Expelled Student Commits Suicide : चित्रकूट विश्वविद्यालय के निष्कासित छात्र ने आत्महत्या की!
Chitrakoot : महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय के बीएससी (एग्रीकल्चर) के आदिवासी छात्र मदेश जमरे ने किराए के कमरे में फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली। सूचना पर पहुंची पुलिस ने जांच की। छात्र के भाई ने आरोप लगाया है कि उसके छोटे भाई को मारपीट की घटना में बेवजह संलिप्त कर प्रताड़ित कर निष्कासित कर दिया गया था। इसलिए उसने दुखी होकर आत्महत्या कर ली।
सतना जिले के खरगौन निवासी बीएसएसी एग्रीकल्चर के द्वितीय सेमेस्टर का छात्र मदेश जमरे गुप्त गोदावरी के पास स्थित वीरेंद्र पटेल के घर में किराए पर कमरा लेकर रहता था। उसने कमरे में फंदा लगाकर खुदकुशी कर ली। घटना की जानकारी मिलने पर पुलिस ने मौके पर पहुंचकर पड़ताल की। इसकी खबर विश्वविद्यालय के छात्रों को मिली तो वह भी घटनास्थल पर पहुंंचे। पुलिस ने परिजनों को बुलाया। शव को पोस्टमार्टम के लिए सतना भेजा गया है। थाना प्रभारी पंकज शुक्ला ने बताया कि परिजनों ने अभी किसी के खिलाफ शिकायत नहीं की। यदि कोई शिकायत मिली तो मामले की जांच कर कार्रवाई की जाएगी।
मारपीट में पूछताछ से परेशान था छात्र
बताया गया कि विश्वविद्यालय के कुछ छात्रों ने बताया कि मदेश जमरे का विवाद कृषि संकाय के कुछ छात्रों से हो गया था। शिकायत मिलने पर एक शिक्षक ने छात्र से पूछताछ की थी। उसी से मदेश परेशान रहता था। इसी के चलते उसने खुदकुशी कर ली। मृतक छात्र के भाई राजेश जमरे ने आरोप लगाया कि जब छात्रों में झगड़ा हुआ तब वह घर पर था। उन्होंने वीसी भरत मिश्रा के सामने अपनी बेगुनाही साबित करने की कोशिश भी की। लेकिन उन्हें निष्कासित कर दिया गया और आतंकवादी भी कहा गया। कॉलेज प्रशासन ने उन्हें और तीन अन्य को छात्रों के झगड़े में उनकी कथित संलिप्तता के कारण निष्कासित किया था।
राजेश ने पुलिस को लिखित शिकायत देकर वीसी भरत मिश्रा और दो अन्य के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई करने का आग्रह किया है। उन्होंने कहा कि मेरे भाई की मृत्यु को दो दिन हो गए, लेकिन न तो कॉलेज प्रशासन हमें जवाब दे रहा है और न पुलिस एफआईआर दर्ज कर रही है।
आत्महत्या के लिए जिन पर उंगली उठी
परिजनों ने मदेश की आत्महत्या के लिए विश्वविद्यालय के कुलपति, कृषि संकाय के डीन डीपी राय और कुलानुशासक पवन सिरोठिया को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने आरोप लगाया कि कुलपति, डीन और कुलानुशासक ने मृतक मदेश को बिना किसी कारण अथवा सूचना के 2 माह पहले विश्वविद्यालय से निष्कासित कर दिया था। उसने कई बार कुलपति, डीन और कुलानुशासक से आग्रह किया, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। वह दो महीने तक चक्कर काटता रहा और अंतत: परेशान होकर उसने आत्महत्या कर ली।
मदेश के परिजनों के इन आरोपों पर विश्वविद्यालय के अन्य छात्रों का भी सपोर्ट मिला। छात्रों ने भी इस मामले में प्रबंधन पर कार्रवाई की मांग छेड़ दी। बताया जाता है कि कुछ दिनों पहले विश्वविद्यालय के बाहर कुछ छात्रों के बीच झगड़ा हुआ था। इस विवाद पर प्रबंधन ने संज्ञान लेते हुए चार छात्रों को निष्कासित किया था, जिनमें मृतक मदेश भी शामिल था। हालांकि मृतक के भाई राजेश जमरे और राहुल जमरे का दावा है कि विवाद में मदेश शामिल नहीं था। बावजूद इसके एक्शन होने से वह परेशान था।