
रोजगार केंद्रित शिक्षा और पेसा एक्ट की कागजी संग जमीनी सफलता जरूरी है…
कौशल किशोर चतुर्वेदी
रोजगार आधारित शिक्षा और पेसा एक्ट दोनों विषय मध्य प्रदेश के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण हैं। बढ़ती आबादी के बीच हर हाथ को सरकारी रोजगार मिलने की सोच मृगमरीचिका ही है। चाहे वैश्विक स्तर पर हो या राष्ट्रीय और राज्य के स्तरों पर, युवाओं को रोजगार देने में सरकारें व्यावहारिक तौर पर हमेशा ही बैकफुट पर भटकती नजर आती हैं। ऐसे में रोजगार आधारित शिक्षा वर्तमान समय की सबसे बड़ी जरूरत है। युवाओं के हाथों में कौशल होगा तो वह कभी बेरोजगार नहीं रहेंगे। और अब मध्य प्रदेश सरकार इसी दिशा में कदम आगे बढ़ा रही है। वैसे भी नई शिक्षा नीति को देश में सबसे पहले और सबसे प्रभावी तरीके से मध्य प्रदेश में क्रियान्वित करने का श्रेय तत्कालीन उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. मोहन यादव को ही जाता है। ऐसे में अब मुख्यमंत्री के रूप में भी डॉ. मोहन यादव की जिम्मेदारी नई शिक्षा नीति के साथ रोजगारपरक शिक्षा के मामले में भी महत्वपूर्ण है। वहीं देश की सबसे बड़ी जनजाति आबादी वाला मध्य प्रदेश पेसा एक्ट के क्रियान्वयन में देश में पहले स्थान पर है। यह उपलब्धि गौरवान्वित करने वाली और मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव के नेतृत्व में बदलते मध्य प्रदेश की उजली तस्वीर मानी जा सकती है। पर कागजी और जमीनी दोनों स्तरों पर दृश्य एक जैसे दिखें तभी पेसा एक्ट को सफल माना जाएगा। वरना पेसा एक्ट कागजों में सुंदर और हकीकत में भद्दा ही प्रतीत होता रहेगा।
युवाओं और आदिवासियों से जुड़े यह दोनों विषय विकसित मध्य प्रदेश के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन करेंगे। इसलिए यह जरूरी है की इनका क्रियान्वयन कागजी की जगह जमीनी स्तर पर प्रभावी हो। ताकि वास्तव में मध्य प्रदेश पूरे देश में ऐसा पहला राज्य बन जाए जहां रोजगार के अवसर ज्यादा और रोजगार के दावेदार कम नजर आएं। और इसके लिए जरूरी है कि स्थानीय स्तर पर रोजगार की संभावनाओं के लिए पाठ्यक्रम तैयार हों। मुख्यमंत्री डॉ. यादव कि यह बात सौ फ़ीसदी सही है कि स्किल ही करेंसी है। और यह खुशी की बात है कि युवाओं के लिए आईटी और एग्रीकल्चर क्षेत्र में रोजगारपरक कोर्स शुरू हुए हैं। निवेश परियोजना क्रियान्वयन के साथ ही उद्योग में रोजगार के लिए स्थानीय स्तर पर उपयुक्त अभ्यर्थी उपलब्ध कराने के लिए कोर्स प्रारम्भ करने की राज्यपाल मंगू भाई पटेल की नसीहत विकसित भारत और विकसित मध्य प्रदेश की सबसे बड़ी जरूरत है। इससे परियोजना नए उद्योग शुरू होने के साथ ही आवश्यकता अनुसार स्थानीय स्तर के युवा उपलब्ध हो सकेंगे। तो मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की यह बात कि आज करेंसी का जमाना है, लेकिन स्किल (कौशल) ही करेंसी है, भारत इसे अच्छी तरह समझता है। इसीलिए हम नवाचार करते हुए कौशल विकास की ओर कदम बढ़ा रहे हैं। मध्यप्रदेश एक कृषि प्रधान और तेजी से बढ़ता राज्य है। इसीलिए हम खेती की पढ़ाई को सामान्य महाविद्यालयों तक लेकर गए हैं। अगर कोई युवा खेती में करियर बनाना चाहे तो उसे आधुनिक तकनीक की जानकारी होनी चाहिए।