भोपाल. स्वास्थ्य विभाग में बड़ा गोलमाल सामने आया है। वर्ष 2007 से 2022 के बीच प्रदेश के जिलों में 105 कर्मचारी ऐसे मिले है जो फर्जी नियुक्ति आदेश, फर्जी स्थानांतरण आदेश से नौकरी में आ गए। इनके नाम से वेतन आहरण भी हो रहा था। जांच में कई तो काम करते भी नहीं मिले।
स्वास्थ्य विभाग ने जांच के बाद ऐसे सभी कर्मचारियों के वेतन आहरण पर रोक लगा दी है। 52 कर्मचारियों के नियुक्ति आदेश शून्य घोषित कर दिए गए है।
प्राप्त जानकारी के मुताबिक दतिया सहित प्रदेश के एक दर्जन जिलों में फर्जी नियुक्ति आदेश से नौकरी कर रहे कर्मचारियों की लोकायुक्त में शिकायत की गई थी।
स्वास्थ्य संचालनालय ने जांच दल गठित कर दतिया सहित अन्य जिलों में फर्जी नियुक्ति और स्थानांतरण आदेश के आधार पर नियुक्ति पाने वाले 119 कर्मचारियों की सूची तैयार की। संचालनालय से जांच के लिए तत्कालीन एडीशनल डायरेक्टर केके रावत, प्रशासनिक अधिकारी महेश तिवारी, शैलेन्द्र कुशवाहा, वीरेन्द्र कुमार सहित पांच सदस्यीय दल को जांच के लिए भेजा गया था।
जांच दल को मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी दतिया ने 64 संदिग्ध कर्मचारियों के अभिलेख, दस्तावेज उपलब्ध कराए। स्वास्थ्य विभाग ने इसमें 39 और सीएमएचओ दतिया ने तेरह कर्मचारियों के नियुक्ति आदेश शून्य घोषित कर दिए हैं।
इनमें से कई तो पदस्थापना स्थल पर काम करते भी नहीं मिले।चौदह कर्मचारियों की नियुक्तियां सही पाई गई है। शेष 53 कर्मचारियों के नियुक्ति आदेशों की जांच अभी जारी है।
विभाग ने इनके आधार पर तथ्यात्मक आदेश और आवश्यक कार्यवाही कर लोकायुक्त को प्रतिवेदन भेजा है।
स्वास्थ्य विभाग ने शेष सभी संदिग्धों की नियुक्ति, परिवीक्षा अवधि, स्थानांतरण, भारमुक्त, कार्यभार ग्रहण करने एवं प्रशिक्षण आदि में शामिल होने तथा इन आदेशों की स्वप्रमाणित प्रति स्वास्थ्य संचालनालय को एक सप्ताह में उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं।