Ex Bureaucrat Book : UPA सरकार की खामियों पर टिप्पणी से राजनीति गरमाई!

पूर्व नौकरशाह का खुलासा 'अंबानी को गैस के अनुचित मूल्य निर्धारण की अनुमति!'

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Ex Bureaucrat Book : UPA सरकार की खामियों पर टिप्पणी से राजनीति गरमाई!

New Delhi : पूर्व नौकरशाह केएम चंद्रशेखर की किताब ने राजनीति के पुराने पन्ने पलट दिए। यूपीए सरकार में कैबिनेट सचिव रहे केएम चंद्रशेखर ने अपने संस्मरणों की किताब में दावा किया कि मुकेश अंबानी और उनके भाई अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस एनर्जी लिमिटेड (REL) को UPA सरकार ने गैस के अनुचित मूल्य निर्धारित करने की अनुमति दी गई थी।

उन्होंने उन्होंने तत्कालीन यूपीए सरकार के कुछ नीतिगत मामलों में कमजोरी को लेकर सवाल उठाए। चंद्रशेखर ने लिखा कि अंबानी की कंपनी आरईएल इंटरनेशनल बिडिंग फार्मूले पर तय हुए 2.34 यूएस डालर प्रति बैरल की दर पर गैस बेचने के लिए सहमत थी। इसके बाद अंबानी ने 4 डालर प्रति बैरल दाम बढ़ाने की मांग रख दी, जबकि इसका कोई आधार नहीं था।

प्रशासनिक सुधारों में रूचि नहीं
उन्होंने मोदी सरकार की सराहना करते हुए लिखा है कि तत्कालीन UPA सरकार की रुचि प्रशासनिक सुधारों में नहीं थी। जब 26/11 की आतंकी घटना के बाद देश भय के माहौल में जी रहा था, तब भी तत्कालीन सरकार आतंकवाद के खिलाफ कोई स्पष्ट निर्णय नहीं ले पा रही थी। केरल कैडर के 1970 बैच के आइएएस अधिकारी और यूपीए सरकार में 2007 से 2011 तक कैबिनेट सचिव रहे चंद्रशेखर ने अपने सेवाकाल की प्रमुख घटनाओं के संस्मरणों पर ‘As Good As My Word: A Memoir’ शीर्षक से किताब लिखी है।

पूर्व कैबिनेट सचिव ने जो लिखा
चंद्रशेखर लिखते हैं कि मेरी नजर कम दाम देशहित में थी, लेकिन कंपनी की मांग को मानते हुए सचिवों की समिति द्वारा उस संबंध में बनाई गई रिपोर्ट को तत्कालीन प्रधानमंत्री की वित्तीय सलाहकार परिषद के चेयरमैन सी. रंगराजन के पास भेज दिया गया। उन्होंने न कोई सवाल खड़ा किया और न किसी तर्क को खारिज किया। इसके बाद संदिग्ध फार्मूले के आधार पर थोड़े से संशोधन के साथ आरईएल को अनुचित मूल्य निर्धारण की अनुमति दे दी। इस असंगत मूल्य वृद्धि को स्थगित करने पर तत्कालीन संबंधित मंत्री को हटाकर उन्हें कम महत्व का पोर्टफोलियो दे दिया गया।

26/11 हमले पर टिप्पणी
उन्होंने स्पष्ट किया कि 2014 में सत्ता संभालने के बाद NDA सरकार ने उन दामों को पुनरीक्षित और संशोधित कर लागू कराया। आतंकवाद को लेकर यूपीए सरकार की नीतियों को भी पूर्व कैबिनेट सचिव ने कठघरे में खड़ा किया है। 26/11 के आतंकी हमले के बाद देश वैसे ही डर के माहौल में जी रहा था। जैसे आज हम कोरोना संक्रमण की लहर को लेकर डरे हुए हैं। मुंबई में हुई उस आतंकी घटना ने उजागर कर दिया था कि आपात स्थिति में निर्णय लेने में सरकार कितनी कमजोर थी।

यूपीए सरकार पर निशाना
वे लिखते हैं कि तत्कालीन केंद्र सरकार के स्तर पर कुछ स्पष्ट नहीं था कि उस घटना के बाद उसे क्या करना है। घटना के बाद सरकार के एक वरिष्ठ मंत्री ने मुझसे कहा था कि हमें जांच करानी चाहिए कि कहां गलती हुई और इसके लिए कौन जिम्मेदार है, लेकिन इस पर अमल नहीं हो सका।’ पूर्व नौकरशाह ने प्रशासनिक सुधारों के प्रति यूपीए की उदासीनता का भी जिक्र अपनी किताब में किया है।

उन्होंने लिखा है कि प्रशासनिक सुधारों की बात आई तो सभी ने हाथ खड़े कर दिए थे। यहां तक कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भी उसमें व्यक्तिगत रुचि नहीं ली। चंद्रशेखर ने प्रसन्नता जाहिर की है कि वर्तमान मोदी सरकार ने इलेक्ट्रिसिटी रिफार्म, आधार कार्ड से सरकारी योजनाओं-कार्यक्रमों को लिंक करने जैसे कई महत्वपूर्ण सुधार किए हैं।