विश्वविद्यालयों के दायरे विस्तृत होने चाहिए। सभी कोर्स यहां से संचालित होने चाहिए। उच्च शिक्षा विभाग द्वारा विकसित मध्यप्रदेश @2047 ‘रोजगार आधारित शिक्षा-रूझान एवं नए अवसर’ विषय पर आयोजित राष्ट्रीय कार्यशाला की सार्थकता भी तभी है जब ऐसे विचार जमीनी स्तर पर सफलता पूर्वक क्रियान्वित होते नजर आएं। विद्यार्थियों को रोजगारपरक शिक्षा ही उन्हें आत्मनिर्भरता की दिशा में सशक्त बना सकती है। यह उपलब्धि है कि सरकार प्रदेश में 10 हजार से अधिक शैक्षणिक संस्थाओं में एनईपी लागू करने पर आगे बढ़ चुकी है। प्रदेश में 220 से अधिक सांदीपनि विद्यालयों की शुरुआत की गई है। यहां विद्यार्थियों के लिए आधुनिक कंप्यूटर कोडिंग लैब स्थापित की गई हैं। शिक्षा केवल कागज की डिग्री लेने के लिए न हो, बल्कि वह भविष्य की चुनौतियों से लड़ने और उसे समझने में समर्थ हो और तभी विकसित मध्य प्रदेश और विकसित देश की कल्पना सार्थक होगी।
वहीं सरकार का दावा है कि प्रदेश के 88 ट्राइबल ब्लॉक्स में लागू पेसा अधिनियम जनजातीय समुदाय के लिए वरदान साबित हो रहा है। इस अधिनियम के अंतर्गत जनजातीय समुदाय आपसी विवादों का समाधान थानों में शिकायत दर्ज कराए बिना ही चौपालों के माध्यम से कर रहे हैं। पेसा अधिनियम के क्रियान्वयन में देश में मध्यप्रदेश न केवल अग्रणी है बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर अपनी अलग पहचान बनाई है। जनजातीय समुदाय ने अब तक लगभग 8 हजार से अधिक विवाद प्रकरणों का चौपाल के माध्यम से निराकरण कर मिसाल पेश की है। इन मामलों में पारिवारिक जमीन संबंधी विवाद शामिल है। मध्यप्रदेश शासन द्वारा लागू किए गए पेसा एक्ट का उद्देश्य भी यही है कि जनजातीय समुदाय के लोगों को छोटे-छोटे विवाद में पुलिस थाना का चक्कर ना लगाना पड़े और आपस में बैठकर ही मामले की सुलह कर लें। साथ ही उनकी परंपरा, कला संस्कृति की भी रक्षा की जा सके। देश के 10 राज्यों में पेसा एक्ट का क्रियान्वयन किया जा रहा है, जिसमें मध्यप्रदेश अग्रणी राज्य है। मध्यप्रदेश सरकार द्वारा जनजातीय बाहुल्य वाले प्रदेश के 20 जिलों के 88 विकासखंड की 5133 ग्राम पंचायतों के 11 हजार 596 ग्रामों में पेसा एक्ट लागू किया गया है। पेसा एक्ट की सफलता हमें खुश होने का अवसर दे रही है बशर्ते जमीनी स्तर पर आदिवासियों में पेसा एक्ट व्यावहारिक तौर पर खुशी का पर्याय बन जाए।
सच यही है कि कागजी तौर पर जो उपलब्धियां मन को महकाती हैं, वास्तव में जमीन स्तर पर वह हालातों से मेल नहीं खाती हैं। रोजगारपरक शिक्षा हो या पेसा एक्ट, इनको लेकर मध्य प्रदेश की उपलब्धियां सराहनीय हैं। पर बात वही है कि नई शिक्षा नीति में रोजगारपरक शिक्षा की उपलब्धियों के सूरज की किरणों से युवाओं का भविष्य रोजगारमय हो और पेसा एक्ट के क्रियान्वयन से आदिवासी समाज सुखी और समृद्ध होकर सम्मान का भाव अपने चेहरे पर ला सके… इसके लिए रोजगार केंद्रित शिक्षा और पेसा एक्ट की सफलता कागजी और जमीनी दोनों स्तर पर जरूरी है…।





