चेहरा घोषित नहीं, फिर भी मुकाबला शिवराज-कमलनाथ में ही,दोनों कर रहे एक दूसरे पर हमले

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चेहरा घोषित नहीं, फिर भी मुकाबला शिवराज-कमलनाथ में ही,दोनों कर रहे एक दूसरे पर हमले

दिनेश निगम ‘त्यागी’ की खास रिपोर्ट

भोपाल: भाजपा नेतृत्व ने 2023 के विधानसभा चुनाव के लिए पार्टी की ओर से मुख्यमंत्री का कोई चेहरा घोषित नहीं किया हैं। वह इस बार उसी तर्ज पर चुनाव लड़ रही है जिस तरह 2018 में कांग्रेस लड़ रही थी। अर्थात भाजपा का चेहरा सामूहिक नेतृत्व है। पार्टी ने तय किया है कि वह चुनाव बाद मुख्यमंत्री का नाम तय करेगी। बावजूद इसके शिवराज सिंह चौहान ही भाजपा का चेहरा बने हुए हैं। प्रदेश में मुकाबला उनके और कांग्रेस के चेहरे कमलनाथ के बीच ही होता दिख रहा है। समूची कांग्रेस शिवराज पर हमला करती है और शिवराज भी कमलनाथ सहित पूरी कांग्रेस पर हमलावर हैं। भाजपा-कांग्रेस का कोई अन्य नेता इनके मुकाबले दिखाई नहीं पड़ता। इस तरह बिना घोषित किए शिवराज भाजपा का चेहरा बन हुए हैं।

विपक्ष में रहते भी हुआ था ऐसा

ऐसा पहली बार नहीं हो रहा। 2018 के विधानसभा चुनाव के बाद जब भाजपा सत्ता से बाहर हो गई थी। तब पार्टी के कद्दावर नेता और सबसे वरिष्ठ विधायक गोपाल भार्गव को विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष की जवाबदारी सौंपी गई थी। तब भी नेता प्रतिपक्ष की भूमिका में शिवराज सिंह चौहान ही दिखते थे, जबकि न वे प्रदेश अध्यक्ष थे, न ही उनके पास पार्टी का कोई अन्य प्रमुख पद था। फिर भी प्रदेश भर का दौरा शिवराज ही कर रहे थे और कमलनाथ सरकार को हर मोर्चे पर घेर रहे थे। गोपाल भार्गव या अन्य किसी नेता के लिए वे तब भी वे कोई स्पेस नहीं छोड़ रहे थे। अभियान में वे सफल भी रहे थे। जब भाजपा की सत्ता में वापसी हुई तो शिवराज ही फिर मुख्यमंत्री बने।

 

*शिवराज ने की थी यह घोषणा*

भाजपा के विपक्ष में आने और गोपाल भार्गव के नेता प्रतिपक्ष बनने के बाद अटकलें चल रही थीं कि अब शिवराज केंद्र की राजनीति में जाएंगे, लेकिन शिवराज ने घोषणा की थी कि वे मप्र छोड़कर कहीं नहीं जा रहे। वे यहां रहकर ही जनता की सेवा करेंगे। वे गए भी नहीं। विधायक रहते हुए उन्होंने विधानसभा में सत्तारूढ़ दल कांग्रेस का मुकाबला किया। कमलनाथ सरकार के खिलाफ मोर्चा लेते वे ही दिखाई पड़ते थे।

 

*फिर किसी को नहीं दे रहे स्पेस*

जो स्थिति भाजपा के विपक्ष में रहने के दौरान थी, उससे मिलती जुलती स्थित अब भी है। भाजपा ने शिवराज को मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित नहीं किया। इसके साथ तीन केंद्रीय मंत्री, 4 सांसद और भाजपा के एक राष्ट्रीय महामंत्री को चुनाव के मैदान में उतार कर पार्टी ने संकेत दे दिया कि उसके पास मुख्यमंत्री पद के कई दावेदार हैं। बावजूद इसके प्रदेश स्तर पर कांग्रेस का मुकाबला करते और दिन-रात मेहनत करते शिवराज ही नजर आ रहे हैं। वे किसी अन्य नेता को चेहरा बनने का स्पेस हीं नहीं दे रहे हैं। चर्चा में सिर्फ शिवराज हैं अन्य कोई नहीं।