Enforcement of Journalist Safety Law : जिला पत्रकार संघ के बैनर तले पुलिस, प्रशासन के खिलाफ पत्रकारों ने दिया धरना!

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Enforcement of Journalist Safety Law : जिला पत्रकार संघ के बैनर तले पुलिस, प्रशासन के खिलाफ पत्रकारों ने दिया धरना!

मुख्यमंत्री से की पत्रकार सुरक्षा कानून लागू करने की मांग, सौ से अधिक पत्रकारों ने की सहभागिता!

पत्रकारोें के आक्रोश और धरना प्रदर्शन को कांग्रेस का भी मिला साथ!

झाबुआ से उत्सव सोनी की रिपोर्ट

Jhabua : प्रदेश भर में पत्रकारों पर हो रहें हमले और झाबुआ में पत्रकारों के साथ हुए प्रशासनिक दुर्व्यवहार के कारण सोमवार को जिले-भर के पत्रकारों ने जिला पत्रकार संघ झाबुआ के बैनर तले आक्रोश व्यक्त करते हुए धरना प्रदर्शन किया। अम्बेडकर गार्डन में जिले-भर से जुटे सैकड़ों पत्रकारों ने प्रदेश में पत्रकार सुरक्षा कानून लागू करने, प्रशासनिक दुर्व्यवहार सहित अन्य मांगों को लेकर आक्रोश व्यक्त किया। बता दें कि विगत दिनों मुख्यमंत्री के झाबुआ आगमन के दौरान DM और SP द्वारा झाबुआ के कुछ पत्रकारों पर तल्ख टिप्पणी की गई थी! जिससे पत्रकारों में आक्रोश व्याप्त हो गया है।

प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा धमकी भरे अंदाज में की गई टिप्पणीयां कलमकारों का नागवार गुजरी है जिसके चलते सोमवार को बड़ा धरना प्रदर्शन किया गया। धरना प्रदर्शन में जिला पत्रकार संघ के आव्हान पर झाबुआ सहित जिले-भर के विभिन्न ग्रामों से लगभग 100 से अधिक पत्रकारों ने सहभागिता कर अपना समर्थन दिया!

एसडीएम ने लिया ज्ञापन!

करीब 3 घंटे तक चले धरना प्रदर्शन के बाद प्रशानिक अधिकारी के रूप झाबुआ एसडीएम भास्कर घाचले, तहसीलदार सुनील डावर धरना स्थल पर पहुंचे। पत्रकार महेश राठौर ने ज्ञापन का वाचन किया। जिला पत्रकार संघ जिलाध्यक्ष राजेश सोनी, महासचिव अक्षय भट्ट, संरक्षक मनोज चतुर्वेदी, संजय भटेवरा, हरिशंकर पंवार, संघ के जिला उपाध्यक्ष सत्यनारायण सिंह ठाकुर, मुज्जमिल मंसूरी सहित कई पत्रकारों ने सीएम डॉ मोहन यादव के नाम ज्ञापन सौंपा और 15 दिनों में ज्ञापन पर कार्यवाही की मांग की गई।

शांतिपूर्ण किए गए धरना प्रदर्शन में सर्वप्रथम जिला पत्रकार संघ जिलाध्यक्ष राजेश सोनी ने सम्बोधित करते हुए इस प्रदर्शन किए जाने के कारणों पर प्रकाश डाला। साथ ही कहा कि प्रशासन और पत्रकार एक दूसरे की कड़ी हैं। पत्रकारों को अपने कर्तव्य निर्वहन में जो परेशानी आ रही है यह धरना प्रदर्शन उसकी लड़ाई का अंग है। प्रशासन से व्यक्तिगत द्वेषता नहीं है किन्तु पत्रकारों के साथ झाबुआ जिले भर में कई ऐसे मामले सामने आए है जहां पत्रकारों के साथ असहयोगात्मक रवैया प्रशासन का देखने को मिल रहा है। जिले के अलावा ग्रामीण स्तर पर भी पत्रकारों को प्रशासनिक सहयोग नहीं मिल पाता है। प्रशासन अच्छी खबर की वाह-वाही लूटता है लेकिन जब जनहित की खबर चलती है तो प्रशासन कार्यवाही की बात करता है। जिले में पत्रकारों के हितों की रक्षा और सम्मान के लिए संगठन सदैव तत्पर रहा है।

