राजस्थान के 13 जिलों को लाभान्वित करने वाली 40,000 करोड़ रु की नहर परियोजना ERCP का मुद्दा फिर गर्माया

कांग्रेस द्वारा 25 से 29 सितंबर तक पूर्वी राजस्थान के इन्हीं 13 जिलों में जन आशीर्वाद यात्रा निकालने का निर्णय

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राजस्थान के 13 जिलों को लाभान्वित करने वाली 40,000 करोड़ रु की नहर परियोजना ERCP का मुद्दा फिर गर्माया

गोपेंद्र नाथ भट्ट की रिपोर्ट

जयपुर: राजस्थान विधान सभा चुनाव से पहलें पूर्वी राजस्थान के तेरह जिलों भरतपुर, अलवर, धौलपुर, करौली, सवाई माधोपुर, दौसा, जयपुर, टोंक, बारां, बूंदी, कोटा, अजमेर और झालावाड़ की जीवनदायनी मानी जाने वाली क़रीब 40,000 करोड़ रु लागत की पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना( ईआरसीपी-ईस्टर्न कैनाल प्रोजेक्ट) का मुद्दा एक बार फिर गर्मा रहा है। कांग्रेस द्वारा सीएम अशोक गहलोत के नेतृत्व में 25 से 29 सितंबर तक पूर्वी राजस्थान के 13 जिलों में जन आशीर्वाद यात्रा निकालने का निर्णय लिया गया है।

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अनेक बार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भाजपा की मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे के कार्यकाल में बनी इस परियोजना के सम्बन्ध में प्रधानमंत्री द्वारा जयपुर और अजमेर में दिए गए वायदे को पूरा कर इस महत्वाकांक्षी परियोजना को राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा देने की माँग कर चुके है। मुख्यमंत्री गहलोत ने यह माँग पूरी नही होने पर राज्य के बजट में विशेष बजट का प्रावधान रख इसका प्रारम्भिक काम शुरू करवाने का फैसला लिया है लेकिन अकेले राज्य सरकार के बलबूते इतनी बड़ी परियोजना का काम नही हो पाने का हवाला देते हुए केन्द्र सरकार से सहयोग प्रदान करने की अपील भी की है।

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत केन्द्र सरकार में राजस्थान के ही जल शक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत के होने के बावजूद इस परियोजना के लिए केन्द्र की मँजूरी और धन राशि नही मिलने को दुर्भाग्य पूर्ण बता रहे है और अनेक बार इस मुद्दे पर गहलोत और शेखावत के मध्य आरोप प्रत्यारोप हो चुके है। गहलोत ने कहा है कि इसके लिए राजस्थान की जनता शेखावत को कभी माफ़ नही करेंगी।

इधर केन्द्रीय मंत्री शेखावत का कहना है कि यह मामला मध्य प्रदेश और राजस्थान सरकार के मध्य का है। जब तक दोनों सरकारें मिल कर अपने मसले नही निपटायेगी, इस पर आगे बढ़ना मुश्किल है। केन्द्र सरकार ने कई बार प्रयास किए है लेकिन राजस्थान सरकार बैठकों में अपने प्रतिनिधि ही नही भेजती है और राजनीति कर रही है।

आसन्न विधान सभा चुनाव को देखते हुए इस मुद्दे पर केंद्र सरकार और भाजपा को घेरने के लिए कांग्रेस और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने रणनीति बना कर सीएम गहलोत के नेतृत्व में 25 से 29 सितंबर तक पूर्वी राजस्थान के 13 जिलों में यात्रा निकालने का निर्णय लिया है।इस यात्रा को जन आशीर्वाद का नाम दिया जाएगा।

रविवार को  हैदराबाद में कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने पार्टी के शीर्ष नेताओं के समक्ष इस परियोजना के सम्बन्ध में एक प्रेजेंटेशन भी दिया था ।

