Encroachment on Forest Land : वनभूमि पर अतिक्रमण, 30 वनकर्मियों को बुरहानपुर भेजा!
Indore : जंगलों में बढ़ते अतिक्रमण को लेकर प्रदेशभर में स्थिति बिगड़ने लगी है। बुरहानपुर के जंगलों में जगह-जगह ग्रामीणों ने अतिक्रमण कर वन भूमि पर कब्जा कर लिया। लेकिन, यहां राजनीतिक दबाव के चलते वनकर्मी इन्हें हटाने से घबरा रहे हैं। आए दिन वनकर्मियों और ग्रामीणों के बीच विवाद सामने आ रहे हैं। कुछ जगह वनकर्मियों पर हमले भी हुए हैं।
नवंबर 2022 में बुरहानपुर वन मंडल के नेपानगर रेंज में आने वाले जंगलों से अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई हुई। गुस्साए ग्रामीणों ने वनकर्मियों पर हमला कर दिया और बंदूकें लूट ली। इसके बाद कई वनमंडल से स्टाफ को भेजा गया। मगर तीन दिन बाद बंदूकें नदी किनारे पर मिली। यह मामला अभी तक शांत नहीं हुआ है। ग्रामीण अभी जंगलों को नुकसान पहुंचे रहे हैं।
वन विभाग मुख्यालय ने बुरहानपुर की स्थिति नियंत्रण करने और स्टाफ की मदद के लिए आसपास के वन मंडल को कहा है। इंदौर वृत्त के मुख्य वन संरक्षक (CCF) नरेंद्र सोनोडिया ने आनन-फानन में 30 वन कर्मियों को ड्यूटी करने बुरहानपुर भेजा है। इन्हें वहां पहुंचने के लिए 24 घंटे का समय दिया गया है। अधिकारियों ने अपने वृत्त की स्थिति के बारे में विचार बिलकुल नहीं किया है।
इंदौर वन मंडल में आने वाले इंदौर, चोरल-महू रेंज में भी अतिक्रमण काफी है। सबसे ज्यादा महू रेंज में ग्रामीणों ने अतिक्रमण कर रखा है। रेंजर सचिन वर्मा भी कार्रवाई करने में पीछे है। इंदौर वन मंडल में भी ग्रामीणों ने खेती के नाम पर वनक्षेत्र में अतिक्रमण कर रखा है। इंदौर रेंज में अधिकांश वन भूमि पर टाउनशिप-स्कूल, ढाबे, धर्मशाला ने कब्जा कर रखा है।
बिजासन रमणा और सांवेर क्षेत्र में वन भूमि पर 30 से अधिक कब्जे हैं। बीते साल सूची भी बनाई गई है। बिजासन रमणा क्षेत्र में बरसों से एक ही वनकर्मी की ड्यूटी लगा रखी है। सूत्रों के मुताबिक वनकर्मी पर भी अतिक्रमण करवाने को लेकर कई बार आरोप लग चुके हैं। यहां तक लोकायुक्त में भी एक प्रकरण में वनरक्षक से पूछताछ हो चुकी है। मगर अधिकारियों से अच्छी साठगांठ होने के चलते हर बार अपना ट्रांसफर रुकवा देता है।
वन मंडल अधिकारी नरेंद्र पांडे ने इंदौर वन मंडल से 12 वन कर्मियों के नाम सीसीएफ को भेजे है। इसके बाद इंदौर वृत्त से 12 इंदौर, महू, चोरल, मानपुर, छह उड़नदस्ता सदस्य, चार कार्य आयोजना, छह सामाजिक वानिकी और दो वन्य प्राणी कार्यालय से वनपाल व वन रक्षकों भेजा है। इन्हें वन मंडल की अलग-अलग बीटों में सात दिन तक ड्यूटी करना है। इनमें ऐसे भी वनरक्षक शामिल है, जिनके कार्यक्षेत्र में भी लोगों ने कब्जा कर रखा है।