Electricity Bill Pending : निगम ने जलूद पंपिंग स्टेशन का बिजली बिल 6 महीने से अदा नहीं किया!
Indore : नगर निगम की माली हालत लगातार खराब होती जा रही है। खर्च की तुलना में निगम की आय में कमी आ रही। पिछले 6 माह से तो नगर निगम नर्मदा के जलूद पंपिंग स्टेशन का बिजली बिल चुकाने में असमर्थ साबित हो रहा है। यही कारण है कि बिजली कंपनी ने अब नगर निगम को बिजली बिल पहुंचाना ही बंद कर दिया। यह बिल सीधे सरकार को भोपाल पहुंचाया जा रहा है।
जानकारी अनुसार प्रतिमाह इस बिल की राशि लगभग 25 करोड़ रुपए निगम को चुकानी होती है। लेकिन, पिछले छः माह से आर्थिक स्थिति खराब होने के चलते निगम इस बिल की राशि का भुगतान नहीं कर पा रहा। ऐसे में मध्यप्रदेश पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी ने यह निर्णय लिया। क्योंकि, बिजली बिल की राशि लगातार पेंडिंग हो रही है। जितनी राशि नगर निगम के पास उपलब्ध होती थी, वह तो चुका दी जाती थी। लेकिन, बकाया राशि तेजी से बढ़ रही थी।
अभी नगर निगम के पास हर महीने 89 करोड़ रुपए के स्थाई खर्च पूरा करने के लिए राशि नहीं है। बैंकों से उधार लेकर खर्च चलाया जा रहा। एक घरेलू कनेक्शन पर 800 रु. होते हैं खर्च इंदौर नगर निगम सीमा की 16 लाख आबादी सहित महू तहसील के गांवों में पानी का संकट नहीं हो, इस लिहाज से नगर निगम का बिजली कनेक्शन विद्युत कंपनी द्वारा नहीं काटा जाता।
सूत्रों के अनुसार निगम के पास इंदौर शहर में लगभग 2.50 लाख से अधिक नर्मदा कनेक्शन हैं। अधिकारियों के अनुसार नगर निगम को शहरवासियों के घर तक पानी पहुंचाने की लागत प्रति कनेक्शन प्रतिमाह लगभग 800 रुपए पड़ती है, लेकिन निगम पानी का बिल 200 प्रतिमाह शहरवासियों से लेता है। नगर निगम की आर्थिक स्थिति वर्तमान में शासन से अलग-अलग मदों में मिलने वाली सहायता राशि नहीं मिलने के कारण आर्थिक स्थिति बिगड़ रही है। यही कारण है कि निगम जलूद का बिजली बिल चुकाने में असमर्थ था, इसलिए शासन से सीधे भुगतान हो रहा है। प्रतिमाह 89 करोड़ रुपए की आवश्यकता स्थाई खर्च पूरे करने के लिए होती है।
2028 तक पुराना लोन भरना है
इसके साथ ही नगर निगम 2007 से नर्मदा के प्रथम चरण निर्माण के लिए लिया गया लोन भी चुका रहा है, जिसकी किस्त हर साल अक्टूबर में चुकाना होती है। इसकी राशि 47 करोड़ रुपए है, जो 2028 में पूरा होगा। साथ ही शहर के विकास कार्यों के लिए बैंक से 130 करोड़ रुपए का लोन लिया है। हुडको और अर्बन डेवलपमेंट बैंक से लिए लोन की किस्त चुकानी होती हैं। यह नंदानगर के विकास को लिए गए थे, जो सालों बाद भी निगम चुका नहीं पा रहा है।