दी .हमारी टीम उन्हें धीरे धीरे धर्म शालाओं में ले गई जहाँ थोड़े इंतज़ार के बाद उन्हें भोजन आवास सब मिला .हमारी टीम उन्हें सकुशल मतदान केंद्रों तक पंहुचाने में सफल रही .दिल्ली में चुनाव आयोग ने संतोष और गर्व अनुभव किया .