Fact Check Unit : सरकार ने ‘फैक्ट चेक यूनिट’ के जरिए खुद को ही शक्तिमान बना लिया!
New Delhi : एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया (Editors Guild of India) ने केंद्रीय IT मंत्रालय द्वारा अधिसूचित नए आईटी संशोधन नियम (New IT Amendment Rules) को गलत बताते हुए कहा कि ये परेशान करने वाले हैं। एडिटर्स गिल्ड का कहना है कि इन संशोधनों का देश में प्रेस की स्वतंत्रता पर गहरा प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।
न्यू इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी (इंटरमीडियरी गाइडलाइंस एंड डिजिटल मीडिया एथिक्स कोड) एमेंडमेंट रूल्स, 2023 में यह कहा गया है कि प्रेस इन्फॉर्मेशन ब्यूरो के फैक्ट चेक यूनिट द्वारा ‘फर्जी/फेक’ मानी जाने वाली किसी भी खबर को सभी प्लेटफार्मों से हटाना होगा, जिसमें सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म भी शामिल हैं।
एडिटर्स गिल्ड ने 7 अप्रैल को जारी अपने बयान में कहा है कि
‘नए नियमों के माध्यम से, केंद्र सरकार ने खुद को एक ‘फैक्ट चेक यूनिट’ बनाने की शक्ति दी है। इसके पास केंद्र सरकार के किसी भी काम के संबंध में फेक या गलत या भ्रामक क्या है, यह निर्धारित करने के लिए व्यापक शक्तियां होंगी। इसके पास ‘मध्यस्थों’ (सोशल मीडिया मध्यस्थों, इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर और अन्य सर्विस प्रोवाइडर सहित) को ऐसी कंटेंट को होस्ट न करने का निर्देश देने का अधिकार भी होगा।
इस बयान में एडिटर्स गिल्ड ने आगे कहा कि असल में, सरकार ने खुद को अपने स्वयं के काम के संबंध में, कोई खबर फेक है या नहीं, यह निर्धारित करने और इसे हटाने का आदेश देने के लिए पूर्ण शक्ति दी है। तथाकथित ‘फैक्ट चेकिंग यूनिट’ का गठन मंत्रालय द्वारा एक साधारण आधिकारिक राजपत्र में प्रकाशित अधिसूचना’ द्वारा किया जा सकता है।
एडिटर्स गिल्ड का कहना है कि इस तरह की फैक्ट चेकिंग यूनिट के लिए गवर्निंग मैकेनिज्म क्या होगा, इसका कोई उल्लेख नहीं है। न इसमें न्यायिक निरीक्षण, अपील करने का अधिकार या श्रेया सिंघल बनाम भारत संघ मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा हटाने या सोशल मीडिया हैंडल ब्लॉक करने के लिए निर्धारित गाइडलाइन्स का पालन करने का प्रस्ताव है।
एडिटर्स गिल्ड के इस बयान में इस तथ्य की भी आलोचना की गई है कि जनवरी 2023 में पेश किए गए पहले के मसौदे संशोधनों को वापस लेने के बाद मंत्रालय ने इस संशोधन को “बिना किसी सार्थक परामर्श के, जो उसने वादा किया था” अधिसूचित किया है।
पहले भी विरोध किया
एडिटर्स गिल्ड ने सरकार के ‘फैक्ट चेकिंग यूनिट’ के प्रस्ताव की पहले भी आलोचना की थी।
गिल्ड ने पहले भी ‘फैक्ट चेकिंग यूनिट’ के बारे में चिंता जताई थी, जिसमें कहा गया था कि फेक न्यूज के निर्धारण का जिम्मा केवल सरकार के हाथों में नहीं हो सकता है।
18 जनवरी को जारी एक बयान में गिल्ड ने कहा था कि इलेक्ट्रॉनिक्स मंत्रालय द्वारा सूचना प्रौद्योगिकी नियम, 2021 में किए गए मसौदा संशोधन से गहराई से चिंतित हैं, जो PIB को समाचार रिपोर्टों की सत्यता निर्धारित करने, और ‘फेक’ माने गए किसी भी कंटेंट को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म सहित ऑनलाइन इंटरमीडियरिज से हटाने का निर्देश देने का अधिकार देता है।