Fake Marksheet Gang : फर्जी मार्कशीट गैंग के दो सदस्यों को पुलिस ने रांची से पकड़ा!

कई राज्यों में नेटवर्क, कमजोर छात्रों को निशाना बनाते, 100 से अधिक मार्कशीट मिली!

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Fake  Marksheet Gang : फर्जी मार्कशीट गैंग के दो सदस्यों को पुलिस ने रांची से पकड़ा!

Indoree : विजयनगर पुलिस ने फर्जी मार्कशीट बेचने वाली गैंग के सदस्यों को रांची (झारखंड) से पकड़ा है। पुलिस को इस गैंग से 100 से अधिक मार्कशीट मिली। इनका नेटवर्क कई राज्यों में फैला हुआ है। दोनों आरोपियों से पुलिस लगातार पूछताछ कर रही है। इसमें अन्य साथियों के बारे में भी खुलासा हो सकेगा।

थाना प्रभारी रविंद्र गुर्जर के मुताबिक, फरियादी आशीष श्रीवास्तव ने निजी काम के लिए करीब छह माह पहले मार्कशीट बनवाई थी। कुछ दिन बाद जब उसने मार्कशीट का उपयोग किया तो वह फर्जी होना पाई गई। मार्कशीट के फर्जी निकलने पर उसके होश उड़ गए। तत्काल पुलिस को सूचना दी गई। जांच के बाद पुलिस ने कुछ दिन पहले खंडवा नाका में रहने वाले दिनेश तिरोले को पकड़ा था।

दिनेश ने पूछताछ में बताया था कि ये मार्कशीट बिहार निवासी मुकेश से बनवाई थी। मुकेश के बारे में पुलिस को पता चला कि वह पढ़ाई में कमजोर बच्चों को ढूंढता है, फिर उन्हें बगैर परीक्षा दिलाए फर्जी अंकसूची बनाकर देता है। इसके साथ ही उसके पास सभी यूनिवर्सिटी और माध्यमिक शिक्षा परिषद दिल्ली की मार्कशीट मिलती है। उसके इस गोरखधंधे में उसका साथ रिया उर्फ कविता कुमारी पिता दशरथ राम करती थी। पुलिस रिया की तलाश में जुटी हुई है।

लोकेशन से पहुंची पुलिस

आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए पुलिस ने उनकी लोकेशन ट्रेस की, जो रांची बिहार आई। इस पर एक टीम रांची रवाना की गई। यहां पुलिस ने फ्लोरा रिजेंसी एनक्लेव बिल्डिंग से आरोपी कुमार आर्यन उर्फ मुकेश पिता कृष्णकुमार उर्फ शंभूसिंह निवासी रांची को पकड़ा। यहां वह अपने साथी अमित कुमार उर्फ आनंद सिंह पिता स्व चंद्रकिशोर सिंह के साथ नाम बदलकर रहता था। दोनों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया।

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फर्जीवाड़े की सामग्री जब्त  

आरोपियों के पास से 8 मोबाइल, तीन लेपटाप, कलर प्रिंटर, ब्लैक एंड व्हाइट प्रिंटर, प्रकरण से संबंधित माध्यमिक परिषद नई दिल्ली, उत्तराखंड राज्य ओपन एवं इंडियन इंस्टीट्यूट अल्ट्रा मेडिसिन तथा ग्लोबल यूनिवर्सिटी की मार्कशीट, अन्य बोर्ड, विश्वविद्यालय की कोरी मार्कशीट बरामद की गई।

कक्षा के हिसाब से तय होती थी कीमत

आरोपियों ने पूछताछ में बताया कि वे कक्षाओं के हिसाब से मार्कशीट बेचने का रेट तय करते थे। मार्कशीट के लिए 2 से 15 हजार रुपए तक लेते थे। वे करीब 8-10 साल से यह काम करते थे। इंदौर के साथ ही शाजापुर में भी वे लोगों को फर्जी मार्कशीट खपा चुके हैं। उधर, पुलिस को इंदौर के कुछ अन्य लोगों की जानकारी लगी है, जो मुकेश और अमित के शिकार हो चुके हैं।

पूछताछ में चौंकाने वाली जानकारी मिली 

फर्जी अंकसूची के मामले में पकड़े गए दोनों आरोपियों से पूछताछ में कई नई चौकाने वाली जानकारी मिल रही है। आरोपियों के पकड़ाने के बाद कई जिलों के लोगों ने पुलिस से सम्पर्क करना शुरू कर दिया। रांची से विजयनगर पुलिस की गिरफ्त में आए आरोपियों के बैंक खाते सील करने पुलिस ने मुख्य ब्रांचों को पत्र लिखा है। बैंकों से किए ट्रांजेक्शन की भी जानकारी संग्रहित की जा रही है। मोबाइल भी पुलिस ने जब्त किए हैं। मोबाइल में दर्ज नंबरों पर पुलिस ने बात करना शुरू कर दिया है। इसमें कुछ लोगों के नंबर बंद मिले।

उज्जैन-शाजापुर के लोग मिले थे

आरोपी 8-10 साल से इस गोरखधंधे में लिप्त थे। उनके संपर्क में उज्जैन, शाजापुर के लोग भी थे। पूर्व में फर्जी अंकसूची बनाने के मामले में अलग-अलग थानों में 11 युवक पकड़े जा चुके हैं। शनिवार को पकड़ाया आरोपी मुकेश गिरोह का सरगना था। पुलिस आरोपी से अंकसूची बनाना कहां से सीखा, इसके बारे में पूछताछ कर रही है। अंकसूची में हस्ताक्षर कैसे किए जाते हैं, उसका कागज कहां से लाया जाता है इसकी भी जानकारी निकाली जाएगी। विजयनगर थाना प्रभारी रवीन्द्र गुर्जर ने बताया कि पूछताछ में कुछ अन्य लोगों के नाम सामने आए हैं, उन्हें गिरफ्तार करने टीम रवाना की गई।