नेत्र शिविर का निष्कर्ष: 75 फ़ीसदी वाहन चालकों की नजरें कमजोर

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मंदसौर से डॉ . घनश्याम बटवाल की ख़ास ख़बर

मंदसौर । सड़क दुर्घटनाओं में देश भर में औसतन डेढ़ लाख लोगों की मृत्यु हो जाती है । मतलब एक दिन में लगभग चार सौ लोग अकाल मृत्यु को प्राप्त हो रहे है । प्रतिघंटा 16 – 17 की मौत हो रही है।
सारे दावों और प्रयासों के बावजूद यह क्रम जारी है । दुर्घटनाओं की रोकथाम के उपाय में यात्री बस चालकों , ट्रक , ट्रैक्टर , लोडिंग वाहनों , भारी वाहनों के चालकों का स्वस्थ और कुशल होना जरूरी हो गया है।
इस मामले में वाहन चालकों , नियोक्ताओं , परिवार जनों की उदासीनता और लापरवाही देखने में आई है।

मंदसौर जिले के राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक 79 पर 23 मार्च से 29 मार्च तक लगाए दो निःशुल्क नेत्र परीक्षण शिविरों में 768 ट्रक चालकों की जांच हुई । इनमें लगभग 30 प्रतिशत ड्राइवरों में दृष्टिदोष पाया गया । वहीं दस फ़ीसदी से अधिक केटरेक्ट मोतियाबिंद से पीड़ित मिले । जबकि 100 से अधिक चालकों में नाखूना रोग पाया गया ।
कुल 768 जांच में नम्बरों के 525 चालकों को चश्में दिये गये । 32 चालक तो ऐसे मिले जो गंभीर अवस्था में वाहन चला रहे है ।
ये चिन्ताजनक आंकड़े होप्स सोसायटी द्वारा रोड़ सेफ़्टी सेल के अंतर्गत लगाए शिविरों में सामने आए हैं । होप्स सोसायटी प्रभारी शैलेन्द्र सिंह भाटी ने बताया कि सुरक्षा की दृष्टि से ऐसे शिविर मंदसौर – नीमच के बीच सड़क सुरक्षा एवं राजमार्ग मंत्रालय , भारत सरकार के साथ संयुक्त रूप से लगाये गये ।

नेत्र परीक्षण शिविर में चोंकाने वाले आंकड़े मिले हैं । इससे पता चलता है कि किस स्तर पर उदासीनता और लापरवाही है चालक ख़ुद की और अन्य की सुरक्षा के प्रति गंभीर नहीं है । इसके कारण सड़कों पर दुर्घटनाओं का ग्राफ़ बढ़ रहा है ।

वरिष्ठ नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ विक्रांत भावसार ने चर्चा में इस प्रतिनिधि को बताया कि नेत्रों की जांच में 6 / 6 का पैमाना सामान्य होता है , इसमें अंतर आने पर चश्में की सलाह , मोतियाबिंद होने पर आधुनिक पद्धति से ऑपरेशन , रेटिना खराबी , आंखों के जाला बनना , सफ़ेद हिस्से का आंखों के काले भाग पर चढ़ जाना , नाखूना रोग होना , पानी आना जैसी समस्या हो रही है ।
मोतियाबिंद जैसे रोग में दिन तो ठीक रात्रि में खतरा बढ़ जाता है ।
डॉ विक्रांत भावसार ने सुझाव दिया कि केंद्र और राज्य सरकारों , स्वयं सेवी संगठनों , स्वास्थ्य विभाग के माध्यम से हर क्षेत्र में हर तीन माह में सभी चालकों का नेत्र परीक्षण होना चाहिए । राजमार्ग , प्रांतीय सड़क मार्गों पर ही नेत्र विशेषज्ञ की सेवाएं लेकर किया जाने से दुर्घटनाओं पर नियंत्रण होगा । लाखों लोगों की जान बच सकेंगी ।