Excise Trapped in Mafia’s Trick : बहुत कम में गई इस बार भांग और भांग घोटे की 29 दुकानें!

भांग माफिया के बिछाए जाल में फंस गई आबकारी विभाग की दुकानें!

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Excise Trapped in Mafia’s Trick : बहुत कम में गई इस बार भांग और भांग घोटे की 29 दुकानें!

इंदौर से गोविंद राठौर की ख़ास खबर

Indore : जिले की भांग और भांग घोटा दुकानों का टेंडर इस साल भी 2 करोड़ 47 लाख रुपए में दिया गया। राशि का यह आंकड़ा पिछले साल से भी कम रहा। पिछले साल 3.29 करोड़ में टेंडर हुए थे। इस बार नियमानुसार 10% राशि बढ़ना थी, पर उससे भी कम में टेंडर दिया गया। कारण कि इस बार किसी ने टेंडर भरने में कोई रुचि नहीं दिखाई, इसलिए तीन बार टेंडर जारी किए गए। शासन को राजस्व का नुकसान न हो, इसलिए विभाग ने तीसरी बार में राशि कम करके टेंडर जारी किया। 16 भांग, 12 भांग घोटा और एक भांग मिठाई की फुटकर बिक्री की दुकानों की टेंडर प्रक्रिया आबकारी विभाग ने पूरी भी कर ली।

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दरअसल, ये एक खेल था, जिसके पीछे भांग माफिया मुजाहिद खान उर्फ मंजूर ने चाल चली। बताते हैं कि उसने किसी को भी टेंडर नहीं भरने दिया। ऐसी स्थिति में तीन बार टेंडर निकाले गए और अंततः उसी एक व्यक्ति को दुकानें सौंप दी गई, जिसने अकेले कम राशि का टेंडर भरा था। बताते हैं कि ये व्यक्ति इसी भांग माफिया का गुर्गा है।

जानकारी के अनुसार आबकारी विभाग ने मार्च में जिले की भांग और भांग घोटा दुकानों के लिए विज्ञप्ति जारी की। विभाग द्वारा निर्धारित तारीख तक इसके लिए किसी ने भी रुचि नहीं दिखाई। कोई टेंडर नहीं आने पर आबकारी विभाग ने दोबारा टेंडर बुलाने का फैसला किया। इसके लिए प्रक्रिया शुरू की, लेकिन फिर कोई टेंडर नहीं आया। इसके बाद विभाग ने तीसरी बार टेंडर बुलवाए।

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इस बार एकमात्र टेंडर जितेंद्र राठौर ने जमा किया। इसमें भांग के सालाना टेंडर के लिए 2 करोड़ 47 लाख रुपए का लेख किया गया। यह राशि पिछले साल से कम होने के कारण आबकारी विभाग के अधिकारियों ने आपस में चर्चा कर विभागीय मुख्यालय ग्वालियर को सूचना दी। चूंकि, यह तीसरी बार टेंडर बुलाए गए थे। शासन को भी राजस्व का नुकसान नहीं हो, इसलिए पिछले साल से कम राशि में ही टेंडर जारी कर दिया गया।

जानकारी अनुसार तीसरी बार में एकमात्र टेंडर भरने वाला व्यक्ति जितेंद्र राठौर है। बताया जा रहा है कि यह व्यक्ति राजेश जायसवाल का दामाद है और अवैध भांग माफिया मुजाहिद खान उर्फ मंजूर का खास गुर्गा है। इससे यही लगता है, कि अप्रत्यक्ष रूप से अभी भी जिले के भांग के धंधे में मुजाहिद उर्फ मंजूर का ही वर्चस्व है। उधर, शासन को राजस्व का नुकसान नहीं हो, इसलिए आबकारी विभाग के अधिकारियों को भी मजबूरी में टेंडर जारी करना पड़ा।

अवैध भांग के खिलाफ कार्रवाई का क्या होगा

अब देखना है कि कि हाल ही में कुछ समय से अवैध भांग के खिलाफ कार्रवाई कर रहे आबकारी विभाग के अधिकारी इस कार्रवाई को आगे भी जारी रख सकेगा! क्योंकि, आबकारी विभाग कितने भी जतन करे भांग माफिया मुजाहिद खान उर्फ मंजूर को वह वैध और अवैध धंधे से दूर नहीं रख पा रहा है।