संघ सरंक्षक संजय भटेवरा ने कहा की वर्तमान में पत्रकार सुरक्षा कानून की काफी जरूरत है। पंचायत स्तर से लेकर प्रदेश स्तर तक पत्रकारों पर हमले हो रहे हैं और प्रशासन भी पत्रकारों पर निशाना साध रहा है। उन्होंने कहा कि कलेक्टर झाबुआ द्वारा यह कहा जाना कि सब दूर कैमरे लगा रखे हैं और कौन क्या कर रहा है हमें सब पता है काफी निराशजनक है। उन्होंने कहा कि पुलिस अधीक्षक कहते हैं कि सब के इशु हैं, आखिर इसका मतलब क्या है। ये अधिकारी पत्रकारों को अपृत्यक्ष रूप से धमकाने की कोशिश कर हैं जो असहनीय है, जिसका हर स्तर पर विरोध किया जाएगा।

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संघ के संरक्षक हरिशंकर पंवार ने संबोधित करते हुए कहा कि प्रशासन ओर पत्रकार दोनों को एक दुसरे के साथ की जरूरत है, उनसे हम लड़ाई नहीं कर सकते लेकिन समाचार के माध्यम से भी यदि बात नहीं बनी तो हमें मजबूर होकर कलम डाउन करना पडे़गी। उन्होंने कहा की पत्रकारों को भी गंभीरता से पत्रकारिता को करना चाहिए।

संघ के महासचिव अक्षय भट्ट ने कहा कि प्रशासन पत्रकारों के साथ जिस तरह का असहयोग कर रहा हैं वह आक्रोश का कारण है जिसे किसी भी स्थिति में स्वीकार नहीं किया जाएगा। मनोज अरोडा ने कहा कि आज प्रशासनिक बेरूखी के कारण गांव-गांव से पत्रकार साथीयों को धरना प्रदर्शन में शामिल होने झाबुआ आना पड़ा यह बड़े खेद का विषय हैं।

आलोक द्विवेदी ने कहा कि आज के ऐसे दौर में पत्रकारिता करना एक चुनौती हो गया है, प्रशासनिक अफसरों को पत्रकारों के प्रति सकारात्मक रवैया रखना चाहिए किंतु झाबुआ जिले में इसके विपरीत कार्यशैली अधिकारी अपना रहे हैं।राजेन्द्र सिंह सोनगरा ने कहा कि पत्रकारों के सम्मान के लिए विरोध स्वरूप धरना प्रदर्शन जैसा कदम उठाना पड़ा हैं। प्रशासन और पत्रकार एक सिक्के के दो पहलु हैं। दोनों जनता की मदद के लिए काम करते हैं, किंतु कई बार प्रशासन में बैठे अधिकारी आलोचनात्क खबरों को व्यक्तिगत लेकर पत्रकारों के प्रति द्वेष-भाव रखते हैं जबकि ऐसा नहीं होना चाहिए। पत्रकार सरकार की योजनाओं को धरातल पर पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। बावजूद यदि प्रशासनिक और पुलिस अधिकारी यदि ऐेसा व्यवहार करेंगे तो पत्रकार हतोत्साहित होगा।

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पेटलावद के विरेन्द्र भट्ट ने कहा की जल जीवन मिशन को खबर में कलेक्टर का सार्वजनिक वर्जन छापने पर पत्रकारों और संपादकों के माध्यम नोटिस तो दिला दिए किंतु मेडम ने ठेकेदार और संबंधित एजेंसी पर कोई कार्यवाही नहीं की, इस तरह बर्ताव से प्रशासनिक अफसर क्या दिखाना चाहते हैं। अब ऐसा दौर आ गया हैं कि जनता की हित के समाचार लिखना मतलब मुसीबत मोल लेना हो गया हैं।विरेन्द्र राठौर ने कहा की झाबुआ जिले की पत्रकारिता कभी ना तो डरी है ना ही डरेगी हमारी आवाज को जो जितना दबाने की कोशिश करेगा वह उतनी ही मुखरता से चलेंगी। उन्होंने कहा कि कलेक्टर कहती हैं कि केमरे से निगरानी हो रही हैं तो क्या सिर्फ पत्रकारों की ही हो रही हैं?

कांग्रेस का मिला साथ!

पत्रकारोें के आक्रोश और धरना प्रदर्शन को कांग्रेस पार्टी का भी साथ मिला। पूर्व केन्द्रीय मंत्री और वरिष्ठ आदिवासी नेता कांतिलाल भूरिया, झाबुआ विधायक और आदिवासी कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉक्टर विक्रांत भूरिया, जिला कांग्रेस अध्यक्ष प्रकाश रांका, शहर कांग्रेस अध्यक्ष जितेन्द्र सिंह राठौर, जिला पंचायत अध्यक्ष प्रतिनिधि जसवंत भाबर ने पत्रकारों के धरना प्रदर्शन में शामिल होकर प्रशासन द्वारा पत्रकारों के साथ किए जो रहें दुर्व्यवहार की आलोचना की और प्रदेश सरकार से ऐसे जिम्मेदारों के खिलाफ कार्यवाहीं की मांग की।