
शहीद पुलिसकर्मियों के परिवारों ने उठाई आवाज: सम्मान स्वरूप मिले शहीद प्रमाण पत्र, परिजनों ने कहा प्रमाण पत्र पैसे से कहीं अधिक मूल्यवान
भोपाल: प्रदेश पुलिस में अपने कर्तव्य का निर्वाह करते हुए वीरगति को प्राप्त होने वाले जवानों के परिवारों ने सरकार और पुलिस महकमें से भावनात्मक अपील की है कि उन्हें सम्मान स्वरूप शहीद प्रमाण पत्र प्रदान किया जाए। इन परिवारों का कहना है कि उनके प्रियजन ने ड्यूटी पर रहते हुए अपनी जान देश और समाज की सेवा में कुर्बान की, लेकिन आज तक उन्हें उस बलिदान का आधिकारिक प्रमाण नहीं मिला है, जो उनके सम्मान और गौरव का प्रतीक बन सके।
हाल ही में पुलिस मुख्यालय द्वारा आयोजित पुलिस स्मृति परेड दिवस पर शहीद एएसआई रामचरण गौतम की पत्नी और बेटे ने कहा कि आर्थिक सहायता के साथ-साथ राज्य सरकार को यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि प्रत्येक शहीद परिवार को शहीद प्रमाण पत्र मिले, ताकि उन्हें न केवल सरकारी लाभों का अधिकार मिले, बल्कि समाज में वह सम्मान भी प्राप्त हो जो उनके प्रियजन की शहादत के अनुरूप है।
इसी तरह, शहीद कांस्टेबल अनुज सिंह के परिवार ने भी डीजीपी से यह मांग रखी कि उन्हें शहीद प्रमाण पत्र प्रदान किया जाए। अनुज सिंह के भाई अंकुर सिंह ने भावुक होकर कहा कि पैसा जीवन और परिवार के लिए जरूरी है, लेकिन प्रमाण पत्र हमारे लिए सौ गुना ज्यादा महत्वपूर्ण है। यह हमें गर्व का अहसास दिलाएगा कि हमारे भाई ने वर्दी की लाज निभाते हुए प्राण न्यौछावर किए। यह प्रमाण पत्र आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बनेगा।
शहीद परिवारों ने कहा कि पुलिस बल में ड्यूटी के दौरान जो जवान जान गंवाते हैं, उन्हें भी सेना की तरह शहीद का दर्जा और प्रमाण पत्र दिया जाना चाहिए। इससे न केवल उनके परिवारों को सरकारी योजनाओं का लाभ मिलेगा, बल्कि समाज में उनके बलिदान का उचित सम्मान भी सुनिश्चित होगा।
पुलिस मुख्यालय के वरिष्ठ अधिकारियों ने आश्वासन दिया कि उनकी भावनाओं को सरकार तक पहुंचाया जाएगा। वहीं पुलिस सूत्रों का कहना है कि शहीद प्रमाण पत्र जारी करने की प्रक्रिया पर विचार किया जा रहा है और इस दिशा में नीतिगत निर्णय जल्द हो सकता है।
परिवारों का यह भी कहना है कि शहीद दिवस और अन्य अवसरों पर उन्हें केवल औपचारिक निमंत्रण देकर भूल जाना उचित नहीं। सरकार और पुलिस महकमें को चाहिए कि वे शहीद परिवारों से निरंतर संपर्क बनाए रखें, ताकि उनके मन में यह विश्वास बना रहे कि उनके प्रियजनों का बलिदान व्यर्थ नहीं गया। यह आवाज सिर्फ सम्मान की नहीं, बल्कि उस आत्मगौरव की है जो हर वदीर्धारी के बलिदान के साथ जुड़ा होता है





