FBI Commends Proactive Policing : FBI टीम इंदौर आई, पुलिस की कार्रवाई को सराहा

ठगने वाले गिरोह को पुलिस ने पकड़कर मामले का पर्दाफाश किया था

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Indore : सायबर क्राइम के मामले में इंदौर पुलिस को उसकी कार्रवाई के लिए धन्यवाद देने अमेरिकी जांच एजेंसी एफबीआई (Federal Bureau of Investigation) की टीम के तीन सदस्य शुक्रवार को इंदौर आए। उन्होंने यहाँ पुलिस कमिश्नर हरिनारायण चारी मिश्र से मुलाकात की।

 

FBI ने पिछले साल इंदौर पुलिस को बताया था कि भारत के कई इलाकों से फर्जी कॉल सेंटर के जरिए अमेरिकी लोगों से ठगी की जा रही थी। इंदौर पुलिस ने यह कार्रवाई प्रो-एक्टिव पुलिसिंग (Proactive Policing) के तहत की थी। आशय यह कि किसी ने शिकायत नहीं की थी! पुलिस ने स्वमेव इन सायबर क्राइम को पकड़ा था।

इंदौर पुलिस ने ऐसे कई कॉल सेंटर पर कार्रवाई की थी। FBI अधिकारियों ने कमिश्नर से इन अपराधियों के बारे में जानकारी ली और अब तक इंदौर पुलिस द्वारा की गई कार्रवाई के लिए धन्यवाद दिया।

पुलिस कमिश्नर ने मीडिया को बताया कि ठगों का निशाना वृद्ध लोग होते थे। जिन्हें ज्यादा तकनीकी जानकारी नहीं होती है। ये ठग धाराप्रवाह इंग्लिश बोलते थे, जिससे अमेरिकी नागरिकों को शक भी नहीं होता था।

 

पुलिस कमिश्नर ने बताया कि इंदौर सहित भारत के किन शहरों से अमेरिका में फोन लगाए जा रहे थे, वहां पर अब तक कोई शिकायत नहीं करता है। लेकिन, प्रो-एक्टिव पुलिसिंग के चलते यह पूरी कार्रवाई की गई। वहीं एफबीआई के अधिकारियों ने इंदौर पुलिस को धन्यवाद भी दिया है।

उन्होंने बताया कि क्राइम ब्रांच ने नवंबर 2020 में लसूड़िया क्षेत्र से फर्जी इंटरनेशनल कॉल सेंटर पर छापा मारा था। कॉल सेंटर में मौजूद लोग अमेरिका के लोगों को कॉल स्पूफिंग (Call Spoofing) के माध्यम से यह दर्शाया जा रहे थे कि यह कॉल अमेरिका का है। जिसकी सूचना वहां की एजेंसी को दी गई थी। इसके बाद एजेंसियों ने इन कॉल सेंटर पर नजर रखना शुरू कर दी थी। इसके लिए भोपाल इंदौर पुलिस से भी संपर्क कर आरोपियों को पकड़ा गया।

पुलिस के मुताबिक इस कॉल सेंटर के कर्मचारी खुद को सोशल सिक्योरिटी कार्ड डिपार्टमेंट (Social security card department) का अफसर बताकर अमेरिकी नागरिकों से ठगी करते थे। पुलिस ने आरोपियों के लैपटॉप, कंप्यूटर की जांच की तो 10 लाख से ज्यादा अमेरिकी नागरिकों का डाटा मिला। ठग ने खुद कबूला कि गिरोह के सदस्य रोजाना 15 हजार डॉलर तक की ठगी कर लेते हैं।

 

इंदौर पुलिस के जांचकर्ताओं ने बताया कि शहर में विभिन्न कॉल सेंटर की आड़ में चलाए जा रहे तीन अलग-अलग साइबर अपराध गिरोहों का वर्ष 2018, 2019 तथा 2020 में खुलासा किया गया था तथा गिरोह के सदस्य फोन कॉल के दौरान अमेरिकी नागरिकों, खासकर बुजुर्गों के सामाजिक सुरक्षा नंबर (Social security number) को खतरे में बताकर उन्हें ठगते थे। उन्होंने कहा कि तीनों गिरोहों के कुल 120 से ज्यादा सदस्यों को गिरफ्तार किया गया था और इनमें ज्यादातर युवा टेलीकॉलर शामिल थे जो अमेरिकी लहजे की अंग्रेजी बोलने में महारत रखते हैं।

स्थानीय जांचकर्ताओं ने बताया कि ये टेलीकॉलर फोन पर खुद को अमेरिकी पुलिस अधिकारी या सतर्कता विभाग का अधिकारी बताते थे और अमेरिकी नागरिकों को यह कहकर धमकाते थे कि उनके सामाजिक सुरक्षा नंबर का उपयोग धनशोधन, बैंकिंग धोखाधड़ी तथा मादक पदार्थों की तस्करी जैसी अवैध गतिविधियों में किया गया है तथा तय रकम ऑनलाइन माध्यम से तुरंत न चुकाए जाने पर उन्हें बड़े कानूनी पचड़े में फंसना पड़ सकता है।

मोबाइल नंबर स्पूफिंग

यदि आपके मोबाइल नंबर पर बैंक से कोई फोन कॉल आता है, तो आप नंबर देखकर समझ जाते हैं कि यह नंबर बैंक से आया है। मोबाइल स्क्रीन शो हो रहा नंबर बैंक का ही होगा। ऐसे में आप यही समझेंगे कि कॉल बैंक से ही है। अब फोन करने वाला आपसे आपके डिटेल मांगेगा। आप भी उसे बैंकिंग से जुड़ी सारी डिटेल्स दे देते हैं। आपके खाते से रकम निकल जाती है। बैंक में कांटेक्ट करते हैं तो पता चलता है कि ऐसा कोई कॉल उनके यहाँ से नहीं किया गया।