Fake IAS : गंभीर अपराध बताकर हाईकोर्ट ने जमानत याचिका खारिज की

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Indore : फर्जी दस्तावेजों के आधार पर IAS अवार्ड पाने वाले संतोष कुमार वर्मा की जमानत याचिका हाइकोर्ट ने खारिज कर दी। इससे पहले सेशन कोर्ट भी जमानत याचिका खारिज कर चुकी है। एक महिला की शिकायत के बाद संतोष कुमार वर्मा कई महीनों से जेल में बंद हैं।
हाईकोर्ट (High Court) ने अपने फैसले में जमानत याचिका खारिज (Petition Dismissed) करते हुए इसे गंभीर प्रकृति का अपराध बताया। एमजी रोड पुलिस थाने में संतोष कुमार वर्मा के खिलाफ दर्ज FIR की जांच चल रही है। पुलिस ने अभी चालान पेश नहीं किया है। उसकी व्हाट्सएप चैट और अन्य चौंकाने वाली जानकारी पिछले दिनों पुलिस जांच में उजागर हुई थी। संतोष कुमार वर्मा पर आरोप है कि उन्होंने CBI और व्यापमं (Vyapam) के विशेष न्यायाधीश के फर्जी हस्ताक्षर कर खुद को दोषमुक्त बताने वाले बोगस दस्तावेज (Fake Documents) तैयार किए और DPC में उनके जरिए पदोन्नति हासिल कर IAS अवार्ड प्राप्त कर लिया। इंदौर की एक महिला ने जब उसके खिलाफ रिपोर्ट लिखाई, तब पुलिस जांच के बाद सारा गोरखधंधा उजागर हुआ। नगरीय प्रशासन विभाग भोपाल (Urban Administration Department Bhopal) में पदस्थ रहे फर्जी आईएएस (Fake IAS) संतोष कुमार वर्मा को कुछ समय पूर्व गिरफ्तार किया था। पिछले 27 जून को एमजी रोड पुलिस (MG Road Police) ने वर्मा के खिलाफ धोखाधड़ी और कूटरचित दस्तावेज तैयार करने के प्रकरण दर्ज किए।
संतोष कुमार वर्मा के साथ लिव इन रिलेशनशिप में रहने वाली एक युवती ने लसूड़िया थाने में उसके खिलाफ मारपीट की रिपोर्ट दर्ज करवाई थी। उसकी शिकायत के आधार पर ही फर्जी आईएएस (Fake IAS) का खुलासा हुआ।
वर्मा ने फर्जी रिपोर्ट पेश करके खुद को दोषमुक्त बताते हुए आईएएस कैडर हासिल कर लिया था। पुलिस में प्रकरण दर्ज होने और गिरफ्तार के बाद शासन ने भी उसे निलंबित कर दिया था। एमजी रोड पुलिस ने वर्मा के मोबाइल से कई प्रमुख लोगों से कई व्हाट्सएप चैटिंग और बातचीत के रिकॉर्ड भी हासिल किए, जिसमें न्यायालय से जुड़े प्रमुख लोगों के साथ-साथ प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों से हुई बातचीत भी शामिल है। इसकी जांच चंडीगढ़ स्थित फॉरेंसिक लैब से करवाई जा रही है।
राज्य प्रशासनिक सेवा से जब भारतीय प्रशासनिक सेवा में जब पदोन्नति की जाती है, तब अगर मामूली अपराध हो, तो भी IAS अवार्ड नहीं मिलता। जबकि, वर्मा के खिलाफ 2 प्रकरण लम्बित थे। बाद में उसने फर्जी आदेश बनाकर खुद को दोषमुक्त बताते हुए DPC के सामने इस फर्जी आदेश के जरिए IAS अवार्ड हासिल कर लिया। बाद में जिस विशेष न्यायाधीश के फर्जी साइन से यह DPC तैयार हुई, उन्हीं की रिपोर्ट पर एमजी रोड पुलिस ने वर्मा के खिलाफ धोखाधड़ी की जांच की और उसे गिरफ्तार भी कर लिया। पिछले दिनों सेशल कोर्ट ने उसकी जमानत याचिका खारिज कर दी थी। क्योंकि, अभी कई खुलासे बाकी हैं।
हरदा पोस्टिंग के दौरान भी एक युवती को अपने चक्कर में ले लिया और जब धार में पोस्टिंग हुई, तो इंदौर निवासी एक LIC एजेंट युवती के साथ दिखाने की शादी की और बाद में उसे साथ रखने से इनकार कर दिया। फिर इसी युवती ने लसूड़िया थाने में शिकायत दर्ज करवाई, उसके बाद संतोष वर्मा की कहानी सामने आई।