Film Review: ‘Ground Zero’: बीएसएफ को समर्पित पहली फिल्म ‘ग्राउंड जीरो’

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Film Review: ‘Ground Zero’: बीएसएफ को समर्पित पहली फिल्म ‘ग्राउंड जीरो’

बेचारा ‘सीरियल किसर’ इमरान हाशमी ! बहुत दिनों के बाद तो ग्राउंड जीरो फिल्म लगी,इसमें तो किसिंग सीन ही नहीं है! ऊपर से जब फिल्म लगी तब वह भी पहलगाम पर्यटक हमले के कारण नज़रअंदाज़ की जा रही है ! यह फिल्म कश्मीर में हिंसा, 2001में संसद भवन पर हुए हमले और 2002 के अक्षरधाम मंदिर हमले के मास्टरमाइंड, जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी गाजी बाबा को खत्म करने की कहानी है। यह पहली फिल्म है जिसमें बॉर्डर सिक्योरिटी फ़ोर्स (बीएसएफ) के जांबाज़ बहादुरों पर आधारित है। सच्ची घटनाओं से प्रेरित। इसका क्लाइमेक्स ज़बरदस्त है – सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के जवानों द्वारा आतंकवादी ठिकाने पर रात में की गई छापेमारी। इस फिल्म में इमरान हाशमी ने बीएसएफ कमांडेंट नरेंद्र नाथ धर दूबे की मुख्य भूमिका निभाई है, जिन्हें इस ऑपरेशन के लिए कीर्ति चक्र से सम्मानित किया गया था।

Film Review: 'Ground Zero'

फिल्म के कुछ डायलॉग वर्तमान में ज्यादा मौजूं हो गए हैं जैसे – सिर्फ कश्मीर की ज़मीन हमारी है या वहां के लोग भी हमारे हैं?

-पहरेदारी बहुत हो गई, अब प्रहार होगा।

-आज रिस्क नहीं लेंगे, तो कल रिस्की हो जाएगा।

– कश्मीर में वर्दी का मतलब यह है कि मारेंगे तो गाली खाएंगे, नहीं मारेंगे तो गोली।

यह बीएसएफ की अनसुनी वीरता को सम्मान देती है। इमरान हाशमी का अभिनय शानदार है। तेजस देवस्कर का संयमित निर्देशन, और कश्मीर की यथार्थवादी पृष्ठभूमि इसके आकर्षण हैं। लेकिन कमजोर पटकथा, घिसे-पिटे ट्रॉप्स, और दृश्यों का दोहराव इसकी कमियां हैं। यह फिल्म राष्ट्रीय सुरक्षा और सैनिकों की कुर्बानी की याद दिलाती है। ‘ग्राउंड जीरो’ पहली प्रमुख बॉलीवुड फिल्म है जो पूरी तरह बीएसएफ पर केंद्रित है। इससे पहले, भारतीय सेना और पुलिस पर आधारित फिल्में जैसे ‘उरी: द सर्जिकल स्ट्राइक’, ‘बेबी’, और ‘शेरशाह’ बन चुकी हैं, लेकिन बीएसएफ की कहानियां बड़े पर्दे पर अनदेखी रही हैं। बीएसएफ के जवानों और परिजनों के लिए यह अनिवार्य फिल्म है।

आम दर्शकों के लिए टालनीय !