Fight After Dispute : स्वामी प्रसाद मौर्य समर्थकों और महंत राजूदास में हाथापाई!
Lucknow : गोमती नगर के एक होटल में समाजवादी पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य के समर्थकों ने हनुमानगढ़ी के महंत राजू दास के साथ हाथापाई की। बताया जा रहा कि महंत राजू दास एक टीवी चैनल के कार्यक्रम में पहुंचे जहां पर स्वामी प्रसाद मौर्य के समर्थकों के बीच कहासुनी हो गई। इस मामले में स्वामी प्रसाद मौर्य ने पुलिस कमिश्नर लखनऊ को पत्र लिखकर शिकायत दर्ज कराई है। स्वामी ने कहा कि मुझ पर तलवार और फरसा से हमला करने का प्रयास किया गया। वहां मौजूद मेरे समर्थकों ने बचा कर गाड़ी में बैठाया।
इस हाथापाई का वीडियो भी सामने आया जिसमें स्वामी प्रसाद मौर्य के समर्थक राजू दास को पीछे से दौड़ते हुए दिखाई दे रहे हैं। एक शख्स ने उनसे हाथापाई करते हुए दिखाई दे रहा है।
सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने पुलिस कमिश्नर को पत्र लिखा कि दोपहर 12.30 बजे टीवी चैनल के कार्यक्रम में बुलाया गया था। कार्यक्रम में शामिल होने के बाद बाहर आया तो वहां पहले से मौजूद अयोध्या हनुमान गढ़ी के महंत राजू दास और महंत परमहंस दास, तपस्वी छावनी और उनके कुछ साथियों ने तलवार व फरसा से मुझ पर हमला करने का प्रयास किया।
मेरे समर्थकों ने बीच-बचाव कर मुझे सकुशल गाड़ी में बैठाया। इन लोगों ने पहले भी मुझे मारने के लिए 21 लाख का रकम भी घोषित किया गया है। यह जानते हुए भी उन्हें इस कार्यक्रम में बुलाना और उनके निर्धारित समय से पहले बुलाकर हथियारों के साथ बैठाना भी कुटिल साजिश है।
स्वामी की जुबान काटने वाले को इनाम का ऐलान
स्वामी प्रसाद मौर्य रामचरितमानस पर दिए अपने बयान पर कायम हैं। वे लगातार साधु-संतों पर हमला कर रहे हैं। मौर्य ने बीते दिनों एक बयान में कहा था ‘हाथी चले बाजार कुत्ता भौंके हजार’। इसको लेकर अयोध्या में हनुमानगढ़ी के महंत राजू दास ने नाराजगी जताई थी। उन्होंने इसे ब्राह्मणों और साधु-संतों का अपमान बताया था। उन्होंने कहा था कि स्वामी प्रसाद मौर्य ने ब्राह्मणों और संतों-महंतों को कुत्ता कहा है। ऐसे में जो भी व्यक्ति स्वामी प्रसाद मौर्य का सिर तन से जुदा करेगा, उसे राजू दास 21 लाख का इनाम देंगे।
स्वामी प्रसाद मौर्य ने रामचरितमानस को लेकर ये कहा
कुछ दिन पहले स्वामी प्रसाद मौर्य ने रामचरितमानस को लेकर विवादित बयान दिया था। उन्होंने कहा था कि कई करोड़ लोग रामचरित मानस को नहीं पढ़ते, सब बकवास है। यह तुलसीदास ने अपनी खुशी के लिए लिखा है। मौर्य यहीं नहीं रुके, उन्होंने कहा कि सरकार को इसका संज्ञान लेते हुए रामचरितमानस से जो आपत्तिजनक अंश है, उसे बाहर करना चाहिए या इस पूरी पुस्तक को ही बैन कर देना चाहिए।
सपा नेता ने सवाल उठाते हुए यह भी कहा था कि ब्राह्मण भले ही लंपट, दुराचारी, अनपढ़ और गंवार हो, लेकिन वह ब्राह्मण है तो उसे पूजनीय बताया गया है, लेकिन शूद्र कितना भी ज्ञानी, विद्वान या फिर ज्ञाता हो, उसका सम्मान मत करिए। क्या यही धर्म है? इससे पहले तपस्वी छावनी के जगतगुरु परमहंस आचार्य ने भी स्वामी प्रसाद मौर्य की गर्दन काटने पर 500 रुपए का इनाम देने की बात कही थी।