Feminine Power in Vedas : वैदिक काल में स्त्रियों का स्थान सबसे ऊपर रहा, कुछ महिलाओं को भुलाया नहीं जा सकता!
Mumbai : ‘वैदिक काल में स्त्रियों का स्थान सबसे ऊपर था।वेद हमें निर्देश देते हैं कि हमें क्या करना है? वे हमारी सभ्यता और संस्कृति के अक्षुण्ण रक्षक हैं। अहिल्या, द्रोपदी, तारा, कुंती और मंदोदरी जैसे चरित्र कौन, कैसे भूल सकता है?
यह विचार कवयित्री व आकाशवाणी मुम्बई की पूर्व कार्यक्रम अधिकारी कमलेश पाठक ने नीलांबरी फाउंडेशन व काव्य सृजन द्वारा आयोजित ‘वेदों में स्त्री शक्ति’ विषय पर आयोजित व्याख्यान व विशेष काव्य सन्ध्या में व्यक्त किये। वे कार्यक्रम की मुख्य अतिथि थीं।
इस मौके पर सुनीता साखरे ने कहा कि स्त्री शिक्षा का प्रसार वैदिक काल में भी था।वैदिक युग में स्त्रियों का बहुत सम्मान था। इंदु मिश्रा ने कहा कि गार्गी की परंपरा को अपनाए जाने की आज जरूरत है। रेणु शुक्ला ने कहा कि आज माँ का धर्म है कि वे अपनी बेटी को शिक्षा से वंचित न होने दें।
संस्था की अध्यक्ष नीलिमा पांडेय ने विचार व्यक्त किए कि वेदों में बहुत गहरी है स्त्री की शक्ति। वह हमें ऊर्जा से भरती है।लोमा (जो आयुर्वेद की दिग्गज थी), अपाला, मधुमिता और गार्गी का जिक्र किए बगैर हम उस काल की बात ही नहीं सोच सकते। आयोजन का संचालन डॉ निशा सिंह ने किया और सरस्वती वंदना अर्चना उर्वशी ने प्रस्तुत की। आभार महासचिव कुसुम तिवारी ने व्यक्त किया।
इस अवसर पर आयोजित विशेष काव्य गोष्ठी में आभा दवे, अर्चना उर्वशी, कुसुम तिवारी, राहुल सिंह, कल्पेश यादव, अल्हड़ असरदार, सुमन तिवारी, मृदुला मिश्र, खुशी झा, श्रीधर मिश्र, रोशनी किरण, जाकिर हुसैन रहबर, नताशा गिरि, आनन्द पाण्डेय, शिवप्रकाश जमदग्निपुरी, किरण मिश्र, नीलिमा पांडेय, तरुण तन्हा आदि ने काव्य पाठ किया।