33 साल बाद भी महू में बेरछा-हेमा रेंज की सेना द्वारा ली गई जमीन का पूरा भुगतान नहीं, बुजुर्ग किसानों ने प्रेस वार्ता लेकर सुनाया दुखड़ा!

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33 साल बाद भी महू में बेरछा-हेमा रेंज की सेना द्वारा ली गई जमीन का पूरा भुगतान नहीं, बुजुर्ग किसानों ने प्रेस वार्ता लेकर सुनाया दुखड़ा!

दिनेश सोलंकी की रिपोर्ट

महू: महू में किसानों द्वारा पत्रकार वार्ता में बताया गया कि भारत शासन द्वारा बेरछा – हेमा रेंज क्षेत्र की जमीनों में किसान की जमीन रक्षा मंत्रालय ने अपने अधीन कर ली थी, जिसकी कीमत सिंचित 52000 रुपए हेक्टर एवं असिंचित जमीन के 36000 रुपए हेक्टर से भुगतान किया गया था। किसान अपनी जमीन के लिए अधिक रुपए का भुगतान चाहते थे जो उन्हें नहीं मिला। उन्होंने न्यायालय की शरण ली और 2017 में सिंचित जमीन को प्रति हेक्टर 10000 रुपए और दिए जाने का निर्णय लिया गया, किंतु रक्षा मंत्रालय के सैन्य विभाग द्वारा रुपए किसानों को आज तक नहीं दिए गए। इससे लगभग 1000 परिवार परेशान है और इस उदासीनता को लेकर 33 वर्ष बीत चुके हैं। कोई नेता, मंत्री, सरकार प्रतिनिधि, सेना प्रतिनिधि सुनने वाला नहीं है। अनेकों बार केंद्रीय रक्षा मंत्री से भी संपर्क किया, पत्र लिखा गया है, किंतु हल नहीं निकला है। इस तरह साफ साफ न्यायालय के निर्णय की भी अवहेलना भी की जा रही है।

पत्रकारों को जानकारी देते हुए बताया कि 2018 में सर्वोच्च न्यायालय में शासन की लगी अपील खारिज कर दी गई है उसके बावजूद भी रक्षा संपदा विभाग द्वारा प्रभावित किसानों को मुआवजा नहीं दिया जाकर केवल आश्वासन दिए जा रहे हैं। भुगतान नहीं होने से किसानों की हालत खराब होती जा रही है। अब अगर सुनवाई नहीं की गई और किसानों को मुआवजा नहीं मिला तो किसानों के लिए आत्महत्या करना, अनिश्चितकालीन अनशन करना ही एक विकल्प होगा।

पत्रकार वार्ता में कहा गया कि बड़ी ही आश्चर्य करने वाली बात है कि हर राजनीतिक पार्टियां किसान हित की बात कर रही है किंतु किसी पार्टी ने भी इस समस्या को हल करने में रुचि नहीं बताई। यह अपने आप में सरकार के लिए शर्मिंदा का विषय है की समस्या से पीड़ित बुजुर्ग किसानों को, जिसमें 87 वर्ष, 83 वर्ष, और 60 वर्ष से अधिक आयु के किसानों को पत्रकार वार्ता लेना पड़ रही है।

पत्रकार वार्ता में हुकम सिंह चौधरी, सियानंद सिद्धनाथ,श्रीराम मुकाती, बिहारी लाल अंबाराम, रमेश गोविंद, घनश्याम पाटीदार, बद्रीलाल मुकाती, अंबाराम गिरधारी आदि अनेक किसान उपस्थित थे।