Energy Crisis in MP : मध्यप्रदेश में बिजली संकट, मांग और आपूर्ति में अंतर बढ़ा

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Energy Crisis in MP

Energy Crisis in MP : मध्यप्रदेश में बिजली संकट, मांग और आपूर्ति में अंतर बढ़ा

ऊर्जा मंत्री ने भी अंततः मान लिया कि प्रदेश में बिजली की कमी

Bhopal :Energy Crisis in MP:मांग और आपूर्ति में लगातार बढ़ते अंतर के कारण मध्यप्रदेश में ऊर्जा संकट बढ़ता दिखाई दे रहा है। प्रदेश में बिजली की मांग 12200 मेगावाट है, जबकि आपूर्ति 1700 सौ मेगावाट की कमी है। आपूर्ति में कमी को देखते हुए कई इलाकों में बिजली की कटौती होने लगी। सबसे ज्यादा कटौती होने की जानकारी पीक आवर्स में हो रही है। रात 8 बजे से 12 बजे तक और रात 12 बजे से लेकर सुबह 6 बजे तक बिजली विभाग को सबसे ज्यादा शिकायतें मिल रही हैं।

प्रदेश में बिजली की डिमांड तेज गर्मी के कारण 12 हजार मेगावाट के आसपास बनी हुई है। सबसे ज्यादा डिमांड 12600 मेगावाट तक गई। प्रदेश में 12200 मेगावाट बिजली की डिमांड रही, जिसके बदले में 10500 मेगा वाट की ही आपूर्ति हो सकी।
मतलब साफ है कि बिजली की मांग और आपूर्ति में अंतर अब बढ़ने लगा है। ऐसे में बिजली संकट (Energy Crisis in MP )को लेकर प्रदेश का सियासी पारा भी चढ़ने लगा।

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ऊर्जा मंत्री की टाल मटोल
अभी तक ऊर्जा मंत्री प्रधुम्न सिंह तोमर बिजली संकट से इंकार कर रहे थे। कुतर्कों से इस बात को छुपाने की कोशिश में थे कि प्रदेश में कोई ऊर्जा संकट है। लेकिन, अब उन्होंने भी मान लिया कि बिजली की कमी है और कटौती की जा सकती है।

 

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मध्य प्रदेश 21 हजार मेगावाट बिजली उत्पादन की क्षमता वाला प्रदेश है। इनमें से साढ़े 7 हजार मेगावाट बिजली प्राकृतिक स्रोतों से मिलती है। इसमें जल, वायु और सौर ऊर्जा शामिल है। इसके अलावा थर्मल यानी कोल आधारित बिजली उत्पादन इकाई भी इसमें शामिल है। तोमर ने कहा कि हाल ही में बिजली का जो संकट(Energy Crisis in MP )आया था, वह कोयले की कमी के चलते था।
उन्होंने कहा कि वास्तविकता यह है कि अगर ज्यादा पानी न गिरे तो जल स्रोतों से बिजली उत्पादन में असर पड़ता है। अगर हवा न चले तो वायु स्रोतों पर आधारित बिजली उत्पादन घटता है और अगर सूर्य की ऊर्जा कम हो जाए तो सौर ऊर्जा में भी दिक्कत आती है। इसी तरह थर्मल पावर स्टेशनों में भी कोयले की कमी आई थी, इससे उत्पादन पर असर हुआ था. लेकिन उसे जल्द दूर कर लिया गया।

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Energy Crisis in MP:कोयला आयात
ऊर्जा मंत्री ने कहा कि कोयला की कमी दूर करने 7 लाख मिट्रिक टन कोयला विदेश से आयात किया जा रहा है। फिलहाल मध्य प्रदेश में कोयले की स्थिति बेहतर हुई है और अन्य प्रदेशों के मुकाबले मध्य प्रदेश बिजली के मामले में काफी अच्छी स्थिति में है।

 

बिजली संकट

 

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बिजली संकट पर राजनीति
बीजेपी के विधायक भी अब मुश्किलें खड़ी करने लगे हैं। सागर जिले के नरयावली से बीजेपी विधायक प्रदीप लारिया ने स्वीकार किया है कि उनके विधानसभा क्षेत्र के ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली का संकट है। बिजली कटौती की शिकायतें लगातार मिल रही हैं। बीजेपी विधायक ने कहा कि इस मामले को लेकर वे मुख्यमंत्री से बात करेंगे और लोगों की शिकायत दर्ज कराएंगे।
लेकिन, बीजेपी विधायक ने कांग्रेस के इन आरोपों से इनकार किया है जिसमें 8 से 10 घंटे तक बिजली कटौती होने की बात कही जा रही है। प्रदेश में बिजली का घोषित प्लान जारी करने के मामले में बीजेपी विधायक लारिया ने कहा है कि इस पर फैसला सरकार लेगी।
प्रदेश में हो रही बिजली कटौती को लेकर कांग्रेस शिवराज सरकार पर हमलावर की मुद्रा में है। कांग्रेस विधायक पीसी शर्मा ने बिजली संकट के मामले में विधानसभा का विशेष सत्र बुलाए जाने की मांग की। उन्होंने कहा कि उनके विधानसभा क्षेत्र में भी कई इलाकों में बिजली की कटौती की शिकायतें मिल रही हैं। कांग्रेस विधायक ने बिजली संकट के मामले में सरकार की मंशा पर सवाल खड़े किए हैं।

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