

सौ वर्ष पूर्व भी रतलाम में जनोन्मुखी साहित्य धारा प्रवाहित थी!
Ratlam : आज से सौ वर्ष पूर्व भी रतलाम में साहित्य की जनोन्मुखी धारा प्रवाहित थी। रचनाकार उस समय भी रचनाओं के माध्यम से जनता की आवाज को बुलंद कर रहें थे। गोपाल सिंह नेपाली भी ऐसे ही रचनाकार रहें जिन्होंने अपने गीतों के माध्यम से आम आदमी के जीवन संघर्ष को ऊंचा उठाया। यह रतलाम का सौभाग्य रहा कि वे यहां की धरा पर रहकर अपना साहित्य सृजन करते रहें।
उक्त विचार जनवादी लेखक संघ रतलाम द्वारा आयोजित ‘एक रचनाकार का रचना संसार’ श्रृंखला के अंतर्गत गोपाल सिंह नेपाली पर केंद्रित आयोजन में वरिष्ठ साहित्यकार प्रोफेसर रतन चौहान ने व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि नेपाली जी की रचनाएं भाषा को वापरने का सलीका सिखाती हैं और रचना के माध्यम से जन-जन तक पहुंचाने की समझ भी बढ़ाती हैं। उनकी रचनाएं इतने वर्षों बाद भी तरोताज़ा लग रही है, यह रचनाओं की सफलता हैं। कार्यक्रम की मुख्य अतिथि डॉक्टर पूर्णिमा शर्मा ने कहा कि नेपाली जी की रचनाओं को विद्यालय के पाठ्यक्रम को पढ़ाते समय समझने और उनकी व्याख्या करने का अवसर मिला। इन रचनाओं के भीतर जो दर्द समाया है, उसे इन रचनाओं को पढ़ते हुए महसूस किया जा सकता हैं।
युवा साहित्यकार आशीष दशोत्तर ने इस अवसर पर गोपाल सिंह नेपाली के जीवन चरित्र पर प्रकाश डालते हुए बताया कि चालीस के दशक में नेपाली जी ने शहर की पत्रकारिता और साहित्य की जो सेवा की वह स्मरणीय है। साथ ही इस आयोजन के संदर्भ में इतिहासविद ललित भाटी और डॉ. प्रदीप सिंह राव द्वारा प्रेषित संस्मरणों का उल्लेख भी किया । कार्यक्रम में नेपाली जी की विविध विषय की रचनाओं का पाठ कर उनका स्मरण किया गया।
इन्होंने किया रचना पाठ!
आयोजन में गोपाल सिंह नेपाली की रचनाओं का पाठ प्रोफेसर रतन चौहान, साहित्यकार एवं एडवोकेट यूसुफ जावेदी, साहित्यकार ओमप्रकाश मिश्र, साहित्यकार रणजीत सिंह राठौर, एसके मिश्रा, मांगीलाल नगावत, सुभाष यादव , विनोद झालानी, जितेंद्र सिंह पथिक, पुष्पलता शर्मा, डॉक्टर पूर्णिमा शर्मा, आशा श्रीवास्तव, पूजा चोपड़ा, शिवराज जोशी, जीएस खींची, राधेश्याम शर्मा, श्याम सुंदर भाटी , सुभाष यादव, डॉक्टर मोहन परमार, कीर्ति कुमार शर्मा, आशीष दशोत्तर ने किया। संचालन जलेसं अध्यक्ष रणजीत सिंह राठौर ने तथा आभार यूसुफ जावेदी ने माना!
अगली कड़ी शशि भोगलेकर पर!
‘एक रचनाकार का रचना संसार’ श्रृंखला के अंतर्गत तीसरी कड़ी में 8 जून को शहर के सुप्रसिद्ध कवि रहें शशि भोगलेकर की रचनाओं का पाठ शहर के रचनाप्रेमी करेंगे। जनवादी लेखक संघ रतलाम ने सुधिजनों से उपस्थिति का आग्रह किया हैं!