Ex CS IAS Dr Shambhunath is no More : मंच पर मौत पर बोलते-बोलते साहित्यकार डॉ शंभूनाथ की थम गई सांस… !

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Ex CS IAS Dr Shambhunath is no More : मंच पर मौत पर बोलते-बोलते साहित्यकार डॉ शंभूनाथ की थम गई सांस… !

                              पंचतत्व में विलीन हुए डॉ. शंभुनाथ

पूर्व मुख्य सचिव और साहित्यकार डॉ. शंभुनाथ का रविवार को भैंसाकुंड स्थित विद्युत शवदाह गृह में अंतिम संस्कार किया गया। उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान में शनिवार को आयोजित एक पुस्तक के लोकार्पण समारोह में वक्तव्य देते समय उनकी मृत्यु हो गई थी। उनके अंतिम संस्कार में बड़ी संख्या में साहित्यकार, रंगकर्मी और पूर्व व वर्तमान प्रशासनिक अफसर पहुंचे और उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।

लखनऊ के निराला सभागार में मनोरमा श्रीवास्तव के उपन्यास का विमोचन कार्यक्रम था। कार्यक्रम में पूर्व मुख्यसचिव और साहित्यकार डॉ शंभूनाथ का संबोधन चल रहा था। वे काल और मृत्यु को लेकर बोल रहे थे। बोलते बोलते गिर पड़े। कार्यक्रम में मौजूद एक डॉक्टर ने सीपीआर देने की कोशिश की। कार्यक्रम में मौजूद उनकी पत्नी हॉस्पिटल ले गई लेकिन अस्पताल पहुंचने पर उन्हें मृत घोषित कर दिया गया

हिंदी साहित्य और प्रशासनिक जगत के लिए एक दुखद खबर सामने आई है. उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्य सचिव और यूपी हिंदी संस्थान के पूर्व कार्यकारी अध्यक्ष, प्रख्यात साहित्यकार डॉ. शंभूनाथ का शनिवार शाम अचानक निधन हो गया. वह लखनऊ में एक बुक रिलीज सेरेमनी में मुख्य अतिथि के रूप में मंच पर बोल रहे थे. तभी अचानक से बोलते-बोलते उनकी सांसे थम गईं.

Former Ias Shambhunath Heart Attack,जब मृत्यु पर बोलते-बोलते चली गई जान, पूर्व आईएएस शंभूनाथ के निधन से हिंदी साहित्य को झटका - former ias shambhunath died while speaking at program ...

साहित्यकार डॉ. शंभूनाथ की मौत ने हिंदी साहित्य जगत को गहरा शोक पहुंचाया है. घटना शनिवार शाम करीब 6:30 बजे की है. लखनऊ के हिंदी संस्थान में कर्ण पर आधारित एक बुक लॉन्च सेरेमनी में डॉ. शंभूनाथ मुख्य अतिथि के रूप में पहुंचे थे. कार्यक्रम में वह मंच पर बैठकर कर्ण और मृत्यु के टॉपिक पर बात कर रहे थे. तभी अचानक उनका सिर मेज पर टिक गया. वहां मौजूद लोगों ने उन्हें पानी पिलाने की कोशिश की, लेकिन उनकी जीभ बाहर निकली हुई थी.

डॉ. शंभुनाथ शनिवार को हिंदी संस्थान में मनोरमा श्रीवास्तव के उपन्यास ‘व्यथा कौंतेय की’ के लोकार्पण समारोह में मुख्य अतिथि के तौर पर मृत्यु पर ही बोल रहे थे कि अचानक बोलते बोलते ही उनकी मौत हो गई। रामचरित मानस के अच्छे अध्येता के रूप में जाने जाते थे। उन्होंने आठ किताबें लिखी थीं। उनके जीवन पर भी किताबें लिखी गईं जिनमें से हिंदी संस्थान की प्रधान संपादक अमिता दुबे की भी एक किताब शामिल है। वे नवपरिमल साहित्यिक संस्था के पहले अध्यक्ष थे।

“बोलते-बोलते हो गई शंभूनाथ जी की मौत”

इसके बाद मौके पर मौजूद एक डॉक्टर ने उन्हें सीपीआर दिया, लेकिन कोई सुधार नहीं हुआ. आनन-फानन में उन्हें सिविल अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया. कार्यक्रम के संचालक और मशहूर कवि सर्वेश अस्थाना ने बताया, “शंभूनाथ जी मृत्यु पर बोल रहे थे और उसी विषय पर बोलते-बोलते उनकी मौत हो गई. यह हिंदी साहित्य जगत के लिए एक दुखद पल है.

 

डॉ. शंभूनाथ मूल रूप से बिहार के निवासी थे, लेकिन यूपी कैडर के आईएएस अधिकारी के रूप में उन्होंने उत्तर प्रदेश में लंबे समय तक अपनी सेवाएं दीं. बसपा सुप्रीमो और पूर्व मुख्यमंत्री मायावती के पहले कार्यकाल में वह प्रदेश के मुख्य सचिव रहे. इसके साथ ही उन्होंने कई जिलों में जिलाधिकारी, सचिव और प्रमुख सचिव के रूप में भी कार्य किया. अपनी प्रशासनिक कुशलता के साथ-साथ वह हिंदी साहित्य में भी गहरी रुचि रखते थे.

प्रशासनिक और साहित्यिक क्षेत्र में योगदान

यूपी हिंदी संस्थान के कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में भी डॉ. शंभूनाथ ने साहित्यिक जगत में अहम योगदान दिया. लखनऊ के गोमती नगर में रहने वाले डॉ. शंभूनाथ साहित्यिक आयोजनों में सक्रिय रूप से भाग लेते थे. डॉ. शंभूनाथ का निधन हिंदी साहित्य और प्रशासनिक जगत के लिए एक ऐसी क्षति है, जिसकी पूर्ति आसान नहीं होगी. उनके विचार, उनकी साहित्यिक संवेदनशीलता और प्रशासनिक अनुभव ने समाज के कई क्षेत्रों में गहरी छाप छोड़ी. इस दुखद घटना ने साहित्यिक समुदाय को गहरे शोक में डुबो दिया है.