Film Review: हॉलीवुड स्टाइल की हिन्दी फ़िल्म बकिंघम मर्डर्स

Film Review: हॉलीवुड स्टाइल की हिन्दी फ़िल्म बकिंघम मर्डर्स

बकिंघम मर्डर्स एक इंडो इंग्लिश क्राइम मिस्ट्री थ्रिलर फ़िल्म है, जिसकी मुख्य किरदार और सह निर्माता करीना कपूर है। फ़िल्म का पूरा दारोमदार करीना कपूर पर है। निर्देशक हंसल मेहता ने करीना को करीने से, उनकी उम्र, परिपक्वता और परिवेश को हिन्दी और हिंग्लिश भाषाओं में पेश किया है। यह ऑफिशियली बताया है कि यह हिन्दी के अलावा हिन्दी-इंग्लिश मिक्स यानी हिंग्लिश में रिलीज की गई है।

करीना कपूर इसमें भी पंजाबी कुड़ी ही हैं, लेकिन जब वी मेट टाइप नहीं, ब्रिटिश पुलिस की डिटेक्टिव। दसवर्षीय एक बेटे की मां के रूप में नरम लेकिन पुलिसकर्मी के रूप में सख़्त! एक अनजान पागल खब्ती की अकारण गोलीबाजी में बेटे की मौत ने उन्हें तोड़ दिया है। ट्रांसफर मांग लिया है। तबादले पर बकिंघम में पहुंचते ही उन्हें एक केस की छानबीन का काम मिलता है। मामला भारतीय मूल के एक पंजाबी किशोर के लापता होने का है। किशोर स्कूल से निकला, बस में बैठा, बस से उतरा और घर नहीं पहुंचा। यहीं से मूल कहानी शुरू होती है।

पूरे ब्रिटेन में भारत -पाकिस्तान के मुस्लिम आप्रवासियों ने अराजकता मचा रखी है। उनके धंधों में नशीले ड्रग्स की तस्करी और दूसरे अवैध कारोबार भी शामिल है। वहां की पुलिस भी उनसे परेशान हैं। दूसरी तरफ पंजाबी मूल के लोग भी हैं जो अक्सर टकराव पैदा करते रहते हैं। ऐसे में जब उस पंजाबी किशोर की लाश मिलती है और जांच में एक युवा मुस्लिम हत्या कबूल कर लेता है, तब कहानी खत्म होती लगती है। मामला दाखिल दफ्तर होने को है लेकिन फिर डिटेक्टिव करीना कपूर को लगता है कि हत्यारा वह नहीं है जिसने जुर्म कबूल किया है।

डिटेक्टिव करीना के शक की सुई बार बार घूमती है। कभी उस किशोर को गोद लेने वाले बाप पर, कभी मृतक की गर्लफ्रेंड पर, कभी उसकी पियानो टीचर पर, कभी उसके बाप के पुराने बिजनेस पार्टनर पर। कम्युनल एंगल भी आता है, पर जो करीना अपने बेटे को खो चुकी है, वह किसी और के बेकसूर बेटे को सजा कैसे होने देगी?

फ़िल्म में मर्डर मिस्ट्री दर्शक को उलझाये रखती है। अंत अनपेक्षित है। दर्शक सीट पर चिपका रहता है। दो घंटे से भी छोटी फ़िल्म है। फ़िल्म में नाच-गाना, फूहड़ कॉमेडी, फाइट सीन आदि नहीं है। करीना के अलावा कोई भी बहुत फेमस एक्टर नहीं है।

झेलनीय फ़िल्म है। क्राइम-मिस्ट्री फिल्मों के शौकीन लोगों को पसंद आएगी।

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डॉ. प्रकाश हिन्दुस्तानी

डॉ. प्रकाश हिन्दुस्तानी जाने-माने पत्रकार और ब्लॉगर हैं। वे हिन्दी में सोशल मीडिया के पहले और महत्वपूर्ण विश्लेषक हैं। जब लोग सोशल मीडिया से परिचित भी नहीं थे, तब से वे इस क्षेत्र में कार्य कर रहे हैं। पत्रकार के रूप में वे 30 से अधिक वर्ष तक नईदुनिया, धर्मयुग, नवभारत टाइम्स, दैनिक भास्कर आदि पत्र-पत्रिकाओं में कार्य कर चुके हैं। इसके अलावा वे हिन्दी के पहले वेब पोर्टल के संस्थापक संपादक भी हैं। टीवी चैनल पर भी उन्हें कार्य का अनुभव हैं। कह सकते है कि वे एक ऐसे पत्रकार है, जिन्हें प्रिंट, टेलीविजन और वेब मीडिया में कार्य करने का अनुभव हैं। हिन्दी को इंटरनेट पर स्थापित करने में उनकी प्रमुख भूमिका रही हैं। वे जाने-माने ब्लॉगर भी हैं और एबीपी न्यूज चैनल द्वारा उन्हें देश के टॉप-10 ब्लॉगर्स में शामिल कर सम्मानित किया जा चुका हैं। इसके अलावा वे एक ब्लॉगर के रूप में देश के अलावा भूटान और श्रीलंका में भी सम्मानित हो चुके हैं। अमेरिका के रटगर्स विश्वविद्यालय में उन्होंने हिन्दी इंटरनेट पत्रकारिता पर अपना शोध पत्र भी पढ़ा था। हिन्दी इंटरनेट पत्रकारिता पर पीएच-डी करने वाले वे पहले शोधार्थी हैं। अपनी निजी वेबसाइट्स शुरू करने वाले भी वे भारत के पहले पत्रकार हैं, जिनकी वेबसाइट 1999 में शुरू हो चुकी थी। पहले यह वेबसाइट अंग्रेजी में थी और अब हिन्दी में है।

डॉ. प्रकाश हिन्दुस्तानी ने नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने पर एक किताब भी लिखी, जो केवल चार दिन में लिखी गई और दो दिन में मुद्रित हुई। इस किताब का विमोचन श्री नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के एक दिन पहले 25 मई 2014 को इंदौर प्रेस क्लब में हुआ था। इसके अलावा उन्होंने सोशल मीडिया पर ही डॉ. अमित नागपाल के साथ मिलकर अंग्रेजी में एक किताब पर्सनल ब्रांडिंग, स्टोरी टेलिंग एंड बियांड भी लिखी है, जो केवल छह माह में ही अमेजॉन द्वारा बेस्ट सेलर घोषित की जा चुकी है। अब इस किताब का दूसरा संस्करण भी आ चुका है।