Exam Crisis : जिन स्कूलों की मान्यता रद्द, वहां के बच्चे परीक्षा कैसे देंगे!

ऐसे स्कूलों के हजारों बच्चे नहीं दे सकेंगे बोर्ड परीक्षा!

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Exam Crisis : जिन स्कूलों की मान्यता रद्द, वहां के बच्चे परीक्षा कैसे देंगे!

Exam Crisis : जिन स्कूलों की मान्यता रद्द, वहां के बच्चे परीक्षा कैसे देंगे!

Indore : स्कूलों की मान्यता का प्रकरण उलझने से पांचवी और आठवीं के करीब 8 हजार स्टूडेंट्स के सामने परीक्षा का संकट पैदा हो गया। बीच सत्र में बोर्ड परीक्षा से रोक दिए जाने से स्कूल संचालक अब कलेक्टोरेट और शिक्षा विभाग के बीच झूल रहे है। कुछ संचालक अब कोर्ट की शरण ले रहे हैं।

पांचवीं और आठवीं की परीक्षा देने की तैयारी कर रहे स्टूडेंट्स के लिए खबर जरूरी है। इंदौर जिले के कई स्कूल ऐसे हैं, जिनकी मान्यता रद्द कर दी गई थी। अब बीच सत्र में इन कक्षाओं की बोर्ड परीक्षा का ऐलान ऐसे स्कूलों के लिए मुसीबत का सबब बन गया है। यहां पढ़ने वाले स्टूडेंट्स का भविष्य अधर में अटक गया। इस मुसीबत से निपटने स्कूल संचालकों ने कलेक्ट्रेट पहुंचकर अर्जी लगाई, तो कोई शिक्षा विभाग पहुंच गया। कई स्कूलों का मामला सुलझ गया, लेकिन अब भी कई स्कूलों की मान्यता को लेकर मामले बीच में ही अटके हुए हैं। ऐसे में इन स्कूलों में 5वीं और 8वीं कक्षा के बच्चों का भविष्य दांव पर लगा है।

यह है पूरा मामला
2022-23 सत्र शुरू होने के बाद स्कूल शिक्षा विभाग ने पांचवीं और आठवीं कक्षा की बोर्ड परीक्षा का ऐलान कर दिया। लेकिन, इस ऐलान के बाद उन बच्चों के भविष्य पर बन आई है जो ऐसे स्कूलों में पढ़ रहे हैं, जिनकी मान्यता के मामले अब तक आधे-अधूरे हैं। ऐसे स्कूलों की मान्यता का प्रकरण उलझा होने से पांचवीं और आठवीं के आठ हजार से ज्यादा स्टूडेंट्स के सामने असमंजस की स्थिति बन गई।

बीच सत्र में बोर्ड परीक्षा किए जाने से स्कूल संचालक इन दिनों कलेक्टोरेट और विभाग के बीच झूल रहे है, जबकि कुछ संचालक अब न्यायालय की शरण ले रहे हैं। इन दिनों बोर्ड परीक्षा के लिए स्टूडेंट्स की पंजीयन प्रक्रिया भी जारी है।

स्कूलों की मान्यता रद्द कर दी
मापदंड पूरे नहीं करने के चलते जिले भर के 296 निजी स्कूलों की मान्यता रद्द की गई थी। संचालकों की आपत्ति के बाद कलेक्टर मनीष सिंह ने दोबारा सुनवाई करने के निर्देश जारी किए, ताकि स्कूलों का पक्ष जाना जा सके। करीब 180 से अधिक स्कूलों का प्रकरण सुलझ गया। लेकिन, 90 स्कूलों की सुनवाई होना बाकी है, इनमें करीब 8 हजार स्टूडेंट्स पांचवीं और आठवीं कक्षा में पढ़ते हैं। जिनका भविष्य अधर में अटक गया।