पूर्वी राजस्थान में पाँच दिनों तक निकलने वाली इस जन आशीर्वाद यात्रा की शुरुआत जयपुर अथवा दौसा से की जायेंगी, जिसमें मुख्यमंत्री अशोक   गहलोत,प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा, प्रदेश के मंत्र और कांग्रेसी विधायकों के साथ-साथ पार्टी कार्यकर्ता यात्रा में शामिल होंगे। यात्रा का समापन अजमेर जिले में एक विशाल रैली के साथ करने पर विचार किया जा रहा है है।

ईआरसीपी के बहाने कांग्रेस  पूर्वी राजस्थान के 13 जिलों की 86 विधानसभा सीटों पर अपना वर्चस्व मजबूत करने की कौशिश करेगी।  जन आशीर्वाद यात्रा के दौरान कांग्रेस जनता को ईआरसीपी पर केंद्र सरकार की वादा खिलाफी से अवगत करवाएगी साथ कांग्रेस सरकार ने इस योजना के लिए क्या-क्या कदम उठाएं हैं उससे वहां के लोगों का अवगत करें जाएगा।

पाँच दिनों तक निकलने वाली  इस जन आशीर्वाद यात्रा के लिए एक हाईटेक रथ तैयार किया जा रहा है, जिसमें मुख्यमंत्री गहलोत,, प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा और प्रदेश अध्यक्ष गोविन्द सिंह डोटासरा सहित कई अन्य नेता भी मौजूद रहेंगे। जन आशीर्वाद यात्रा के दौरान अलग-अलग विधानसभा क्षेत्र में छोटी-बड़ी जन सभाओं का भी आयोजन किया जाएगा ताकि कांग्रेस ईआरसीपी के मुद्दे पर स्थिति स्पष्ट की जा सके।

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उल्लेखनीय है कि यह परियोजना पूर्वी राजस्थान के तेरह जिलों भरतपुर, अलवर, धौलपुर, करौली, सवाई माधोपुर, दौसा, जयपुर, टोंक, बारां, बूंदी, कोटा, अजमेर और झालावाड़ के लिए सिंचाई और पेयजल की योजना है ।जिससे 2051 तक इन जिलों को पानी की पूर्ति होनी है। ईआरसीपी के धरातल पर उतरने से 2.02 लाख हेक्टेयर नई सिंचाई भूमि में सिंचाई सुविधा मिलेगी।साथ ही इन जिलों में पहले से बने 26 बांधों में सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी उपलब्ध हो सकेगा। हाल ही में इसमें 53 बांध और जोड़े गए हैं। इससे करीब एक लाख हेक्टेयर अतिरिक्त भूमि सिंचित हो सकेगी। इस काम को सात साल में पूरा होना है, लेकिन जो परिस्थितियाँ है उसे देखते हुए इसमें देरी होना पक्का दिख रहा है।

पूर्वी राजस्थान में एक ही बारहमासी नदी चंबल बहती है. इस नदी में हर साल 20 हजार मिलियन क्यूबिक मीटर (एमसीएम) पानी यमुना-गंगा के जरिए बंगाल की खाड़ी में बेकार बह जाता है. यही पानी हर साल इस क्षेत्र में बाढ़ का कारण बनता है. इन बेकार बहकर जाने वाले पानी के उपयोग के लिए ईआरसीपी योजना बनाई गई है. इस परियोजना के तहत मानसून के दिनों में कुल 3510 एमसीएम पानी जिसमें 1723.5 पेयजल, 1500.4 एमसीएम सिंचाई और 286.4 एमसीएम पानी को उद्योगों के लिए चंबल बेसिन से राजस्थान की दूसरी नदियों और बांधों में शिफ्ट करना है.
इसके लिए पार्वती, कालीसिंध, मेज नदी के बरसाती ज्यादा पानी को बनास, मोरेल, बाणगंगा और गंभीर नदी तक लाया जाना है. कुल मिलाकर ईआरसीपी से पूर्वी राजस्थान की 11 नदियों को आपस में जोड़ा जाना है. परियोजना के पूरे होने से मानसून में बेकार बहकर जाने वाले बाढ़ के पानी का उपयोग होगा।इसी से पूर्वी राजस्थान के 13 जिलों को सिंचाई, पेयजल और उद्योगों के लिए पानी मिल सकेगा।